जिनेवा : अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध (ट्रेड वार) से भारत समेत कई अन्य देशों को फायदा होगा. संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की दो टाॅप अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव का फायदा कई देशों को मिलेगा, जिनमें भारत भी शामिल है. पिछले साल मार्च में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आयातित इस्पात और एल्युमीनियम पर भारी शुल्क लगाया है. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध की स्थिति बनी हुई. जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन ने भी अरबों डॉलर के अमेरिकी आयात पर भारी शुल्क लगाया है.
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संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि चीन और अमेरिका के बीच ‘जैसे को तैसा’ के व्यापार विवाद से दोनों ही देशों के घरेलू उत्पादकों को किसी तरह का संरक्षण नहीं मिलेगा. यदि इसे हल नहीं किया जाता है, तो इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर होगा. व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (अंकटाड) की रिपोर्ट में कह गया है कि चीन के 250 अरब डॉलर के निर्यात पर अमेरिका ने शुल्क की दरें ऊंची की है. इसमें से सिर्फ छह फीसदी की अमेरिका की कंपनियां खरीदेंगी.
संयुक्त राष्ट्र के शोध के अनुसार, इसी तरह अमेरिका के 85 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात पर चीन का शुल्क लगा है. इसमें से सिर्फ पांच फीसदी ही चीन की कंपनियां खरीदेंगी. अमेरिका ने चीन से द्विपक्षीय व्यापार में अमेरिका के प्रतिकूल 375 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को कम करने की मांग की है. चीन ने इसके लिए अमेरिकी आयात और निवेश बढ़ाने की प्रतिबद्धता जतायी है. इन उपायों को लागू करने के लिए अमेरिका ने एक मार्च, 2019 तक का समय तय किया है.
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि यदि अमेरिका और चीन एक मार्च तक अपने शुल्क विवाद को समाप्त करने का फैसला नहीं करते हैं, तो दोनों देशों के उत्पादों पर शुल्क की दर मौजूदा के 10 फीसदी से बढ़कर 25 फीसदी पर पहुंच जायेगी. इस विवाद से जिन देशों को फायदा होगा, उनमें यूरोपीय संघ के सदस्य देश शामिल हैं. यूरोपीय संघ का निर्यात इस विवाद से 70 अरब डॉलर बढ़ जायेगा. जापान का कनाडा का निर्यात 20-20 अरब डॉलर बढ़ेगा. अध्ययन में कहा गया है कि इससे आॅस्ट्रेलिया के निर्यात में 4.6 फीसदी, ब्राजील के निर्यात में 3.5 फीसदी, भारत के निर्यात में 3.5 फीसदी, फिलिपीन के निर्यात में 3.2 फीसदी तथा वियतनाम के निर्यात में पांच फीसदी का इजाफा होगा.
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