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Videocon के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत आमंत्रित की गयीं बोलियां

नयी दिल्ली : कर्ज बोझ तले दबी वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के समाधान पेशेवरों ने मंगलवार को कंपनी के संभावित खरीदारों से बोलियां आमंत्रित की हैं. कंपनी उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक से लेकर तेल एवं गैस क्षेत्र में कार्यरत है. मुंबई स्थित राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के आदेश के बाद वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ दिवाला एवं ऋण […]

नयी दिल्ली : कर्ज बोझ तले दबी वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के समाधान पेशेवरों ने मंगलवार को कंपनी के संभावित खरीदारों से बोलियां आमंत्रित की हैं. कंपनी उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक से लेकर तेल एवं गैस क्षेत्र में कार्यरत है. मुंबई स्थित राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के आदेश के बाद वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता प्रक्रिया 6 जून, 2018 को शुरू की गयी. कंपनी पर विभिन्न बैंकों का 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है.

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एक सार्वजनिक घोषणा में वीडियोकॉन के समाधान पेशेवर अनुज जैन ने कहा कि वीडियोकॉन समूह की 11 और कंपनियों के मामले में ऋण शोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जबकि समूह की चार अन्य कंपनियों के लिए भी एनसीएलटी की ओर से जल्द आदेश पारित किया जाने वाला है. इस साल की शुरुआत में देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज और वीडियोकॉन टेलीकम्युनिकेशंस लिमिटेड के खिलाफ अलग से दिवाला प्रक्रिया का मामला दायर किया था.

समाधान पेशेवरों ने वीडियोकॉन के अधिग्रहण के लिए बोली लगाने वालों के लिए जो मानदंड तय किये हैं, उसके मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में कंपनियों, व्यक्तियों अथवा निवेशकों के समूह की न्यूनतम एकीकृत नेटवर्थ 2,000 करोड़ रुपये होनी चाहिए. इसके साथ ही, पिछले तीन वर्षों के दौरान किसी भी वर्ष में समूह स्तर पर कुल कारोबार 1,000 करोड़ रुपये होना चाहिए. संभावित बोलीदाताओं से कहा गया है कि वह 5 अक्टूबर, 2018 से पहले अपनी बोली सौंप दें.

वीडियोकॉन को उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए जाना जाता है. कंपनी ने बाद में तेल एवं गैस, डीटीएच तथा दूरसंचार क्षेत्र में भी कारोबार शुरू किया, लेकिन इनमें उसे असफलता मिली. आईसीआईसीआई बैंक के साथ 2012 में 3,250 करोड़ रुपये के ऋण में कर्ज के लिए फायदा पहुंचाने के मामले में भी वीडियोकॉन समूह जांच के घेरे में है. इस मामले में बैंक की तत्कालीन प्रबंध निदेशक एवं सीईओ चंदा कोचर की भूमिका की भी जांच की जा रही है.

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