नयी दिल्ली : आप अपनी मेहनत की कमाई अधिक मुनाफे के लिए म्यूचुअल फंड में सीधे या एसआइपी के माध्यम से इन्वेस्ट करते हैं. जब आप ये पैसे इन्वेस्ट करते हैं तो आपका लांग टर्म गोल होता है, जैसे मकान खरीदना, बच्चों की पढ़ाई या फिर अपने रिटायमेंट के लिए एक मोटीरकम इकट्ठा करना. लेकिन, कई बार आपको पैसों की अचानक जरूरत पड़ जाती है और आपको कोईउपाय नहीं सूझता तो ऐसे में आप अपने म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट को रिडीम कर लेते हैं, जिससे आपकी फौरी जरूरतें तो पूरी हो जाती हैं, लेकिन लांग टर्म गोल को नुकसान होता है. ऐसे में एक उपाय है जो आपको ऐसा करने से बचा सकता है. आप अपने म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट पर कर्ज ले सकते हैं. आप अपने यूनिट्स गिरवी रख कर इन्वेस्टमेंट का 60 से 70 प्रतिशत तक लोन पा सकते हैं.
महत्वपूर्ण बात यह कि इसमें टैक्स की भी कोई उलझन नहीं होती और न ही आपकी फाइनेंसियल प्लानिंग परअसरपड़ता है. फंड यूनिट्स को लोन के लिए गिरवी रखने पर मालिकाना हक पर भी असर नहीं पड़ता है और नकदी की आपकी जरूरत तुरंत पूरी हो जाती है. यह कम अवधि वाले ओवरड्राफ्ट की तरह है.
इसके तहत आपको एनबीएफसी यानी नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी फंड यूनिट्स गिरवी रख कर लोन देती है और ब्याज साढ़े दस से 12 प्रतिशत के करीब होता है. जबतक आपके यूनिट्स गिरवी रहते हैं तबतक आप उसे बेच नहीं सकते हैं.
कैसे लिया जा सकता है कर्ज?
कुछ ऑनलाइन वेबसाइट इस तरह के कर्ज की प्री अप्रूवल की सुविधा देती हैं. अगर आपका म्यूचुअल फंड डीमैट फाॅर्म में होता है तो कर्ज लेना अधिक आसान हो जाता है. पर, यूनिट्स फिजिकल फॉर्म में होने पर कर्ज लेने की प्रक्रिया अधिक लंबी हो सकती है. इसके लिए आपको पैसे देने वाले से लोन एग्रीमेंट करना होगा. वह म्यूचुअल फंड रजिस्ट्रार को लिखेगा और उनसे जुड़ी यूनिट्स की निश्चित संख्या को गिरवी रखने का निशान लगाने को कहेगा. इस तरह आपके यूनिट्स के 60 से 70 प्रतिशत वैल्यू का लोन मिल जाता है.
जब आप कर्ज चुका देते हैं, तो फाइनेंसर आपके फंड हाउस को चिट्ठी लिख कर यूनिट्स को गिरवी मुक्त करने को कहेगा. डिफॉल्ट की स्थिति में लोन देने वाला आपके फंड हाउस को रिडीम करने का अनुरोध भेज सकता है. यानी ऐसे में आपके यूनिट्स की राशि आपको पैसे देने वाली कंपनी हासिल कर सकती है.
ऐसे में इस योजना का लाभ उठायें, दुरुपयोग से बचें और अपने गोल को बिना नुकसान पहुंचाये अपनी फौरी जरूरतें पूरी भी करें.
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