दावोस : विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से पहले भारत के प्रमुख उद्योगपतियों ने संरक्षणवाद जैसे मुद्दों से निपटने के लिए देश से आज अग्रणी भूमिका निभाने को कहा. ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका जैसे देश इस मंच पर संरक्षणवाद और घरेलू हित जैसे मुद्दों की वकालत कर सकते हैं.
कोटक महिंद्रा बैंक के कार्यकारी उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक उदय कोटक ने कहा कि भारत को बिक्री एवं विपणन का महीन फर्क समझना चाहिए तथा खुद को अग्रणी भूमिका में रखते हुए अपनी कहानी पेश करनी चाहिए.
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स्पाइसजेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अजय सिंह ने कहा कि भारत के पास दावोस में कहने के लिए शानदार कहानी है और इसे प्रस्तुत करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से बेहतर कोई नहीं हो सकता है. आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य कार्यपालक अधिकारी तथा प्रबंध निदेशक चंदा कोचर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सुधार से गुजर रही है और तेज आर्थिक वृद्धि के ऐसे रास्ते पर अग्रसर है जिससे हर कोई लाभान्वित हो सकता है.
पीटीआई भाषा से बात करते हुए यहां उपस्थित कई भारतीय सीईओ ने कहा कि वैश्विक समुदाय प्रधानमंत्री मोदी को सुनने का इंतजार कर रहा है. उनका भाषण इसलिए भी अधिक रोचक हो गया है क्योंकि बाद में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सम्मेलन में अपने ‘अमेरिका फर्स्ट’ की वकालत कर सकते हैं.
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ट्रंप यह भी बता सकते हैं कि उन्होंने कॉरपोरेट कर की दर कम कर कैसे अमेरिकी कंपनियों को अमेरिका में ही मुनाफा तथा रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए वापस बुलाया. मोदी मंच के पूर्ण सत्र में कल अपना भाषण देने वाले हैं.
मोदी ने दावोस के लिए रवाना होने से पहले कहा था कि वह अपने कार्यक्रमों के दौरान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ भारत के भविष्य के संबंधों पर अपना नजरिया रखेंगे तथा चाहेंगे कि दुनिया के नेता मौजूदा वैश्विक प्रणालियों के समक्ष वर्तमान तथा नयी उभर रही चुनौतियों पर ‘गंभीरता से ध्यान दें.’ उन्होंने ट्वीट किया था, ‘समकालीन अंतरराष्ट्रीय प्रणाली और वैश्विक सरकारी ढांचे के समक्ष मौजूदा तथा उभर रही चुनौतियों पर नेताओं, सरकारों, नीति निर्माताओं, कॉरपोरेट तथा सामाजिक संगठनों द्वारा गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है.’
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उन्होंने सम्मेलन के मुख्य मंत्र ‘क्रिएटिंग अ शेयर्ड फ्यूचर इन अ फ्रैक्चर्ड वर्ल्ड’ (विभाजित दुनिया के साझे भविष्य का सृजन) को विचारपूर्ण और उचित बताते हुए कहा था, ‘मुझे भारत के अच्छे दोस्त तथा मंच के संस्थापक प्रोफेसर क्लाउस श्वाब के निमंत्रण पर दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक में भाग लेने का इंतजार है.’
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