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अर्थशास्त्र के नोबेल का आज होगा एेलान, भारत की आेर से आरबीआर्इ के पूर्व गवर्नर डाॅ रघुराम राजन भी दावेदार

नयी दिल्लीः अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार का सोमवार को एेलान किया जा सकता है. इसके लिए नामित छह अर्थशास्त्रियों की सूची में भारत की आेर से रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डाॅ रघुराम राजन का नाम भी शामिल है. यदि डाॅ रघुराम राजन को अर्थशास्त्र का यह पुरस्कार मिल जाता है, तो 19 साल के […]

नयी दिल्लीः अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार का सोमवार को एेलान किया जा सकता है. इसके लिए नामित छह अर्थशास्त्रियों की सूची में भारत की आेर से रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डाॅ रघुराम राजन का नाम भी शामिल है. यदि डाॅ रघुराम राजन को अर्थशास्त्र का यह पुरस्कार मिल जाता है, तो 19 साल के बाद दूसरी बार अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भारत के हिस्से में दूसरी दफा नोबेल पुरस्कार आयेगा. इसके पहले वर्ष 1998 में भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को इस पुरस्कार से नवाजा गया था. हालांकि, उसके एक साल बाद वर्ष 1999 में उन्हें भारत रत्न की उपाधि भी दी गयी थी.

इसे भी पढ़ेंः अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए आरबीआइ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का सूची में नाम

डाॅ रघुराम राजन के बारे में वाॅल स्ट्रीट जर्नल के हवाले से कहा जा रहा है कि राजन का नाम छह वैसे अर्थशास्त्रियों की सूची में शामिल किया है, जिनमें से किसी एक को नोबेल पुरस्कार दिया जा सकता है. इस सूची में उनका नाम शामिल किये जाने की वजह उनके द्वारा कॉरपोरेट फिनांस के क्षेत्र में निर्णय लेेने की प्रक्रिया के लिए किये गये कार्य को बताया जा रहा है. वे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के सबसे कम उम्र के गैर पश्चिमी मुख्य अर्थशास्त्री रहे. वे इस पद पर मात्र 40 साल की उम्र में पहुंच गये. इसी तरह वे अपने देश भारत में केंद्रीय बैंक के सबसे युवा गवर्नर बने.

क्लैरिवेट एनालिटिक्स नामक एक कंपनी जो एकेडमिक और साइंस्टिफिक रिसर्च पर काम करती है, उसने इस पुरस्कार के संभावित दावेदार के रूप में डॉ राजन के नाम का उल्लेख किया है, जो उसके शोध कार्य पर आधारित है. यह कंपनी ऐसा कार्य पूर्व से करती रही है. क्लैरिवेट एनालिटिक्स नामक एक कंपनी जो एकेडमिक और साइंस्टिफिक रिसर्च पर काम करती है, उसने इस पुरस्कार के संभावित दावेदार के रूप में डॉ राजन के नाम का उल्लेख किया है, जो उसके शोध कार्य पर आधारित है. यह कंपनी ऐसा कार्य पूर्व से करती रही है.

डॉ रघुराम राजन की गिनती दुनिया के सबसे प्रतिभाशली अर्थशास्त्रियों में होती है और भारतीय अर्थव्यवस्था में उनका अमूल्य योगदान है. पिछले साल उन्होंने गवर्नर के रूप में दूसरा कार्यकाल लेने से इनकार कर अमेरिका में अपने विश्वविद्यालय में पढ़ाने का निर्णय लिया. 2008 की आर्थिक मंदी के लिए 2005 में ही एक पेपर प्रजेंट कर रघुराम राजन ने पूर्व आकलन पेश कर दिया था.

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