RJD, सुमर केशव सिंह: आरजेडी में इस वक्त सबसे बड़ा सवाल यही है कि पार्टी को चला कौन रहा है? लालू-राबड़ी और तेजस्वी यादव या फिर सांसद संजय यादव? यह सवाल पार्टी समर्थकों के साथ-साथ अब लालू परिवार के भीतर भी गूंजने लगा है. वजह बनी है एक तस्वीर. जिसमें संजय यादव उस ‘फ्रंट सीट’ पर बैठे दिखे, जहां आमतौर पर लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी या नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बैठते थे.

रोहिणी आचार्य ने उठाया सवाल
आरजेडी समर्थक आलोक कुमार ने सोशल मीडिया पर यह तस्वीर पोस्ट करते हुए सवाल खड़ा किया कि “फ्रंट सीट तो सदैव शीर्ष नेता की होती है, फिर इस सीट पर संजय यादव कैसे?” इस पोस्ट को खुद लालू-राबड़ी की बेटी और तेजस्वी की बहन रोहिणी आचार्य ने रीपोस्ट कर दिया, जिसके बाद पार्टी में घमासान मच गया.
दरअसल, आज आरजेडी समर्थक आलोक आलोक कुमार ने संजय यादव की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने पूछा है कि ‘फंट सीट तो हमेशा शीर्ष नेता की होती है तो, इस सीट पर संजय यादव कैसे?’ यह सवाल इस लिए भी महत्वपूर्ण हो गया क्योंकि इस आलोक कुमार के इस पोस्ट को खुद राहिणी आचार्य ने अपने फेसबुक अकाउंट से रीपोस्ट कर दिया है. जिसके बाद आरजेडी के भीतर घमासान है और शीर्ष नेतृत्व को लेकर ही सवाल खड़ा हो गया है.
पुरानी है ये नाराजगी
गौर करने वाली बात ये है कि आरजेडी के जिस ‘रथ’ की जिस सीट पर संजय यादव बैठे हैं उस सीट पर आम तौर पर तेजस्वी यादव, लालू यादव और राबड़ी देवी बैठा करती थीं. आरजेडी समर्थक सचिन अहीर ने भी रोहिणी आचार्य और आलोक कुमार के इस पोस्ट का समर्थन किया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से संजय यादव की इस हरकत पर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि ये बात वो पहले से ही कहा करते थे. लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी. उन्होंने यह भी कहा कि रोहिणी आचार्य और आलोक कुमार का धन्यवाद दिया है.
आलोक कुमार ने किया पोस्ट
फ्रंट सीट सदैव शीर्ष के नेता – नेतृत्वकर्त्ता के लिए चिन्हित होती है और उनकी अनुपस्थिति में भी किसी को उस सीट पर नहीं बैठना चाहिए.. वैसे अगर “कोई” अपने आप को शीर्ष नेतृत्व से भी ऊपर समझ रहा है, तो अलग बात है !!
वैसे पूरे बिहार के साथ – साथ हम तमाम लोग इस सीट (फ्रंट सीट) पर लालू जी और तेजस्वी यादव को बैठे / बैठते देखने के अभ्यस्त हैं , “उनकी जगह पर कोई और बैठे” ये हमें तो कतई मंजूर नहीं है , ठकुरसुहाती करने वालों , जिन्हें एक दोयम दर्जे के व्यक्ति में एक विलक्षण रणनीतिकार – सलाहकार – तारणहार नजर आता है , की बात अलग है.
“संजय यादव की मर्जी से ही मिलते हैं तेजस्वी”
पार्टी समर्थक सचिन अहीर ने भी इस विवाद का समर्थन करते हुए कहा कि वे पहले से ही चेतावनी देते रहे हैं कि संजय यादव ने खुद को शीर्ष नेतृत्व से भी ऊपर साबित करने की कोशिश की है. उन्होंने संजय यादव को “नकली चाणक्य” बताते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने आरजेडी को अपने कब्जे में ले लिया है. सचिन अहीर का आरोप है कि संजय यादव ने पार्टी हाईजैक कर ली है. मीडिया से लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं तक, सबको तेजस्वी यादव तक पहुंचने के लिए संजय यादव की इजाज़त लेनी पड़ती है. यही वजह है कि कार्यकर्ताओं में गहरी नाराजगी है.
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चुनावी असर की आशंका
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की तस्वीरें और विवाद पार्टी के लिए घातक साबित हो सकते हैं. कार्यकर्ताओं का गुस्सा अगर बढ़ा तो विधानसभा चुनाव में आरजेडी को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. समर्थकों का भी कहना है कि लालू-राबड़ी और तेजस्वी की जगह किसी और को देखना उन्हें मंजूर नहीं है. इस विवाद से साफ है कि आरजेडी के भीतर संजय यादव के बढ़ते कद पर सवाल खड़े हो गए हैं. अब देखना यह होगा कि लालू परिवार और पार्टी नेतृत्व इस अंदरूनी कलह को कैसे सुलझाते हैं.
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