Pawan Singh Join BJP: भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और लोकप्रिय सिंगर पवन सिंह आज 16 महीने बाद फिर से भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होंगे. उनकी भाजपा में लौटने की चर्चा कई दिनों से राजनीतिक गलियारों में चल रही थी. हाल ही में पवन सिंह ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पवन सिंह की वापसी BJP के लिए शाहाबाद क्षेत्र (भोजपुर, बक्सर, रोहतास और कैमूर) में जातीय समीकरण साधने के लिहाज से महत्वपूर्ण है. पार्टी के अनुसार पवन सिंह को संभावित तौर पर आरा या काराकाट सीट से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है.
पहली बार भाजपा में कब शामिल हुए थे पवन सिंह?
पवन सिंह पहली बार 2017 में भाजपा में शामिल हुए थे. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी की अनुमति के बिना काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ा. इसके चलते 22 मई 2024 को उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था. उस समय वे प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य थे. अब पवन सिंह का कहना है कि, “मैं कभी भाजपा से दूर नहीं गया था, बस परिस्थितियां अलग थीं.”
पवन सिंह ने जेपी नड्डा और अमित शाह से की थी मुलाकात
पवन सिंह की भाजपा में वापसी का श्रेय बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और भाजपा नेता ऋतुराज सिन्हा को जाता है. मंगलवार, 30 सितंबर को पवन सिंह ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा से आशीर्वाद लिया. कुशवाहा से मुलाकात के बाद पवन सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. भाजपा ने कहा कि पवन सिंह अब कार्यकर्ता के रूप में NDA को मजबूत करेंगे और आगामी विधानसभा चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाएंगे.
हाल ही में रियलिटी शो से आए हैं बाहर
हाल ही में पवन सिंह ने रियलिटी शो ‘राइज एंड फॉल’ से भी बाहर आने का ऐलान किया. उन्होंने कहा, “मेरी जनता ही मेरा भगवान है और चुनाव के समय मेरा फर्ज है कि मैं उनके बीच रहूं.” यह बयान उनके राजनीतिक सक्रियता की पुष्टि करता है.
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पवन सिंह की BJP में वापसी के पीछे दो मुख्य कारण हैं:
शाहाबाद का जातीय समीकरण: यह क्षेत्र यादव, कुशवाहा और राजपूत जातियों से प्रभावित है. यादव लगभग 20%, कुशवाहा 10-12% और राजपूत 15% आबादी में हैं. पवन सिंह राजपूत समाज से आते हैं, जिससे इस क्षेत्र में भाजपा को वोट बैंक मजबूत करने में मदद मिलेगी.
लोकप्रियता और चुनावी क्षमता: 2024 में पवन सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर पर रहे. उन्हें 2.74 लाख वोट मिले, जो NDA के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा से 21 हजार अधिक थे.
पवन सिंह को पार्टी में आने से क्या फायदा होगा?
पवन सिंह की वापसी से न केवल शाहाबाद में भाजपा को लाभ मिलने की संभावना है, बल्कि पार्टी की लोकप्रियता और युवाओं में पकड़ भी मजबूत होगी. पार्टी अब उनकी सक्रिय भूमिका से भोजपुर और आसपास के चार जिलों में चुनावी रणनीति को सशक्त बनाने की योजना बना रही है.
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