Bihar Election 2025: बिहार चुनाव से पहले पक्ष-विपक्ष में जंग तेज हो गई है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भाजपा कोटे से बिहार सरकार में मंत्री जीवेश मिश्रा पर यूट्यूबर से मारपीट का आरोप लगाते हुए सोमवार को दरभंगा में FIR करवाया. जवाब में भाजपा ने भी तेजस्वी को घेरा है. “माई बहिन योजना” के नाम पर एक महिला से ठगी के आरोप में तेजस्वी और उनके सहयोगियों पर पर्दे के पीछे रहकर FIR दर्ज करवाया है. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या अब राजनीति की लड़ाई FIR पर आ गई है. Bihar: कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए बनाई 39 सदस्यीय प्रदेश इलेक्शन कमेटी, कई युवा चेहरे हुए शामिल
सत्ता पर दबाव बनाने की कोशिश
यह मामला जितना आसान दिखता है वह इतना भी आसान नहीं है. अगर आप इस पूरे मामले के तह में जाएंगे तो पता चलेगा कि यह लड़ाई दो नेताओं के बीच नहीं बल्कि दोनों गठबंधन के बीच में है. विपक्ष सत्ता पक्ष के खिलाफ एग्रेसिव होकर बयान दे रहा है. साथ ही पूरे प्रदेश में रैली और जनसभाओं के माध्यम से सरकार पर दबाव बना रहा है. इसके साथ ही वह जनता को संदेश देना चाहता है कि बिहार की सरकार पटना से नहीं दिल्ली से चलती है और जेडीयू-बीजेपी के साथ रहकर प्रदेश का भला नहीं कर सकती है.
विपक्ष को मुद्दाहीन बताने की कोशिश
वहीं, एनडीए गठबंधन के नेता भी पीछे नहीं हैं. वह प्रदेश भर में अपनी जनसभाओं के माध्यम से यह बता रहा है कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा ही नहीं है. इसके साथ ही सत्ता पक्ष लोगों को यह भी बताने की कोशिश कर रहा है कि अगर इस चुनाव में महागठबंधन की सरकार आती है तो बिहार का विकास फिर से रुक जाएगा और प्रदेश में जंगलराज आएगा.
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चुनाव मोदी बनाम तेजस्वी करने की कोशिश
बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले बताते हैं कि बीजेपी और राजद दोनों यह जानती है कि बिहार में नीतीश कुमार के बिना किसी भी गठबंधन की सरकार नहीं बनने वाली है. नीतीश कुमार के वोटर उसी को वोट देंगे जिस गठबंधन में वह रहेंगे. इसलिए विपक्ष खासकर राजद इस बार का चुनाव तेजस्वी बनाम मोदी करने में जुटा है. विपक्ष को लगता है कि अगर यह चुनाव में मोदी बनाम तेजस्वी होगा तो युवा और बिहारी होने का फायदा तेजस्वी यादव को मिलेगा और फर्स्ट टाइम वोटर महागठबंधन का साथ देगा और दो दशक से चल रहे राजद का सत्ता का वनवास खत्म हो सकता है. वहीं, बीजेपी भी यही चाहती है. इसके पीछे की वजह यह हो सकती है कि जिन राज्यों में अब तक मोदी बनाम विपक्ष के नेता का मुकाबला हुआ है, वहां बीजेपी को फायदा हुआ है. उदाहरण के लिए यूपी, उत्तराखंड, दिल्ली समेत कई राज्यों में इसका फायदा भाजपा को मिला है और पार्टी सत्ता में आई है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि चुनाव से पहले एनडीए और महागठबंधन एक दूसरे पर दबाव बनाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहता है.
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