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बिहार की राजनीति में होने वाली है एक और बाहुबली के बेटे की एंट्री, नबीनगर से लड़ सकते हैं चुनाव

बिहार: बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन अपने छोटे बेटे अंशुमान आनंद को औरंगाबाद जिले की नबीनगर सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी में हैं. इसके पीछे वजह ये हैं कि आनंद मोहन की पत्नी लवली भी 1996 में पहली बार इसी सीट से विधायक बनी थीं.

बिहार में विधानसभा चुनाव के एलान के साथ ही अब एक बार फिर से बाहुबली नेता चर्चा में हैं. इस बार कई बाहुबली खुद चुनाव न लड़कर अपने बेटों को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में हैं. बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब के बाद एक और बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन के छोटे बेटे अंशुमान आनंद के चुनाव लड़ने की संभावना है. सूत्रों के मुताबिक आनंद मोहन ने अपने बेटे के लिए सीट और पार्टी भी फाइनल कर लिया है.  

नबीनगर से चुनाव लड़ सकते हैं अंशुमान 

सूत्रों के मुताबिक आनंद मोहन अपने दूसरे बेटे अंशुमान आनंद को औरंगाबाद जिले की नबीनगर सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी में हैं. इसके पीछे वजह ये हैं कि आनंद मोहन की पत्नी लवली भी 1996 में पहली बार इसी सीट से विधायक बनी थीं. हालांकि इससे पहले वह 1994 में वैशाली सीट से उप-चुनाव जीतकर सांसद बन चुकी थीं. वहीं, अंशुमान के भाई चेतन आनंद शिवहर से जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के टिकट पर लड़ सकते हैं. 

Anand Mohan
बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन

2020 में RJD के साथ था आनंद परिवार 

2019 के लोकसभा और 2020 के विधानसभा चुनाव में आनंद मोहन का परिवार राष्ट्रीय जनता दल के साथ था. 2019 के लोकसभा चुनाव में लवली राजद के टिकट पर सहरसा से चुनाव भी लड़ा. लेकिन बीजेपी उम्मीदवार से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव में आनंद मोहन के बड़े बेटे चेतन  शिवहर विधानसभा से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के टिकट पर विधायक बनें. बाद में जब 2024 में मुख्यमंत्री नीतीश महागठबंधन छोड़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ आए तो चेतन ने भी राजद का साथ छोड़ दिया. हालांकि वह अभी भी RJD के  ही विधायक हैं.

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1990 में पहली बार महिषी से विधायक बने थे आनंद मोहन  

आनंद मोहन 1990 में पहली बार सहरसा जिले की महिषी सीट से विधायक बने थे और तब उस इलाके में पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव से अपने झगड़े को लेकर अगड़ों के नेता के तौर पर उभरे थे. 1996 और 1998 में दो बार वो शिवहर लोकसभा सीट से सांसद बने. मुजफ्फरपुर में गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की 1994 में मॉब लिंचिंग केस में फंसने के बाद आनंद और उनके परिवार पर राजनीतिक संकट छा गया. 2005 में लवली जेडीयू के टिकट पर बाढ़ सीट से एक बार जीतीं लेकिन वह विधानसभा कुछ महीने में ही भंग हो गई.

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Prashant Tiwari
Prashant Tiwari
प्रशांत तिवारी डिजिटल माध्यम में पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में एक्टिव हैं. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी से करके राजस्थान पत्रिका होते हुए फिलहाल प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम तक पहुंचे हैं, देश और राज्य की राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखते हैं. साथ ही अभी पत्रकारिता की बारीकियों को सीखने में जुटे हुए हैं.

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