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Analysis Bihar Election: खास नहीं ‘बहुत खास’ होने वाले हैं विधानसभा चुनाव 2025, बिहार ही नहीं बंगाल को भी करेगा प्रभावित

Analysis Bihar Election 2025 यह चुनाव बेहद खास होने वाला है. नीतीश कुमार तेजस्वी यादव और बीजेपी तीनों के लिए अहम होगा. यह चुनाव न केवल बिहार की राजनीति के लिए अहम होगा ब‍ल्कि पूरे देश के अलावा बंगाल और झारखंड पर बड़ा असर डालने वाला होने वाला है.

आज शाम 4 बजे बिहार के चुनाव के तारीखों और शेड्यूल का एलान कर दिया जाएगा. इसी के साथ उस चुनाव की भी घोषणा हो जाएगी, जो पूरे देश के लिए मॉडल भी बनेगा. वैसे तो राजनीतिक दलों के लिए सभी चुनाव अहम होते हैं. मगर यह चुनाव भारतीय चुनाव परंपरा और लोकतांत्रिक मजबूती के लिए भी खास होने वाला है. जहां एक तरफ यह चुनाव निर्वाचन आयोग के 17 नए बदलावों और SIR के वोटर शुद्धिकरण के बाद हो रहा है. वहीं, यह चुनाव बिहार की राजनीतिक तस्‍वीर भी बदलने वाला होगा. मसलन, यह चुनाव न केवल बिहार के सत्‍ता की कुर्सी का चुनाव होगा बल्कि कई राज्‍यों के राजनीतिक समीकरण को भी नई दिशा देने वाला होगा.

नीतीश कुमार का आखिरी चुनाव होगा विधानसभा चुनाव 2025?

राजनीतिक गलियारों इस बात की चर्चा है कि यह विधानसभा चुनाव बिहार के विकास पुरुष यानी नीतीश कुमार का आखिरी चुनाव होने वाला है. क्‍यों? इस पर चर्चा लंबी हो जाएगी, लेकिन बीजेपी फिलहाल नीतीश कुमार के चेहरे को आगे कर चुनावी दांव खेल रही है. नीतीश कुमार काम कर रहे हैं, उन्‍होंने अभी तक अपनी आगे के राजनीतिक भविष्‍य को लेकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन क्‍या सीएम नीतीश का यह आखिरी चुनाव होगा!

बड़े भाई की भूमिका में आने को बेताब बीजेपी

वहीं, दूसरी तरफ बिहार में बीजपी 20 सालों से सत्‍ता की कुर्सी पर काबिज होने का प्रयास कर रही है. जिसमें वो सफल नहीं हो पाई है. बिहार की राजनीति पर सीएम नीतीश की मजबूत पकड़ की वजह से बीजपी का ये प्रयास बीस सालों में सफल नहीं हो पाया है. लेकिन विपक्ष उनके उम्र को लेकर सवाल उठा रहा है. माना जा रहा है विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी यह सवाल उठा सकती है. शायद इसी को आधार बनाकर बिहार की कुर्सी पर काबिज होने का दांव खेले. मगर ये देखने वाली बात ये होगी कि क्‍या बीजेपी अपने इस सपने को इस बार पूरा कर पाती है! या उसे अभी और पांच साल इंतजार करना होगा?

तेजस्‍वी के अगले 10-15 साल तय करेगा ये चुनाव

प्रभात खबर के वरिष्‍ठ पत्रकार डिप्‍टी चीफ रिपोर्टर शशि भूषण कहते हैं कि ये चुनाव न सिर्फ बीजेपी और जेडीयू के लिए अहम होने वाला है बल्कि महागठबंधन की पार्टियों के लिए भी बेहद खास होगा. सबसे अहम तो बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्‍वी यादव के लिए! क्‍योंकि पिछली बार लगभग 22 सीटों पर उनकी हार का मार्जिंन बेहद कम था. वो सीएम की कुर्सी से बस चूक गए थे. ऐसे में इस बार का चुनाव उनके आगामी 10-15 साल का भविष्‍य तो तय करेगा ही. कुछ नहीं तो 5 साल तो बिल्‍कुल फिक्‍स है. गौर करने वाली बात ये भी है कि लालू परिवार में आंतरिक कलह है. तेजप्रताप यादव, मीसा भारती और रोहिणी आचार्या मोर्चा खोले हुईं हैं. तेजप्रताप यादव राजद की हार में कितनी बड़ी भूमिका निभाते हैं! यह एक अलग राजनीतिक सवाल हो सकता है.

महागठबंधन का कुनबा हुआ बड़ा

बिहार की राजनीति और चुनावी समीकरणों को करीब से देखने वाले सीनियर जर्नलिस्‍ट शशि भूषण का मानना है कि ये चुनाव पूरे महागठबंधन के लिए भी खास है. इस बार दो पार्टियां नई इंडी-अलाइंस में शामिल हो रही हैं. हांलांकि वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी पहले से ही शामिल हैं. मगर अब इस गठबंधन में पशुपति पारस भी शामिल हो गए हैं. हालांकि अभी महागठबंधन आपस में सीट बंटवारे को लेकर माथापच्‍ची में लगा है. इसके अलावा झारखंड की सत्‍तारूढ़ पार्टी जेएमएम भी बिहार में अपने पांव पसरने की मंशा पाले हुए है. ऐसे 12 सीटों की डिमांड उनकी ओर से भी आ रही है. ऐसे में यह अहम हो जाता है कि महागठबंधन का नेतृत्‍व कर रही आरजेडी और उसके मुखिया तेजस्‍वी यादव क्‍या फैसला लेते हैं.

कांग्रेस के लिए डगर नहीं आसान!

इधर, कांग्रेस पार्टी की डगर भी आसान नहीं है. कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव बेहद अहम होने वाला है. पिछली बार उसने महागठबंधन से 70 सीटें ली थीं. लेकिन इनमें से केवल 19 सीट ही जीत सकी थी. ऐसे में इस बार आरजेडी डरी हुई है. आरजेडी का यह भी मानना है कि तेजस्‍वी यादव के सिर से बिहार के सीएम का ताज कांग्रेस की वजह से ही दूर हो गया. ऐसे में आरजेडी जहां कांग्रेस को ज्‍यादा सीट देने से बचेगी, वहीं कांग्रेस की कोशिश जिताउ सीट पर चुनाव लड़ने की होगी. ताकि इस बार जीत का स्‍ट्राइक रेट सुधारा जा सके. कांग्रेस का आरोप है कि पिछले बार उसे ऐसी सीटें दी गईं थीं जहां हार तय थी. लिहाजा इस बार ये देखने वाली बात होगी कि सीट बंटवारे के ‘आग के दरिया’ को कांग्रेस कैसे पार करती है? क्‍या उसकी सहमति 70 सीटों पर बनती है या आरजेडी उसे 30 से 35 सीटों पर समेट देती है!

बड़ा सवाल, नए राजनीतिक दल के रूप में उभरेंगे प्रशांत!

बिहार की राजनीति में इस बार कई नए दल और कई पुराने चेहरे नए दल के साथ दिखाई देने वाले हैं. प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जनसुराज’, तेजप्रताप यादव की पार्टी जनशक्ति जनता दल, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्‍ट्रीय लोक मोर्चा और पशुपति पारस की राष्‍ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी पहली बार बिहार विधानसभा के चुनाव में नजर आने वाली है. ऐसे में सभी दल चुनावी जंग में ताल ठोकने को तैयार है. मगर देखने वाली बात ये होगी कि कौन सी पार्टी अपना कितना दम दिखा पाती है? क्‍या प्रशांत किशार की पार्टी उनके दावे के अनुसार प्रदर्शन करती है या फुस्‍स साबित होती है, वहीं, तेजप्रताप यादव अपनी पार्टी बनाकर तेजस्‍वी यादव को कितना डेंट देते है. यह सब अब चुनाव के परिणाम पर तय होगा. साथ ही यह भी तय होगा कि कौन सी पार्टी अपना अस्तित्‍व बचा पाती है कौन नहीं?

चुनाव आयोग के लिए भी खास है ये चुनाव

राजनीतिक बातों के अलावा भी इस बार का चुनाव खुद निर्वाचन आयोग के लिए बेहद अहम होने वाला है. इस बार बिहार में 17 बड़े बदलावों से साथ चुनाव हो रहा है. चुनाव आयोग के प्रमुख ज्ञानेंद्र कुमार कह चुके हैं कि इस बार के चुनाव के दौरान 17 बदलाव किए गए हैं. जिसके बाद इन बदलावों के सफल परीक्षण के बाद पूरे देश में इसे लागू किया जाएगा. यानी पूरे देश में बिहार के पैटर्न पर ही चुनाव होंगे.

बंगाल चुनाव पर दिखेगा बिहार चुनाव का असर

जैसा कि पाठकों को मालूम है कि इस बार चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision, SIR) किया गया. जिसमें 21.53 लाख नए मतदाताओं को जोड़ा गया और 3.66 लाख नाम हटाए गए हैं. चुनाव आयुक्‍त ने बिहार चुनाव को काफी अहम बताया है. उन्‍होंने कहा कि, मतदाता सूची पिछले 22 वर्षों के बाद ‘मतदाताओं के शुद्धिकरण’ के बाद हो रहा है. जो लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक बड़ा कदम है.

बिहार के बाद बंगाल में SIR की तैयारी

चुनाव आयोग के प्रमुख के बयान को ही माने तो नए पैटर्न पर चुनाव दूसरे राज्‍यों में भी कराए जाएंगे. ऐसे में बंगाल में भी SIR होना तय है. प्रभात खबर के पास इस बात की जानकारी है कि SIR अब पूरे देश में कराया जाएगा. याद दिला दें कि अब बिहार के बाद बंगाल में मार्च 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. बिहार के विधानसभा चुनाव का काफी असर बंगाल में दिखना तय है.

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Keshav Suman Singh
Keshav Suman Singh
बिहार-झारखंड और दिल्ली के जाने-पहचाने पत्रकारों में से एक हैं। तीनों विधाओं (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब) में शानदार काम का करीब डेढ़ दशक से ज्‍यादा का अनुभव है। वर्तमान में प्रभात खबर.कॉम में बतौर डिजिटल हेड बिहार की भूमिका निभा रहे हैं। इससे पहले केशव नवभारतटाइम्‍स.कॉम बतौर असिसटेंट न्‍यूज एडिटर (बिहार/झारखंड), रिपब्लिक टीवी में बिहार-झारखंड बतौर हिंदी ब्यूरो पटना रहे। केशव पॉलिटिकल के अलावा बाढ़, दंगे, लाठीचार्ज और कठिन परिस्थितियों में शानदार टीवी प्रेजेंस के लिए जाने जाते हैं। जनसत्ता और दैनिक जागरण दिल्ली में कई पेज के इंचार्ज की भूमिका निभाई। झारखंड में आदिवासी और पर्यावरण रिपोर्टिंग से पहचान बनाई। केशव ने करियर की शुरुआत NDTV पटना से की थी।

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