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रतन टाटा को टाटा नैनो बनाने का आइडिया कैसे आया? मुंबई की बारिश ने बदल दी सोच

मुंबई की बारिश में एक परिवार को स्कूटर पर संघर्ष करते देख रतन टाटा को टाटा नैनो बनाने का विचार आया. जानिए कैसे एक दृश्य ने बदल दी भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री

रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार और कार्य आज भी जीवित हैं. टाटा नैनो का निर्माण उनके उसी दूरदर्शी सोच का प्रतीक है, जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया कि कैसे एक भारतीय उद्योगपति ने आम आदमी के लिए एक लाख रुपये में कार देने का सपना देखा और उसे साकार भी किया. एक लाख की कार का सपना – टाटा नैनो की प्रेरणा : मुंबई की तेज बारिश में एक परिवार को स्कूटर पर संघर्ष करते देख रतन टाटा के मन में एक विचार ने जन्म लिया- क्या हर भारतीय को एक सुरक्षित और सस्ती कार नहीं मिलनी चाहिए? इसी सोच से शुरू हुआ टाटा नैनो का सफर. मात्र ₹1 लाख की कीमत में एक चार पहिया वाहन देना एक क्रांतिकारी कदम था, जिसने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को हिला कर रख दिया.

बारिश में भीगता परिवार बना प्रेरणा

रतन टाटा ने एक दिन मुंबई की मूसलधार बारिश में एक परिवार को स्कूटर पर जाते देखा. बच्चों को बीच में बैठाकर, माता-पिता बारिश से जूझते हुए सफर कर रहे थे. यह दृश्य उनके दिल को छू गया और उन्होंने ठान लिया कि एक ऐसी कार बनाई जाए जो आम आदमी की पहुंच में हो.

टाटा नैनो: आम आदमी की कार

टाटा नैनो को 2008 में लॉन्च किया गया था और इसे दुनिया की सबसे सस्ती कार के रूप में पेश किया गया. इसकी शुरुआती कीमत मात्र ₹1 लाख रखी गई थी. इसका उद्देश्य था उन परिवारों को चार पहियों की सुरक्षा देना जो दोपहिया वाहनों पर सफर करते थे.

डिजाइन और फीचर्स

  • इंजन: 624cc, 2-सिलेंडर पेट्रोल इंजन
  • गियरबॉक्स: 4-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन
  • फ्यूल टैंक: बिना कैप के डिजाइन
  • बेसिक सुविधाएं: एक वाइपर, एक साइड मिरर, तीन लुग नट्स प्रति व्हील
  • वेरिएंट्स: Nano Standard, Nano CX, Nano LX (जिसमें एयर कंडीशनिंग और बेहतर इंटीरियर था).

क्या हुआ बाद में?

हालांकि शुरुआत में इसे “People’s Car” कहा गया और काफी प्रचार हुआ, लेकिन बिक्री उम्मीद से कम रही. उत्पादन में देरी, गुणवत्ता को लेकर संदेह और सुरक्षा चिंताओं ने इसकी लोकप्रियता को प्रभावित किया. 2018 में इसका उत्पादन बंद कर दिया गया.

टाटा की विरासत

टाटा नैनो ने दुनिया को दिखाया कि कैसे इनोवेशन और सामाजिक सोच मिलकर एक क्रांतिकारी उत्पाद बना सकते हैं. आज भी इसे एक साहसिक प्रयोग और भारत के ऑटोमोबाइल इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है.

टाटा समूह में रतन टाटा का उदय

1981 में जेआरडी टाटा ने रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी चुना. शुरुआत में लोगों को उनके नेतृत्व पर संदेह था, लेकिन उन्होंने नेल्को और कपड़ा उद्योग जैसे संघर्षरत क्षेत्रों को पुनर्जीवित कर अपनी क्षमता साबित की.

वैश्विक ब्रांडों का अधिग्रहण और सामाजिक दृष्टिकोण

टेटली, कोरस और जगुआर लैंड रोवर जैसे ब्रांडों का अधिग्रहण रतन टाटा की दूरदर्शिता का प्रमाण है. उन्होंने टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया और साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे सामाजिक क्षेत्रों में भी योगदान दिया.

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Rajeev Kumar
Rajeev Kumar
राजीव, 14 वर्षों से मल्टीमीडिया जर्नलिज्म में एक्टिव हैं. टेक्नोलॉजी में खास इंटरेस्ट है. इन्होंने एआई, एमएल, आईओटी, टेलीकॉम, गैजेट्स, सहित तकनीक की बदलती दुनिया को नजदीक से देखा, समझा और यूजर्स के लिए उसे आसान भाषा में पेश किया है. वर्तमान में ये टेक-मैटर्स पर रिपोर्ट, रिव्यू, एनालिसिस और एक्सप्लेनर लिखते हैं. ये किसी भी विषय की गहराई में जाकर उसकी परतें उधेड़ने का हुनर रखते हैं. इनकी कलम का संतुलन, कंटेंट को एसईओ फ्रेंडली बनाता और पाठकों के दिलों में उतारता है. जुड़िए [email protected] पर

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