End Of Life Vehicles: क्या आपकी कार 15 साल पुरानी हो चुकी है? तो संभल जाइए! भारत में अब ऐसी गाड़ियों को चलने लायक नहीं माना जाता – और इसके पीछे हैं कई ठोस कारण जो पर्यावरण, सुरक्षा और तकनीक से जुड़े हैं. आइए जानें क्यों 15 साल बाद एक कार को ‘स्क्रैप’ करने की सलाह दी जाती है.
1. प्रदूषण का बढ़ता खतरा
पुरानी कारें आधुनिक BS6 उत्सर्जन मानकों का पालन नहीं करतीं. इनके इंजन से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण को बढ़ाता है, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों पर असर पड़ता है.
2. तकनीकी पिछड़ापन
15 साल पहले की तकनीक आज के स्मार्ट फीचर्स से काफी पीछे है. नई कारों में ABS, एयरबैग्स, ECU और स्मार्ट सेफ्टी सिस्टम होते हैं, जो पुरानी कारों में नहीं मिलते.
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3. रखरखाव की बढ़ती लागत
समय के साथ इंजन, ब्रेक, सस्पेंशन जैसे पुर्जे घिस जाते हैं. इनकी मरम्मत में खर्चा बढ़ता है और विश्वसनीयता घटती है.
4. कानूनी प्रतिबंध
दिल्ली-NCR जैसे क्षेत्रों में 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल कारों पर प्रतिबंध है. यह नियम पर्यावरण संरक्षण के लिए बनाए गए हैं.
End Of Life Vehicles: पर्यावरण, तकनीक और जनहित से जुड़ा जरूरी कदम
15 साल पुरानी कारों को स्क्रैप करने की सलाह केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह पर्यावरणीय सुरक्षा, तकनीकी उन्नति और सार्वजनिक हित से जुड़ा एक जरूरी कदम है. जैसे-जैसे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री स्मार्ट और सस्टेनेबल दिशा में बढ़ रही है, वैसे-वैसे पुरानी गाड़ियों का स्थान नई, सुरक्षित और कम प्रदूषण फैलाने वाली कारें ले रही हैं.
अगर आपकी कार 15 साल पुरानी हो चुकी है, तो अब समय है सोचने का – क्या आप पर्यावरण के साथ-साथ अपनी सुरक्षा को भी प्राथमिकता दे रहे हैं?
भविष्य की ओर बढ़िए, जहां गाड़ियाँ सिर्फ चलने का साधन नहीं, बल्कि स्मार्ट और ग्रीन टेक्नोलॉजी का प्रतीक बन चुकी हैं.
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