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कोर्ट बना मंदिर, दूल्हे ने बगैर दहेज भरी मांग
बांका : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण, महिला विकास और महिला को समानता का अधिकार समाज में देने की खूब बहस छिड़ी है. परंतु महिला दिवस की पूर्व संध्या गुरुवार को कोर्ट में एक दिलचस्प घटना घटित हुई. गरीब की बेटी होने पर लड़के के परिवार वालों ने शादी से इंकार कर दिया, पर […]
बांका : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण, महिला विकास और महिला को समानता का अधिकार समाज में देने की खूब बहस छिड़ी है. परंतु महिला दिवस की पूर्व संध्या गुरुवार को कोर्ट में एक दिलचस्प घटना घटित हुई. गरीब की बेटी होने पर लड़के के परिवार वालों ने शादी से इंकार कर दिया, पर लड़के ने परिजनों के फैसला को ठुकराते हुए शादी कर लोगों की बधाई बंटोरी.
हालांकि, कोर्ट में शादी करने की रीति लंबे समय से चली आ रही है, परंतु गुरुवार को महत्वपूर्ण दृश्य देखने को मिला. सड़क पर ही वर-वधु का पैर रंगायी रश्म हुई. आखों में कजरा सजा और सेहरा की जगह दूल्हे ने टोपी से ही काम चला लिया. जी हां, शंभूगंज कसबा के दीपक व अमरपुर डुमरामा की काजल कुमारी कोर्ट मैरेज व मंदिर में हिन्दू धर्म के मुताबिक शादी कर एक-दूजे के हो गये.
सड़क पर गाये गये िवदाई गीत
जानकारी के मुताबिक युवक और युवती की शादी फाइनल हो चुकी थी. दूल्हे के किसी रिश्तेदार ने लड़की का घर जाकर देखा. लड़की के घर के रख-रखाव और शादी में कुछ देने-लेने की हैसियत नहीं देख रिश्ते को नामंजूर करने की पेशकश की, लेकिन दूल्हा बिना दहेज के शादी करने की जिद पर अड़ा रहा. दुल्हा ने अपने ससुराल पक्ष से लड़की के माता-पिता सहित अन्य सगे-संबंधी और अपने पक्ष (दुल्हा) से भी कुछ गांव वालो को लेकर कोर्ट पहुंचा और नियम पूर्वक कोर्ट में शादी रचायी. खास बात यह है कि सड़क पर ही विदायी गीत गाया गया और आंसू भी बहाये गये. अंतत: सभी के आशीर्वाद पाकर नव दंपति अपने घर को विदा हो गये.
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