माहवारी एक औरत की जिंदगी की सहज प्रक्रिया है और एक सामान्य बात है जिससे सभी वाकिफ हैं. लेकिन समाज में व्याप्त धारणाओं के कारण इसे एक रहस्यमयी प्रक्रिया बना दिया गया है जिसका खामियाजा अकसर किशोरियों को भुगतना पड़ता है.
शहरी और ग्रामीण इलाके की किशोरियों कई बार इसके कारण अपमान भी झेलती हैं. शहरी इलाकों में ‘कोएड एजुकेशन’ वाले स्कूलों में कई बार लड़कियां अपमानित होती हैं. माहवारी के दिनों में वे ड्रिप्रेशन की शिकार तक हो जाती हैं और कई बार स्कूल जाने से बचती भी हैं.
अमानवीय है महिलाओं का ‘खतना’, 20 करोड़ महिलाओं के साथ हो चुका है यह हादसा
ध्यान दें, माहवारी के दौरान गंदे कपड़े का प्रयोग बन सकता है बांझपन का कारण
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