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दुनिया के सबसे गंदे आदमी की पानी से हो गई मौत, कारण जानकर हैरान रह जाएंगे आप

पानी से दुनिया के जिस सबसे गंदे आदमी की मौत हो गई, उनका नाम अमौ हाजी था. पिछले रविवार यानी 23 अक्टूबर 2022 को उन्होंने ईरान के देजगाह गांव में अपनी आखिरी सांसें लीं.

नई दिल्ली : ‘जल है तो जीवन है.’ यह ब्रह्मवाक्य धरती के हर जीवों के लिए है. मतलब यह कि जल यानी पानी और पानी जीवनदायी है. मगर, आपने कभी ये सोचा है कि पानी या जल से किसी की मौत भी हो सकती है? भला बताइए, नरम तरल पदार्थ पानी क्यों किसी को मारेगा. मगर जनाब, जरा रुकिए, ठहरिए और अपने दिल को थामिए. यह हकीकत है कि पानी से एक आदमी की मौत हो गई है. इसमें पानी का दोष नहीं है और न ही उस व्यक्ति का, जो मर गया; बल्कि दोष वक्त और सोच का है. दुनिया का सबसे गंदा आदमी 94 साल की उम्र में केवल इसलिए मर गया कि वह 60 साल बाद पानी से नहा लिया. नहाने के लिए जैसे ही उनकी देह पर पानी डाला गया, आत्मा देह से निकल गई.

ईरान देजगाह गांव में लीं आखिरी सांसें

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पानी से दुनिया के जिस सबसे गंदे आदमी की मौत हो गई, उनका नाम अमौ हाजी था. पिछले रविवार यानी 23 अक्टूबर 2022 को उन्होंने ईरान के देजगाह गांव में अपनी आखिरी सांसें लीं. चौंकाने वाली बात तो यह है कि अमौ हाजी पिछले 60 साल से नहाए नहीं थे. ईरान न्यूज के अनुसार, अमौ हाजी अकेले जीवन गुजारते थे. उन्हें उनके मन में हमेशा इस बात का डर समाया रहता था कि अगर उनके शरीर पर पानी पड़ जाएगा, तो वे बीमार हो जाएंगे. इसी डर की वजह से वे बीते 60 साल से नहाए नहीं थे.

60 सालों से नहीं किया था स्नान

द गार्डियन की खबर के अनुसार, अमौ हाजी ने ईरान के देजगाह गांव में बीते रविवार को आखिरी सांस ली. ईरान न्यूज के अनुसार, हाजी अकेले रहते थे और बीमार पड़ने के डर से 60 सालों से नहीं नहाए थे. हालांकि, कुछ महीने पहले उसके गांव के लोगों ने उसे जबरदस्ती नहलाया था, तब हाजी की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं. इसे देख लोग चकित थे कि सालों तक न नहाने का हाजी का रिकॉर्ड सच में था.

बुरे वक्त से बिगड़ा दिमागी संतुलन

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अमौ हाजी ईंट की एक खुली झोपड़ी में रहते थे. जब वे जवान थे, तभी उन्होंने काफी बुरे वक्त को झेला. उस बुरे वक्त ने उनके दिमाग पर इतना अधिक गहरा प्रभाव डाला कि उन्हें पानी से डर लगने लगा. उन्हें ये लगता था कि नहाने से आदमी बीमार पड़ जाता है. बीमार होने के भय से उन्होंने स्नान करना बंद कर दिया. उनकी जिद थी कि वे स्नान नहीं करेंगे और करीब 60 सालों तक उन्होंने स्नान नहीं किया.

मृत पशुओं का खाते थे मांस

तेहरान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमौ हाजी की जब दिमागी हालत खराब हो गई, तो उनके सामने जीवन जीने का कोई सहारा न रहा. वे जानवरों की तरह जीवन व्यतीत करने लगे. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमौ हाजी को जब भूख लगती और आसपास में खाने की कोई चीज न होती, तो सड़क के किनारे मृत पशुओं के मांस को ही खाना शुरू कर देते. चौंकाने वाली बात यह है कि उनमें सिगरेट पीने की आदत थी. पागलपन में जब उन्हें सिगरेट नहीं मिलने लगी, तो वे जानवरों के मल को पाइप में भरकर सिगरेट टाइप बना लेते और फिर उसका ही कश लगाते थे.

सफाई से लगता था डर

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमौ हाजी ये मानते थे कि सफाई उन्हें मीबार कर देगी. उनकी इसी सोच की वजह से उन्हें दुनिया के सबसे गंदे आदमी का तमगा दिया गया था. हालांकि, सोशल मीडिया पर उनकी गंदगी भरी जिंदगी की कुछ तस्वीरों को वायरल किया गया, लेकिन ये काम उन्होंने रिकॉर्ड बनाने के लिए नहीं किया. दिमागी हालत खराब होने के कारण वे दुनिया के सबसे गंदे आदमी बने. यही वजह है कि वर्ष 2013 में उनके नाम पर ‘द स्ट्रेंज लाइफ ऑफ अमौ हाजी’ डॉक्यूमेंटरी भी बनाई गई.

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पूरी तरह स्वस्थ था सबसे बड़ा गंदा आदमी

सबसे बड़ी बात यह है कि अपने जीवन में तकरीबन 60 साल तक स्नान करने वाले अमौ हाजी स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पूरी तरह स्वस्थ थे. उनके स्वास्थ्य को लेकर दुनिया के कई नामी-गिरामी शोधकर्ताओं ने शोध भी किया. किंतु, उनके शरीर के अंद कोई बीमारी नहीं निकली.

KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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