UK suspends intelligence sharing with US: फाइव आइज अलायंस दुनिया का सबसे पुराना और अपने तरह का विशिष्ट खुफिया जानकारी साझा करने का नेटवर्क है. 1946 में स्थापित इस तंत्र में ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं. इन देशों की इंटेलीजेंस की यूनिट आपस में जानकारी साझा करती हैं. लेकिन अब इनमें से एक आंख यानी ब्रिटेन, अमेरिका से नाराज हो गई है. ब्रिटेन अब कैरेबियाई सागर में संदिग्ध मादक पदार्थ तस्करी से जुड़ी नौकाओं के बारे में अमेरिका के साथ खुफिया जानकारी साझा नहीं करेगा. ब्रिटेन को चिंता है कि उसकी खुफिया जानकारी का उपयोग अमेरिकी सैन्य हमलों में किया जा सकता है, जिन्हें ब्रिटिश अधिकारी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन मानते हैं.
ब्रिटेन के नियंत्रण में कैरेबियाई क्षेत्र में कई द्वीप हैं. सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, वह कई वर्षों से अमेरिकी कोस्ट गार्ड की मदद कर रहा था ताकि मादक पदार्थों की तस्करी में संलिप्त संदिग्ध जहाजों का पता लगाया जा सके. हालांकि सितंबर से अमेरिका द्वारा इन नौकाओं पर घातक हमले शुरू कर दिए गए. इसके बाद ब्रिटेन ने चिंता जताई कि कहीं अमेरिकी सेना ब्रिटिश खुफिया सूचनाओं का इस्तेमाल इन हमलों के लक्ष्यों को चुनने में न कर रही हो. ब्रिटिश अधिकारियों का मानना है कि इन अमेरिकी सैन्य हमलों में अब तक 76 लोगों की मौत हो चुकी है और ये अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हैं.
ब्रिटेन और अमेरिका के बीच दरार!
रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन ने एक महीने से अधिक पहले इस तरह की खुफिया जानकारी साझा करना अस्थायी रूप से रोक दिया था. यह फैसला ब्रिटेन और अमेरिका के बीच संबंधों में एक महत्वपूर्ण दरार को दर्शाता है. इससे लगता है कि कि लंदन में अमेरिकी अभियानों की वैधता को लेकर बढ़ती शंकाएं हैं. इस फैसले ने लैटिन अमेरिका में अमेरिकी सैन्य अभियानों की वैधता को लेकर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय संदेह को और मजबूत किया है.
ब्रिटेन किसे देता था जानकारी?
ब्रिटेन के पास कैरेबियाई क्षेत्र में कई इलाकों में खुफिया संसाधन मौजूद हैं. वह कई वर्षों से अमेरिका की मदद करता आया है ताकि अमेरिकी कोस्ट गार्ड इन संदिग्ध जहाजों को पकड़ सके, उनके क्रू को हिरासत में ले सके और मादक पदार्थों को जब्त कर सके. आमतौर पर यह जानकारी फ्लोरिडा स्थित ज्वाइंट इंटरएजेंसी टास्क फोर्स साउथ को भेजी जाती थी, जो मादक पदार्थों की अवैध तस्करी को रोकने के लिए एक बहुराष्ट्रीय संस्था है.
संयुक्त राष्ट्र ने भी जताई थी चिंता
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टुर्क ने भी पिछले महीने कहा था कि अमेरिकी हमले अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हैं और इन्हें न्यायेतर हत्याएं (एक्सट्रा जुडिशियल किलिंग) माना जा सकता है. ब्रिटेन भी इसी दृष्टिकोण से सहमत है. सितंबर से पहले, जब अमेरिकी सेना ने संदिग्ध मादक पदार्थ तस्करी के जहाजों को नष्ट करना शुरू नहीं किया था, तब ये अभियान कानून प्रवर्तन एजेंसियों और कोस्ट गार्ड के नेतृत्व में चलाए जाते थे. तब तस्करों को अपराधी माना जाता था और उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत अधिकार प्राप्त थे.
ट्रंप ने किया था अपने फैसले का बचाव
हालांकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन हवाई हमलों का बचाव करते हुए कहा कि ये आवश्यक कदम हैं ताकि अमेरिका में प्रवेश कर रहे मादक पदार्थों के प्रवाह को रोका जा सके. ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि ये हमले कानूनी हैं. उसने कांग्रेस को दिए एक मेमो में तर्क दिया कि संदिग्ध तस्कर अमेरिकियों के लिए तात्कालिक खतरा पैदा करते हैं और सशस्त्र संघर्ष में दुश्मन लड़ाकों के रूप में देखे जा सकते हैं. ट्रम्प ने कई मादक पदार्थ कार्टेल को विदेशी आतंकवादी संगठनों के रूप में भी नामित किया था. व्हाइट हाउस का कहना है कि उसके सभी कदम हथियार संघर्ष का कानून (Law of Armed Conflict) के तहत हैं, जो युद्ध के दौरान नागरिकों की रक्षा के लिए बनाया गया है.
अमेरिकी रक्षा अधिकारी भी थे असहज
हालांकि यह कानून नागरिक तस्करों पर भी लागू होता है और किसी समूह को आतंकवादी घोषित करना घातक बल प्रयोग का औचित्य नहीं ठहराता. सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ मामलों में जिन जहाजों को निशाना बनाया गया वे रुके हुए थे या पीछे हट रहे थे, जिससे यह दावा कमजोर पड़ता है कि वे तात्कालिक खतरा थे. वहीं सीनियर रक्षा अधिकारी भी इन हमलों की वैधता पर सवाल उठा रहे हैं. सीएनएन के अनुसार, यूएस साउदर्न कमांड के प्रमुख एडमिरल एल्विन होल्सी ने रक्षा सचिव पीट हेगसेथ और ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के साथ बैठक में अपनी चिंता व्यक्त करने के बाद इस्तीफा देने की पेशकश की थी. वह दिसंबर में अपने पद से हटने वाले हैं, जबकि उन्होंने सिर्फ एक वर्ष पहले ही यह जिम्मेदारी संभाली थी.
कनाडा ने भी खुद को किया अलग
ब्रिटेन के अलावा, कनाडा ने भी अमेरिका के इन सैन्य हमलों से खुद को अलग कर लिया है. पहले कनाडा भी अमेरिका के एंटी-ड्रग ऑपरेशनों में कोस्ट गार्ड की मदद करता था, ताकि कैरेबियाई सागर में संदिग्ध ड्रग तस्करों को रोका जा सके. हालांकि कनाडा अभी भी ऑपरेशन कैरेबियन के तहत अमेरिकी कोस्ट गार्ड के साथ काम कर रहा है, लेकिन वह नहीं चाहता कि उसकी खुफिया जानकारी का इस्तेमाल घातक हवाई हमलों के लिए लक्ष्यों की पहचान करने में किया जाए. पिछले महीने कनाडा के रक्षा प्रवक्ता ने पिछले महीने कहा था कि उनके कोस्ट गार्ड के साथ संचालन अमेरिकी सैन्य कार्रवाइयों से पूरी तरह अलग और स्वतंत्र हैं.
ट्रंप ने वेनेजुएला पर छेड़ा है युद्ध
राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका अब ड्रग कार्टेल्स के साथ सशस्त्र संघर्ष में है. ट्रंप उसी कानूनी अधिकार का उपयोग कर रहे हैं, जिसका इस्तेमाल पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश ने 11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमलों के बाद आतंकवाद के खिलाफ युद्ध घोषित करते समय किया था. उनका ज्यादातर हमला वेनेजुएला के खिलाफ रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने वेनेजुएला के अंदर जमीनी अभियान चलाने की संभावना जताई थी. हालांकि बाद में ट्रंप ने इस बात से इनकार कर दिया कि वे वेनेजुएला के भीतर सैन्य हमले की योजना बना रहे हैं. ऐसे में वेनेजुएला ने भी हथियार तैनात करना शुरू कर दिया है और गुरिल्ला-शैली की प्रतिरोध रणनीति अपनाने की तैयारी कर रहा है.
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