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Thailand PM Paetongtarn Shinawatra: थाईलैंड में सत्ता का भूचाल, प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनवात्रा बर्खास्त

Thailand PM Paetongtarn Shinawatra: थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनवात्रा को संवैधानिक अदालत ने नैतिक मानकों के उल्लंघन का दोषी पाते हुए पद से हटा दिया. अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचयचै जिम्मेदारी संभालेंगे. नए प्रधानमंत्री के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें पांच योग्य उम्मीदवार दौड़ में हैं.

Thailand PM Paetongtarn Shinawatra: थाईलैंड की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ है. प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनवात्रा को संवैधानिक अदालत ने पद से हटा दिया है. अदालत ने उन्हें नैतिक मानकों का उल्लंघन करने का दोषी पाया. आरोप है कि उन्होंने कंबोडिया के पूर्व नेता के साथ हुई फोन कॉल को लीक किया था. अदालत ने इसी मामले में उनके खिलाफ यह कड़ा फैसला सुनाया. शिनवात्रा थाईलैंड की 31वीं प्रधानमंत्री थीं और उन्होंने पद संभाले अभी एक साल भी पूरा नहीं किया था.

कार्यवाहक प्रधानमंत्री को मिली जिम्मेदारी

अदालत के इस फैसले के बाद, उप-प्रधानमंत्री फुमथम वेचयचै को कार्यवाहक प्रधानमंत्री का जिम्मा सौंपा गया है. वे वर्तमान मंत्रिमंडल के साथ मिलकर देश की प्रशासनिक जिम्मेदारियां तब तक निभाएंगे, जब तक संसद नया प्रधानमंत्री नहीं चुन लेती. संसद अध्यक्ष जल्द ही नए प्रधानमंत्री के चुनाव की तारीख तय करेंगे.

कौन-कौन हैं पीएम पद की दौड़ में?

थाईलैंड में 2023 के चुनाव से पहले कई उम्मीदवारों के नाम सामने आए थे. फिलहाल योग्य उम्मीदवारों की सूची में पांच नाम बचे हैं.

चैकासेम नितिसिरी (77 वर्ष): पूर्व न्याय मंत्री और अटॉर्नी जनरल, जो फेउ थाई पार्टी की ओर से उम्मीदवार हैं. वह लो-प्रोफाइल रहते हैं लेकिन उन्होंने साफ कहा है कि वे जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं.

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अनूटिन चर्नविराकुल (58 वर्ष): पूर्व गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री. उनकी भूमजैथाई पार्टी कुछ महीने पहले शिनवात्रा के गठबंधन से अलग हो गई थी.

पिरापन सालिराथाविभागा: वर्तमान ऊर्जा मंत्री.

जुरिन लक्षणाविसित: पूर्व उप-प्रधानमंत्री.

प्रयुथ चान-ओ-चा (71 वर्ष): पूर्व प्रधानमंत्री और जनरल, जिन्होंने 2014 में तख्तापलट का नेतृत्व किया था. हालांकि वे अब राजनीति से संन्यास लेकर शाही सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं.

नए प्रधानमंत्री के चुनाव की प्रक्रिया

थाईलैंड में प्रधानमंत्री बनने के लिए किसी भी उम्मीदवार को पहले कम से कम 50 सांसदों का समर्थन जुटाना होता है. इसके बाद सदन में मतदान कराया जाता है. निचले सदन के 492 सांसदों में से कम से कम 247 वोट हासिल करना अनिवार्य है. यदि कोई उम्मीदवार यह आंकड़ा नहीं जुटा पाता तो संसद को दोबारा बुलाया जाता है और प्रक्रिया दोहराई जाती है. खास बात यह है कि इस प्रक्रिया के लिए कोई तय समयसीमा नहीं है, यानी नया प्रधानमंत्री चुने जाने तक यह सिलसिला चलता रह सकता है. पैतोंगतार्न शिनवात्रा की अचानक विदाई ने थाईलैंड की राजनीति को एक बार फिर अनिश्चितता में डाल दिया है. अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि संसद किस नाम पर सहमति जताती है और अगला प्रधानमंत्री कौन बनता है.

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Aman Kumar Pandey
Aman Kumar Pandey
अमन कुमार पाण्डेय डिजिटल पत्रकार हैं। राजनीति, समाज, धर्म पर सुनना, पढ़ना, लिखना पसंद है। क्रिकेट से बहुत लगाव है। इससे पहले राजस्थान पत्रिका के यूपी डेस्क पर बतौर ट्रेनी कंटेंट राइटर के पद अपनी सेवा दे चुके हैं। वर्तमान में प्रभात खबर के नेशनल डेस्क पर कंटेंट राइटर पद पर कार्यरत।

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