Tehran Water Shortage: ईरान इस समय गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है. आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, देश में इस साल पतझड़ में बारिश औसत के मुकाबले लगभग 89% कम हुई है. यह पिछले 50 साल का सबसे सूखा मौसम है. बारिश के न होने से प्रमुख जलाशय लगभग खाली हो गए हैं और राजधानी तेहरान समेत बड़ी बस्तियों में पानी की कमी का खतरा पैदा हो गया है. नागरिकों और अधिकारियों दोनों को पानी की बचत के लिए कदम उठाने पड़ रहे हैं.
Tehran Water Shortage: क्लाउड सीडिंग से बारिश की उम्मीद
सूखे की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए ईरानी अधिकारियों ने क्लाउड सीडिंग का सहारा लिया है. शनिवार को उर्मिया झील बेसिन में विमानों से बादलों में विशेष रसायन छोड़कर वर्षा को प्रेरित करने का प्रयास किया गया. ईरान के राष्ट्रीय क्लाउड-सीडिंग रिसर्च सेंटर के प्रमुख मोहम्मद मेहदी जवादियन-जादेह ने बताया कि यह प्रक्रिया मई तक जारी रहेगी. इसका उद्देश्य विभिन्न जलाशयों में बारिश बढ़ाकर पानी की आपूर्ति को बेहतर करना है.
क्लाउड सीडिंग क्या है?
क्लाउड सीडिंग की तकनीक में बादलों में सिल्वर आयोडाइड जैसे छोटे कण छोड़े जाते हैं. ये कण बादलों की नमी को आकर्षित करके बारिश के रूप में गिरते हैं. यह तरीका केवल पहले से नमी वाले तूफानी बादलों में ही काम करता है और सूखे आसमान से पानी नहीं बना सकता. इस प्रक्रिया की शुरुआत 1940 के दशक में हुई थी और 1960 के दशक में अमेरिका के पश्चिमी इलाकों में बर्फ बनाने के लिए लोकप्रिय हो गई. हालांकि वैज्ञानिक अभी भी इसके असर की पूर्णता को लेकर निश्चित नहीं हैं.
उर्मिया झील का बदलता चेहरा
उर्मिया झील, जो 20 साल पहले मध्य-पूर्व की सबसे बड़ी झील थी, अब तेजी से सूख रही है. झील के आसपास पहले पर्यटन और स्थानीय व्यवसाय फले-फूले करते थे. अब यहां केवल जंग लगे नावें और नमक के विशाल भंडार दिखते हैं. लगातार सूखे और घटते जल स्तर ने स्थानीय जीवन और अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर डाला है.
राजधानी तेहरान की चिंता
जल संकट ने राजधानी तेहरान में भी अलार्म बजा दिया है. राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने चेतावनी दी है कि अगर जल्दी पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो शहर में पानी की आपूर्ति सीमित हो सकती है और यहां तक कि लोगों को राजधानी से निकालना पड़ सकता है. ऐसे में प्रशासन और नागरिक दोनों पानी की बचत के उपायों में जुटे हैं.
जलवायु परिवर्तन ने बढ़ाई समस्या
विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान का सूखा केवल प्राकृतिक कारणों से नहीं है. जलवायु परिवर्तन ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है. यह लगातार पांचवां वर्ष है जब सूखा रहा है. बढ़ते तापमान और घटती बारिश ने जलाशयों को सूखा दिया है और खेती-बाड़ी, स्थानीय व्यवसाय और नागरिक जीवन पर गंभीर असर डाला है.
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