Russia Su-57E in Dubai Airshow: दुनिया में फाइटर जेट की लड़ाई में अमेरिका के अलावा रूस ही एकमात्र देश है, जिसका दबदबा दिखता है. हालांकि अब वैश्विक बाजार में उसके हथियारों की खरीद कम हो गई है, लेकिन अब भी उसके पास कुछ मामलों में तकनीकी श्रेष्ठता बरकरार है. पांचवीं पीढ़ी की स्टील्थ फाइटर जेट ऐसी ही काबिलियत है, जो अमेरिका के छोड़कर रूस और अब चीन के पास भी मौजूद है. चीन इस क्षेत्र में अब तेजी से आगे बढ़ रहा है. चीन कहीं बहुत आगे न निकल जाए, इसके लिए रूस ने फिर से जोर मारी है. मौजूदा समय में रूस को नए फाइटर जेट के ऑर्डर लगभग नहीं मिल रहे हैं. इसी के मद्देनजर पांचवीं पीढ़ी के बहुचर्चित रूसी Su-57 लड़ाकू विमान दुबई एयरशो में उतरा है.
रोस्टेक स्टेट कॉरपोरेशन का हिस्सा रोसोबोरोनएक्सपोर्ट 17 से 21 नवंबर तक चल रहे दुबई एयर शो में रूस के एकमात्र राष्ट्रीय प्रदर्शनी का आयोजन कर रहा है. रूसी पैविलियन 1,000 वर्ग मीटर में फैला है, जिसमें रक्षा, द्वैध-उपयोग (dual-use) और नागरिक उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं. इनमें रोस्टेक की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन, यूनाइटेड इंजन कॉरपोरेशन और रेडियो-इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजीज कंसर्न जैसे प्रमुख रक्षा होल्डिंग शामिल हैं, साथ ही अल्माज-आंतेय एयर एंड स्पेस डिफेंस कॉरपोरेशन और टैक्टिकल मिसाइल्स कॉरपोरेशन के सिस्टम भी मौजूद हैं.
रूसी प्रदर्शन का मुख्य आकर्षण UAC द्वारा विकसित Su-57E पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसे पहली बार मध्य-पूर्व में प्रदर्शित किया जा रहा है. इसके प्रदर्शन को फ्लाइट डिस्प्ले में दिखाया गया. रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के महानिदेशक अलेक्ज़ेंडर मिखेयेव ने कहा कि रूस “एकमात्र ऐसा देश है जो न केवल पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान की आपूर्ति करता है, बल्कि विदेशी ग्राहक के क्षेत्र में Su-57E के स्थानीय उत्पादन की सुविधा भी प्रदान करता है.” रूसी सुखोई Su-57 और कामोव Ka-52 अटैक हेलिकॉप्टर ने सोमवार को दुबई एयर शो 2025 में एरोबैटिक करतब दिखाए. यह शो अल मकतूम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आयोजित किया गया.
दुबई में F-35 और Su-57 की आमने-सामने टक्कर
दुबई एयरशो में अमेरिकी F-35 और रूसी Su-57 दोनों ने अपनी-अपनी क्षमताओं का दमदार प्रदर्शन किया. दोनों ने दुबई एयरशो में दुर्लभ हवाई प्रदर्शन करते हुए संभावित ग्राहकों का ध्यान खींचने की कोशिश की. रूस के लिए यह एयरशो बेहद अहम है, क्योंकि अगर यहां भी उसे खरीदार नहीं मिलता, तो राष्ट्रपति पुतिन के लिए यह एक और बड़ा झटका माना जाएगा. दुनिया इससे पहले भारत के बेंगलुरू एयरशो के दौरान भी इन दोनों विमानों की शक्ति देख चुकी है.
F-35 ने सोमवार दोपहर अल मकतूम इंटरनेशनल एयरपोर्ट के ऊपर लगभग आठ मिनट की उड़ान भरी, जिसके करीब डेढ़ घंटे बाद Su-57E ने अपना डेमो शुरू किया. इस दौरान एयरबस, बोइंग और अन्य रक्षा कंपनियों ने भी अपने उन्नत सैन्य उपकरणों की झलक दिखाई. एरियल डिस्प्ले में यूएई एयर फोर्स एंड एयर डिफेंस की एरोबैटिक टीम फुर्सान अल अमारात, HAL तेजस, और भारतीय वायुसेना की सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम भी शामिल थी
क्या रूस को दुबई एयरशो से नयी उम्मीद मिलेगी?
आज तक रूस अपने Su-57E के लिए कोई पक्का विदेशी ग्राहक नहीं ढूंढ पाया है. अब तक रूस के बाहर सिर्फ अल्जीरिया ने इस विमान को खरीदा है, जिसने 14 विमानों का ऑर्डर दिया है. हालांकि उससे जुड़ी जानकारी सार्वजनिक नहीं है, इसलिए Su-57 की प्रति यूनिट वास्तविक कीमत भी स्पष्ट नहीं है. रूस की विमान निर्माता कंपनी ने यह भी दावा किया है कि वह विदेशी ग्राहकों को स्थानीय उत्पादन की सुविधा देने के लिए तैयार है, ठीक वैसा ही प्रस्ताव रूस ने भारत को भी दिया था, जिसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, भारत में निर्माण और सोर्स कोड साझेदारी शामिल है. हालांकि भारत की ओर से इस प्रस्ताव पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
नए नोजल्स के साथ Sukhoi Su-57E
फाइट ग्लोबल की रिपोर्ट के अनुसार रूसी पैवेलियन में रखे गए Su-57E के मॉडल में विमान को नए स्टेल्थ थ्रस्ट नोजल्स के साथ दिखाया गया है, जो दो-आयामी थ्रस्ट वेक्टरिंग की सुविधा देते हैं. डबल इंजन वाला यह सिस्टम उन Su-57 विमानों से अलग है, जो इस साल के दुबई एयरशो में उड़ान भरते दिखे या रूस की वायुसेना में सेवा में हैं. वर्तमान विमानों में NPO ल्युका-सैटर्न Izdeliye 117 (AL-41F के नाम से भी जाना जाता है) इंजन लगे हैं, जो पारंपरिक थ्रस्ट नोजल्स इस्तेमाल करते हैं. रूस की नई थ्रस्ट तकनीक पर वास्तविक प्रगति कितनी हुई है, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन दुबई एयरशो में इसके प्रदर्शन से यह संकेत मिलता है कि रूस इसे विदेशी ग्राहकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से पेश कर रहा है.
Su-57 की स्टेल्थ क्षमता पर सवाल
फायर ग्लोबल ने यह भी कहा कि कई विश्लेषक Su-57 की वास्तविक स्टेल्थ क्षमताओं पर सवाल उठाते रहे हैं. एयरशो में देखा गया है कि विमान के हैच और अन्य सतहों पर फिटिंग की गुणवत्ता पश्चिमी स्टेल्थ विमानों जितनी सटीक नहीं रहती. इसके अलावा, विमान में मौजूद मूवेबल लीडिंग-एज एक्सटेंशन भी इसके रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) को प्रभावित करते हैं. Su-57 में इंजन के फैन ब्लेड को रडार तरंगों से छुपाने के लिए आवश्यक S-डक्ट इनलेट्स भी नहीं हैं. हालांकि सुखोई कंपनी इंजन के अंदर विशेष स्टेल्थ कोटिंग और ब्लॉकिंग स्ट्रक्चर का इस्तेमाल करती है, लेकिन माना जाता है कि कुछ कोणों से इंजन दिखाई देता है, जिससे RCS बढ़ जाता है.
तकनीक में आगे Su-57E, लेकिन वर्तमान जरूरत में मार खा रहा
दो इंजन वाले Su-57E के विस्तृत प्रदर्शन और वास्तविक क्षमताओं की जानकारी रूस ने अब तक सीमित ही रखी है. ऐसे में खाड़ी देशों के सामने दुविधा यह है कि वे अत्याधुनिक लेकिन महंगे अमेरिकी स्टेल्थ जेट खरीदें या फिर तुलनात्मक रूप से कम लागत वाले रूसी Su-57 और उससे जुड़े ड्रोन तथा लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलों पर निवेश करें. हालांकि दिलचस्प बात यह है कि एक महत्वपूर्ण मामले में रूसी Su-57 अपने अमेरिकी और चीनी प्रतिद्वंद्वियों से आगे है. Su-57 एंटी-रेडिएशन मिसाइलें ले जाने में सक्षम है, जो युद्ध के दौरान SEAD (दुश्मन की वायु रक्षा को दबाने) और DEAD (दुश्मन की वायु रक्षा को नष्ट करने) अभियानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती हैं. चूंकि स्टेल्थ प्लेटफॉर्म संचालित करना बेहद महंगा होता है, इसलिए कई देश आजकल अपनी वायुसेना के लिए मिश्रित यानी हाई-टेक और किफायती विमानों का संयुक्त बेड़ा बनाने की रणनीति अपना रहे हैं.
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