Mohammed bin Salman on US Tour agendas for Saudi Arabia: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान सात साल बाद अमेरिका की यात्रा पर निकल रहे हैं. इस यात्रा से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन्हें तोहफा दे दिया है. डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि वह इस खाड़ी देश को एफ-35 लड़ाकू विमान बेचेंगे. यह सात वर्षों से अधिक समय में क्राउन प्रिंस की पहली अमेरिका यात्रा होगी इसलिए उम्मीद की जा रही है कि वह अपनी इच्छाओं और मांगों की एक सूची लेकर आएंगे, जिसमें ट्रंप से अपने देश के लिए अमेरिकी सैन्य सुरक्षा के दायरे को परिभाषित करने का औपचारिक आश्वासन और अमेरिका में निर्मित दुनिया के सबसे उन्नत विमानों में से एक एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदने का समझौता शामिल है. इसके अलावा एमबीएस के इस दौरे में सऊदी अरब के लिए अन्य कौन-कौन से एजेंडे शामिल हो सकते हैं.
अमेरिका अब तक केवल अपने सबसे करीबी सहयोगियों को ही F-35 जेट बेचता आया है, जिनमें यूरोप के कुछ देश शामिल हैं. सऊदी अरब लंबे समय से इन जेट्स को खरीदने की कोशिश कर रहा है. वॉशिंगटन ने 2019 में तुर्की को F-35 प्रोग्राम से बाहर कर दिया था क्योंकि उसने रूसी एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा था, जिससे यह आशंका बढ़ गई थी कि रूस को जेट की संवेदनशील तकनीक की जानकारी मिल सकती है. ट्रंप प्रशासन में इस बात को लेकर चिंता है कि इस तरह की बिक्री से चीन को उन्नत हथियार प्रणाली के पीछे की अमेरिकी प्रौद्योगिकी तक पहुंच मिल सकती है, क्योंकि वह यूएई और सऊदी अरब दोनों का दोस्त है.
जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या वह सऊदी अरब को ये विमान बेचेंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि हम ऐसा करेंगे. हम एफ-35 बेचेंगे.’’ उन्होंने कहा, “वे हमारे लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी रहे हैं.” रिपब्लिकन प्रशासन यह भी नहीं चाहता कि इस लड़ाकू विमान के सौदे से इजराइल की उसके पड़ोसियों के बीच गुणात्मक सैन्य बढ़त कम हो. खासतौर से ऐसे वक्त में जब ट्रंप अपनी गाजा शांति योजना की सफलता के लिए इजराइली समर्थन पर निर्भर हैं.
इजरायल से संबंध हों सामान्य; ट्रंप प्रशासन की चिंता
ट्रंप सऊदी अरब और इजराइल को उनके आपसी संबंध सामान्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं. मोहम्मद बिन सलमान की इस यात्रा के दौरान अब्राहम एकॉर्ड पर भी चर्चा हो सकती है. ‘फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज’ में सैन्य और राजनीतिक शक्ति केंद्र के वरिष्ठ निदेशक ब्रैडली बोमन ने कहा, “उम्मीद है कि राष्ट्रपति ट्रंप यह स्पष्ट कर देंगे कि पहला एफ-35 तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक सऊदी अरब इजराइल के साथ संबंध सामान्य नहीं कर लेता. वरना राष्ट्रपति अपनी ही पकड़ कम कर लेंगे.”
सात साल बाद अमेरिका में क्यों हैं MBS?
यह यात्रा MBS की सात साल में पहली अमेरिका यात्रा होगी. 2018 में इस्तांबुल में सऊदी एजेंटों द्वारा पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या के बाद वॉशिंगटन ने निष्कर्ष निकाला था कि यह कार्रवाई MBS के अनुमोदन से हुई थी. इस यात्रा को ट्रंप की इसी वर्ष की सऊदी यात्रा का विस्तार माना जा रहा है, जिसमें सऊदी ने 600 अरब डॉलर के सऊदी निवेश की घोषणा की थी. क्राउन प्रिंस क्षेत्रीय अस्थिरता के बीच सुरक्षा गारंटी चाहते हैं और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तकनीक तथा नागरिक परमाणु कार्यक्रम पर समझौते की दिशा में प्रगति चाहते हैं.
रक्षा, AI, परमाणु और भी बहुत कुछ
MBS की अमेरिका यात्रा के दौरान वॉशिंगटन और रियाद के पास चर्चा के लिए कई बड़े मुद्दे हैं. दोनों देशों के बीच लंबे समय से यह व्यवस्था रही है कि सऊदी अरब अनुकूल कीमत पर तेल बेचेगा और बदले में अमेरिका उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. यह समीकरण 2019 में तब हिल गया था जब ईरान ने सऊदी तेल प्रतिष्ठानों पर हमला किया और वॉशिंगटन ने कोई ठोस प्रतिरोधी कदम नहीं उठाया. हाल की आशंकाएँ सितंबर में फिर बढ़ गईं, जब इजरायल ने कतर की राजधानी दोहा पर हमला किया, उसका दावा था कि यह हमला हमास के सदस्यों को निशाना बनाकर किया गया था.
इस घटनाक्रम के बाद ट्रंप ने कार्यकारी आदेश के जरिए कतर के साथ रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए. कई विश्लेषकों, राजनयिकों और क्षेत्रीय अधिकारियों का मानना है कि सऊदी अरब को भी ऐसा ही कोई समझौता मिल सकता है. सऊदी अरब अपने महत्वाकांक्षी विजन 2030 कार्यक्रम के तहत परमाणु ऊर्जा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे क्षेत्रों में बड़े समझौतों को आगे बढ़ा रहा है.
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