US lawmakers introduce bipartisan resolution for India: अमेरिका में भारत के प्रति कठोर नीतियां दोनों देशों के ऊपर असर डाल रही हैं. जहां एक ओर भारत पर अमेरिका की ओर से रूसी तेल के आयात को कम करने को लेकर दबाव बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर वीजा नियमों के साथ-साथ एच-1बी वीजा पर भी कड़े नियम बनाए जा रहे हैं. हालांकि दोनों ओर से इन मुद्दों पर बातचीत जारी है. इसी बीच अमेरिकी डेमोक्रेट और रिपब्लिकन रिप्रेजेंटेटिव ने एक बाईपार्टसन रिजोल्यूशन (द्विदलीय प्रस्ताव पेश किया है, जो अमेरिका और भारत के ऐतिहासिक साझेदारी के रणनीतिक महत्व को मान्यता देता है. डेमोक्रेटिक पार्टी से इसे एमी बेरा ने पेश किया, जो कांग्रेस में सबसे लंबे समय तक सेवाएँ देने वाले भारतीय-अमेरिकी सदस्य हैं और वहीं रिपब्लिकन पार्टी की ओर से जो विल्सन ने इसे प्रस्तुत किया है.
वॉशिंगटन डीसी कार्यालय के अनुसार मंगलवार (स्थानीय समय) को पेश किए गए इस प्रस्ताव में दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच कई दशकों में रक्षा, तकनीक, व्यापार, आतंकवाद-रोधी प्रयासों और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग को रेखांकित किया गया है. यह प्रस्ताव भारत की उस अहम भूमिका को भी उजागर करता है जो वह क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक विकास और मुक्त एवं खुले इंडो-पैसिफिक को बढ़ावा देने में निभाता है. भारतीय-अमेरिकी सांसद एमी बेरा द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में क्वाड के भीतर बेहतर सहयोग, रक्षा, प्रौद्योगिकी और व्यापार संबंधों को और मजबूत करने की मांग की गई है. इसमें पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की गई है. साथी ही पाकिस्तानी आतंकी तंजीमों की भी भरपूर मजम्मत की गई है.
प्रस्ताव में क्या कहा गया?
प्रस्ताव में कहा गया है, “पिछले तीन दशकों से, क्लिंटन, बुश, ओबामा, ट्रंप और बाइडेन प्रशासन के तहत, संयुक्त राज्य अमेरिका की नीति भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की रही है, यह मानते हुए कि यह क्षेत्रीय स्थिरता, लोकतांत्रिक शासन, आर्थिक विकास और साझा क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के लिए महत्वपूर्ण है.” हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार बेरा ने कहा यह बिल दोनों देशों के नीति-निर्माताओं को यह संदेश देने के लिए है कि व्यापार संबंधों में तनाव और भारत द्वारा रूसी ऊर्जा की खरीद के कारण इस वर्ष संबंधों पर पड़े असर के बावजूद, अमेरिकी कांग्रेस भारत-अमेरिका साझेदारी को अब भी महत्व देती है.
बेरा ने कहा- मैंने तनाव महसूस किया
एनडीटीवी को दिए गए एक इंटरव्यू में बेरा ने कहा, “इस सितंबर में जब मैं एक प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत गया था, तब मैंने अमेरिका और भारत के बीच तनाव महसूस किया. निश्चित रूप से, राष्ट्रपति ट्रंप की कुछ टिप्पणियों से भी रिश्तों में कुछ अस्थिरता आई है. ऐसे में मुझे लगा कि कांग्रेस के लिए द्विदलीय तरीके से एक स्पष्ट संदेश देना जरूरी है कि डेमोक्रेट और रिपब्लिकन सांसद अब भी अमेरिका-भारत संबंधों को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं.”
प्रस्ताव लगभग 50 लाख भारतीय-अमेरिकी समुदाय द्वारा व्यवसाय, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में किए गए महत्वपूर्ण योगदानों को भी रेखांकित करता है. हाल के महीनों में अमेरिका में भारतीयों को निशाना बनाने वाली नस्लवादी बयानबाजी में तेजी आने से प्रवासी समुदाय में चिंता बढ़ी है.
मुझे भी US में बनाया गया निशाना- बेरा
वहीं हिंदुस्तान टाइम्स को दिए गए इंटरव्यू में बेरा ने कहा, “अमेरिकी राजनीति के अतिदक्षिणपंथी लोगों द्वारा मुझे व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया गया है. यह सिर्फ भारतीय-अमेरिकियों की बात नहीं है; कई समुदायों के खिलाफ नस्लवादी बयानबाजी बढ़ रही है. मुझे लगता है कि इससे प्रवासी समुदाय भी सचेत हुआ है. मेरी उम्मीद है कि इस प्रस्ताव के माध्यम से भारतीय-अमेरिकी लोग इसे अपने-अपने स्थानीय सांसदों तक ले जाएँ और चाहे ह्यूस्टन हो, मियामी हो या न्यूयॉर्क उन्हें बिल का समर्थन करने के लिए कहें और भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में अपना योगदान दें.”
24 अन्य नेताओं का भी है समर्थन
इस उपाय (रिजोल्यूशन) में अमेरिका और भारत के बीच 21वीं सदी की चुनौतियों, जैसे आतंकवाद-रोधी प्रयास, साइबर खतरे और उभरती तकनीकों से निपटने के लिए निरंतर सहयोग की अपील की गई है. यह प्रस्ताव दोनों देशों के बीच मजबूत लोगों से लोगों के संबंधों को भी मान्यता देता है, जिन्हें भारतीय-अमेरिकी प्रवासी समुदाय लगातार और मजबूत कर रहा है. इस प्रस्ताव को मजबूत द्विदलीय समर्थन मिला है, जिसमें कुल 24 मूल को-स्पांसर शामिल हैं. डेमोक्रेट्स में भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति, सुबास सुब्रमण्यम और श्री थानेदार इस प्रस्ताव के सह-प्रायोजक हैं. प्रमुख रिपब्लिकन सांसद जिनमें इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष रिच मैककॉर्मिक, दक्षिण एशिया उप-समिति के अध्यक्ष बिल ह्यूजेंगा और पूर्वी एशियाई एवं प्रशांत मामलों की प्रमुख उपसमिति का नेतृत्व करने वाली कांग्रेसवुमन यंग किम भी इस बिल का समर्थन कर रहे हैं.
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