Princess of Jordan: पैगंबर मोहम्मद के जन्म के बारे में यह प्रचलित धारणा है कि कि वे कुरैश कबीले के बनू हाशिम उपकबीले में पैदा हुए थे. जॉर्डन का राजपरिवार हाशेमाइट वंश का है, जो कुरैश जनजाति से संबंधित है. इसी परंपरा के तहत जॉर्डन देश के राजपरिवार को पैगंबर मोहम्मद का वंशज माना जाता है. इस समय इस वंश की 41वीं पीढ़ी के राजा अब्दुल्लाह II बिन अल-हुसैन हैं. इन्हीं की बेटी जॉर्डन की प्रिंसेस सलमा बिंत अब्दुल्ला ने देश के इतिहास में एक मील का पत्थर जोड़ा है. जॉर्डन की राजकुमारी सलमा बिंत अब्दुल्ला ने देश की सैन्य विमानन इतिहास में भी एक नया अध्याय लिखा है. वह रॉयल जॉर्डनियन एयर फोर्स (RJAF) में शामिल होने वाली पहली महिला फिक्स्ड-विंग जेट पायलट हैं. 26 सितंबर 2000 को जन्मी प्रिंसेस सलमा, किंग अब्दुल्ला द्वितीय और क्वीन रानिया की तीसरी संतान और दूसरी बेटी हैं.
प्रिंसेस सलमा की सैन्य यात्रा औपचारिक रूप से नवंबर 2018 में शुरू हुई, जब उन्होंने ब्रिटेन की प्रतिष्ठित रॉयल मिलिट्री अकादमी सैंडहर्स्ट से शॉर्ट कमीशनिंग कोर्स पूरा किया. इसके बाद उन्हें जॉर्डन सशस्त्र बलों में सेकेंड लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन मिला. सैंडहर्स्ट में प्रशिक्षण ने उन्हें सैन्य नेतृत्व, अनुशासन और ऑपरेशनल सोच की मजबूत नींव प्रदान की. कमीशन मिलने के बाद उन्होंने रॉयल जॉर्डनियन एयर फोर्स में पायलट प्रशिक्षण शुरू किया. यह प्रशिक्षण फिक्स्ड-विंग विमानों पर आधारित था, जिसमें थ्योरी के साथ-साथ व्यावहारिक उड़ान अभ्यास भी शामिल थे.
पिता ने दिए एविएशन विंग्स
जनवरी 2020 में, मात्र 19 वर्ष की उम्र में, प्रिंसेस सलमा ने यह प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया और अपने पिता किंग अब्दुल्ला द्वितीय से एविएशन विंग्स प्राप्त किए. किंग अब्दुल्ला खुद एक पायलट हैं. शायद इसी वजह से प्रिंसेस सलमा में यह चाह पैदा हुई हो कि उन्हें भी पायलट बनना है. इसी के साथ वह जॉर्डन की सैन्य विमानन इतिहास में पहली महिला बनीं, जिन्होंने जेट पायलट के रूप में योग्यता हासिल की. उनकी उपलब्धियां न केवल व्यक्तिगत सफलता का प्रतीक हैं, बल्कि जॉर्डन की सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाती हैं.

दिसंबर 2023 में फिलिस्तीन में पहुंचाई राहत सामग्री
लंबे समय तक लड़ाकू विमानन जैसे क्षेत्रों को पुरुषों तक सीमित माना जाता रहा, लेकिन प्रिंसेस सलमा की सफलता ने यह धारणा तोड़ दी. प्रिंसेस सलमा वर्तमान में रॉयल जॉर्डनियन एयर फोर्स में फर्स्ट लेफ्टिनेंट के पद पर कार्यरत हैं. वह न केवल प्रशिक्षित जेट पायलट हैं, बल्कि ऑपरेशनल मिशनों में भी सक्रिय भूमिका निभा चुकी हैं. दिसंबर 2023 में उन्होंने गाजा पट्टी में स्थित जॉर्डन के फील्ड अस्पताल के लिए चिकित्सा सामग्री पहुंचाने वाले हवाई राहत अभियान में भाग लिया. यह मिशन क्षेत्रीय संघर्ष के बीच मानवीय सहायता के उद्देश्य से किया गया था और इसमें उनकी भूमिका ने यह दिखाया कि वह प्रशिक्षण से आगे बढ़कर वास्तविक ऑपरेशनल जिम्मेदारियां निभा रही हैं.
ब्रिटेन से लेकर अमेरिका तक की है पढ़ाई
प्रिंसेस सलमा बिंत अब्दुल्ला की शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो उन्होंने अपनी पढ़ाई को सैन्य प्रशिक्षण के साथ संतुलित तरीके से आगे बढ़ाया. उन्होंने जॉर्डन के इंटरनेशनल अम्मान एकेडमी से माध्यमिक शिक्षा पूरी की, जहां से उन्होंने इंटरनेशनल बैकलॉरिएट (IB) डिप्लोमा हासिल किया. इसके बाद उन्होंने ब्रिटेन की प्रतिष्ठित रॉयल मिलिट्री एकेडमी सैंडहर्स्ट में शॉर्ट कमीशनिंग कोर्स किया और नवंबर 2018 में स्नातक होकर जॉर्डनियन सशस्त्र बलों में अधिकारी के रूप में कमीशन प्राप्त किया. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में, प्रिंसेस सलमा ने अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया (USC) से पढ़ाई की और मई 2023 में बैचलर ऑफ आर्ट्स (BA) की डिग्री प्राप्त की. इस दौरान उन्होंने अपनी सैन्य जिम्मेदारियों के साथ अकादमिक अध्ययन को भी सफलतापूर्वक जारी रखा, जो उनके अनुशासन और समर्पण को दर्शाता है.
हर ओर बवाल से घिरा है जॉर्डन
जॉर्डन अरब प्रायद्वीप में ऐसी जगह स्थित है, जहां लगभग हर ओर बवाल है. एक ओर फिलिस्तीन है, दूसरी ओर सीरिया, वहीं एक ओर इजरायल है, तो एक ओर ईराक, राहत की बात है कि एक तरफ से वह निश्चिंत रहता है, जिस तरफ सऊदी अरब है. ऐसे में एयरफोर्स में प्रिंसेस सलमा की मौजूदगी का सामाजिक प्रभाव भी गहरा है. आज जॉर्डन की युवतियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं, खासकर उन लड़कियों के लिए जो रक्षा, विज्ञान और तकनीक जैसे क्षेत्रों में करियर बनाना चाहती हैं.

जॉर्डन शाही परिवार महिला शिक्षा का समर्थक रहा है
अल जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, जॉर्डन के शाही परिवार के कई सदस्य रॉयल मिलिट्री अकादमी सैंडहर्स्ट से स्नातक रह चुके हैं, जिनमें दिवंगत किंग हुसैन, किंग अब्दुल्ला और प्रिंस हुसैन शामिल हैं. हालांकि, प्रिंसेस सलमा सैंडहर्स्ट से स्नातक होने वाली पहली महिला नहीं हैं. उनकी पितृ पक्ष की चाची प्रिंसेस आइशा बिंत हुसैन सैंडहर्स्ट में पढ़ने वाली पहली अरब महिला थीं, जिन्होंने 1987 में स्नातक किया था. बाद में उन्होंने जॉर्डन की स्पेशल फोर्सेज़ में भी सेवा दी. एक अन्य चाची, प्रिंसेस इमान, ने 2003 में सैंडहर्स्ट से स्नातक किया था.
जॉर्डन का शाही परिवार परंपरा के साथ आधुनिकता का संरक्षक
यह सब कुछ संभव हुआ है, क्योंकि जॉर्डन का शाही परिवार मध्य पूर्व में परंपरा और आधुनिकता के संतुलन का एक विशिष्ट उदाहरण माना जाता है. पैगंबर मोहम्मद के वंशज किंग अब्दुल्ला द्वितीय एक मुस्लिम राष्ट्र का नेतृत्व करते हुए भी आधुनिक सोच और वैश्विक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं. वह स्वयं एक प्रशिक्षित सैन्य पायलट हैं और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक प्रगतिशील मुस्लिम नेता के रूप में सम्मान पाते हैं. उनकी पत्नी क्वीन रानिया अल-अब्दुल्ला को शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुधारों की मुखर समर्थक के रूप में पहचाना जाता है. वे पश्चिमी पहनावे और आधुनिक विचारों के साथ इस्लामी मूल्यों की व्याख्या करती हैं और अक्सर यह संदेश देती हैं कि आस्था और आधुनिकता एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं.
भाई-बहन अपनी-अपनी जिम्मेदारियों में लगे
किंग अब्दुल्ला और क्वीन रानिया के चारों बच्चे भी इसी आधुनिक परवरिश का प्रतिबिंब हैं. क्राउन प्रिंस हुसैन सेना में अधिकारी होने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं और भविष्य के राजा के रूप में कूटनीतिक जिम्मेदारियां निभा रहे हैं. राजपरिवार की सबसे बड़ी बेटी प्रिंसेस ईमान उच्च शिक्षा, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय हैं, जबकि सबसे छोटे बेटे प्रिंस हाशिम अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं. पूरे परिवार की पहचान शिक्षा, सैन्य सेवा, वैश्विक जुड़ाव और सामाजिक प्रगतिशीलता से जुड़ी है. जॉर्डन का शाही परिवार यह उदाहरण पेश करता है कि एक इस्लामी राष्ट्र का नेतृत्व करते हुए भी आधुनिक जीवनशैली, महिला अधिकार और वैश्विक मूल्यों को आत्मसात किया जा सकता है.
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