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बूंद-बूंद के लिए तरसेगा पाकिस्तान, तालिबान ने कुनार नदी पर दिया बांध बनाने का हुक्म, भारत वाला फॉर्मूला लगाने को तैयार

Taliban Orders Construction Of Dam On Kunar River: अफगानिस्तान के तालिबान ने कुनार नदी पर बांध बनाने का निर्देश दिया, जिससे पाकिस्तान की जल आपूर्ति और खेती पर गंभीर असर पड़ सकता है. जानें भारत-अफगानिस्तान सहयोग, जल-बंटवारे का हाल, और क्षेत्रीय भू-राजनीतिक स्थिति.

Taliban Orders Construction Of Dam On Kunar River: अफगानिस्तान में तालिबान अब पानी के मामले में पूरी तरह सक्रिय हो गया है. हाल ही में उसने कुनार नदी पर बांध बनाने की योजना शुरू करने का आदेश दिया है. यह नदी पाकिस्तान की तरफ बहती है, और अगर ये बांध बन गए तो पड़ोसी देश की जल आपूर्ति पर गंभीर असर पड़ सकता है. तालिबान के सर्वोच्च नेता मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने इस परियोजना को सबसे अहम बताया है और इसे जल्दी शुरू करने का निर्देश दिया है.

यह फैसला उस समय आया है जब अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुई हिंसक झड़पों में सैकड़ों लोग मारे गए. दोनों देशों के बीच तनाव पहले ही बढ़ा हुआ था, और अब पानी के मुद्दे ने इसे और जटिल बना दिया है.

Taliban Orders Construction Of Dam On Kunar River: भारत-पाकिस्तान और अफगानिस्तान का जल मुद्दा

इस कदम का एक बड़ा कारण है भारत का हाल ही में सिंधु जल संधि को निलंबित करना. यह संधि पश्चिमी नदियों के जल बंटवारे को नियंत्रित करती थी. भारत ने यह कदम पहलागाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के हमलों में 26 नागरिकों की मौत के बाद उठाया. इस बीच अफगानिस्तान भी अपनी जल संप्रभुता को लेकर सक्रिय हो गया है.

अफगानिस्तान के जल और ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि अखुंदजादा ने कुनार नदी पर बांधों का तेजी से निर्माण करने का निर्देश दिया है. यह नदी 480 किलोमीटर लंबी है और हिंदू कुश पर्वतों से निकलकर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में बहती है. यदि ये बांध बन गए, तो पाकिस्तान की जल आपूर्ति, खासकर पंजाब की खेती और ऊर्जा सुरक्षा, पर गंभीर असर पड़ेगा.

तालिबान की प्राथमिकता 

तालिबान 2021 में सत्ता में आने के बाद से पानी और ऊर्जा को अपनी प्रमुख प्राथमिकता बना चुका है. वह पड़ोसी देशों पर निर्भरता कम करने के लिए बांध निर्माण और हाइड्रोपावर परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ा रहा है. लेकिन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच औपचारिक जल-बंटवारा समझौते की कमी से पाकिस्तान में चिंता बढ़ गई है. उसे डर है कि अफगानिस्तान की एकतरफा कार्रवाई क्षेत्र में जल संकट पैदा कर सकती है और पहले से ही तनावपूर्ण खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा को और बिगाड़ सकती है.

भारत-अफगानिस्तान सहयोग

यह घोषणा उस समय हुई है जब अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्ताकी ने भारत दौरा किया. वहां उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की और हाइड्रोपावर परियोजनाओं में सहयोग पर चर्चा की. इन परियोजनाओं में शामिल हैं भारत-अफगानिस्तान मैत्री बांध इसमें सिंचाई और बिजली उत्पादन में मदद करता है. और शहतूत बांध परियोजना जो काबुल निवासियों को पानी उपलब्ध कराएगा और खेती में उत्पादकता बढ़ाएगा. दोनों देशों ने सतत जल प्रबंधन पर जोर दिया. भारत के निवेश से अफगानिस्तान के जल और ऊर्जा क्षेत्र मजबूत हुए हैं और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार हुआ है.

क्या है खतरा?

तालिबान के जल नियंत्रण पर नए फोकस के साथ, क्षेत्र की भू-राजनीतिक स्थिति अभी भी तनावपूर्ण और अनिश्चित बनी हुई है. अफगानिस्तान की यह पहल पड़ोसी देशों के लिए नए सवाल खड़े कर रही है. अगर कुनार नदी पर बांध बन जाते हैं, तो पाकिस्तान की खेती, ऊर्जा और जल सुरक्षा पर लंबे समय तक असर पड़ेगा. 

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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