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पाकिस्तान में मौलवी के कहने पर तोड़ दी गई बुद्ध की प्राचीन प्रतिमा, वीडियो वायरल

Pakistan, Mahatma Buddha, Buddha Statue : पाकिस्तान में धार्मिक असहिष्णुता का एक और मामला प्रकाश में आया है. यहां खैबर पख्तूनख्वा में मिली गौतम बुद्ध की एक प्राचीन प्रतिमा को तोड़ दिया गया. महात्मा बुद्ध की दुर्लभ प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने के मामले में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

पाकिस्तान में धार्मिक असहिष्णुता का एक और मामला प्रकाश में आया है. यहां खैबर पख्तूनख्वा में मिली गौतम बुद्ध की एक प्राचीन प्रतिमा को तोड़ दिया गया. महात्मा बुद्ध की दुर्लभ प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने के मामले में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरस हो रहा है. इसमें कुछ लोग नजर आ रहे हैं जो एक-एक करके प्रतिमा पर वार कर रहे हैं.

बताया जा रहा है कि ये प्रतिमा 1700 साल पुरानी है. पुलिस आरोपियों को गिरफ़्तार कर चुकी है और इनके पास से प्रतिमा के अवशेष मिले हैं. पुलिस ने इलाके को सील कर दिया है.

वीडियो से आवाज आ रही है जिसमें लोग प्रतिमा को तोड़ने के बाद एक दूसरे को बधाई देते नजर आ रहे हैं. एक दाढी वाला शख्य प्रतिमा की पहचान करता वीडियो में दिख रहा है. वीडियो में सुनाई पड़ रहा है कि एक व्यक्ति पूछ रहा है ये अंग्रेजों की प्रतिमा है या हिंदू की…जिसपर दूसरा शख्स जवाब देता है…हिंदू..हिंदू… गौतम बुद्ध…

स्थानीय निवासियों ने बताया कि मर्दान जिले के तख्तबई तहसील में एक खेत में खुदाई के दौरान मिली इस प्रतिमा को एक स्थानीय मौलवी के आदेश पर नष्ट कर दिया गया. पुलिस ने बताया कि इस मामले में चार संदिग्ध लेागों को गिरफ्तार किया गया है और उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई है.

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प्रतिमा को हथौड़े से तोडा : उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो में कुछ लोग प्रतिमा को हथौड़े से तोड़ते नजर आ रहे थे. खैबर पख्तूनख्वा के पुरातत्व विभाग के निदेशक अब्दुल समद खान ने इस घटना पर दुख जताया है और दोषियों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई का आश्वासन दिया. इस प्रांत का पुराना नाम गंधार है और यह बौद्ध धर्म से जुड़ा एक प्रमुख स्थल रहा है. प्राचीन काल में बनी गंधार शैली में बुद्ध की कई प्रतिमाएं खुदाई में प्राप्त हुई हैं.

इतिहास 2000 साल पुराना : आपको बता दें कि खैबर पख्तूनख्वा अफगानिस्तान सीमा पर स्थित है जिसका इतिहास 2000 साल पुराना है. सातवीं सदी ईसापूर्व में यह गांधार के नाम से जाना जाता था. ईसा के 200 साल पहले बौद्ध धर्म यहां बहुत लोकप्रिय हुआ. मौर्यों के पतन के बाद इस इलाके को कुषाणों ने अपनी राजधानी बनाने का काम किया.

Posted By : Amitabh Kumar

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