Pakistan Army brutality in Balochistan: पाकिस्तानी सेना और उसकी क्रूरता की बदनाम कहानियां दुनिया भर में विख्यात हैं. बांग्लादेश में नरसंहार हो या जॉर्डन में सुरक्षा के नाम पर फिलिस्तीनियों का सफाया करना हो, उसके खाते में अच्छे कामों की कमी ही है. लेकिन निहत्थे और आम लोगों पर ही उसका भरपूर जोर चलता है. अब पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने बलूचिस्तान प्रांत के खुजदार जिले के जेहरी तहसील में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान जारी रखी है. इस अभियान के दौरान गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों की खबरें सामने आई हैं, जिनमें मनमानी गिरफ्तारियाँ, घरों को विस्फोट से उड़ाना और यहां तक कि कब्रों की बेअदबी शामिल हैं. स्थानीय सूत्रों और द बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक चार लोगों, जिनमें एक महिला भी शामिल है को हिरासत में लेकर अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है.
द बलूचिस्तान पोस्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने घर-घर तलाशी अभियान चलाया. इस दौरान कई निवासियों के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार किया गया. गिरफ्तार लोगों में शामिल हैं सफिया बीबी, जो शेख अब्दुल समद की बहन हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, उनके परिवार के घर को विस्फोटक लगाकर पूरी तरह नष्ट कर दिया गया. जाहिद, पुत्र अजीज, आसिफ बलोच और असदुल्लाह, पुत्र रसूल बख्श जरकजई, जो स्थानीय दुकानदार हैं. स्थानीय निवासियों ने बताया कि सेना ने कई घरों को ध्वस्त कर दिया, जिससे पूरे जेहरी इलाके में तबाही का मंजर फैल गया है.
कब्रों की बेअदबी का आरोप
रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तानी सैनिकों पर बलूच स्वतंत्रता समर्थक लड़ाकों की कब्रों को नष्ट करने का भी आरोप है. इनमें बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के कमांडर जिया-उर-रहमान उर्फ दिलजान की कब्र भी शामिल है, जो वर्ष 2018 में जेहरी में हुई एक मुठभेड़ के दौरान आत्महत्या कर लेने के लिए जाने जाते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि सैनिकों ने कब्रों के पत्थर तोड़ दिए और दफन स्थलों को खोदकर नुकसान पहुँचाया, जिसे समुदाय ने गहरी बेअदबी और अपमान बताया है.
भारी सैन्य तैनाती और कर्फ्यू
पूरा जेहरी इलाका अब भारी सैन्य निगरानी में है. रिपोर्ट के अनुसार, नोरगामा क्षेत्र में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है और पूरे इलाके में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है. शहर के सभी आने-जाने वाले रास्ते सील कर दिए गए हैं. स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि जेहरी का एकमात्र सरकारी अस्पताल अब सेना के नियंत्रण में है, उसे सैन्य चौकी में तब्दील कर दिया गया है, जिसके कारण अन्य निजी और छोटे चिकित्सा केंद्र बंद हो गए हैं.
चिकित्सा सेवाओं के अभाव में महिला ने मृत शिशु को जन्म दिया
इलाके में जारी नाकाबंदी और चिकित्सा सुविधाओं की कमी का सबसे दर्दनाक असर आम नागरिकों पर पड़ा है. रिपोर्ट के अनुसार, फहमीदा, पुत्री वहीद बख्श, को समय पर अस्पताल न पहुँच पाने के कारण मृत शिशु (स्टिलबॉर्न) का जन्म देना पड़ा. वहीं फहमीदा की स्थिति गंभीर बताई जा रही है.
दो सप्ताह से इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क बंद
रिपोर्टों के अनुसार, जैहरी में लगभग दो हफ्तों से इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह बंद हैं. इस वजह से यह इलाका पूरी तरह बाहरी दुनिया से कट गया है. स्थानीय पत्रकारों और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इस सूचना नाकेबंदी के कारण न तो घायल नागरिकों की स्थिति का पता चल पा रहा है और न ही सुरक्षा बलों की कार्रवाई की स्वतंत्र निगरानी संभव हो पा रही है.
सितंबर में हुए हवाई हमले की पृष्ठभूमि
यह सैन्य अभियान सितंबर में हुए हवाई हमलों के बाद शुरू हुआ है. उस हमले में सात नागरिकों की मौत हुई थी, जिससे इलाके में पहले ही तनाव और भय का माहौल बन गया था. स्थानीय लोगों का कहना है कि मौजूदा अभियान उसी दमनकारी नीति की जारी कड़ी है, जिसके तहत बलूच समुदाय को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. बलूचिस्तान पोस्ट और स्थानीय सूत्रों के अनुसार, जेहरी में जारी इस सैन्य कार्रवाई ने मानवाधिकारों की गंभीर स्थिति पैदा कर दी है. भारत ने हाल ही में जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में हुए मानवाधिकार के एक सेशन में पाकिस्तान की इन्हीं गतिविधियों पर सवाल उठाए थे.
पाकिस्तान अमेरिका समझौता कैसे बढ़ेगा आगे?
इस घटना ने एक बार फिर बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जहाँ दशकों से स्वायत्तता और स्वतंत्रता को लेकर तनाव जारी है. पाकिस्तान ने हाल ही में अमेरिका के साथ रेयर अर्थ खनिजों के लिए करार किया है, उनकी खुदाई भी बलूचिस्तान के इन्हीं क्षेत्रों में होनी है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह समझौता कैसे आगे बढ़ता है.
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