Kim Jong UN: अमेरिका और उत्तर कोरिया से जुड़ा एक बेहद गुप्त और खतरनाक मिशन हाल ही में सामने आया है, जिसके बारे में अब तक दुनिया को ज्यादा जानकारी नहीं थी. यह ऑपरेशन साल 2019 में उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को लेकर शुरू किया गया था. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार, यह मिशन पूरी तरह जासूसी पर केंद्रित था. योजना यह थी कि किम जोंग उन के आसपास अत्याधुनिक रिकॉर्डिंग डिवाइस लगाए जाएं ताकि उनकी गतिविधियों पर सीधा नजर रखी जा सके.
इस गुप्त अभियान को अंजाम देने के लिए वही अमेरिकी नेवी SEAL टीम भेजी गई थी, जिसने 2011 में पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को खत्म किया था. इस मिशन की तैयारी महीनों तक की गई और अभ्यास पर काफी जोर दिया गया. टीम एक मिनी-सबमरीन में सवार होकर उत्तर कोरिया के समुद्री इलाके तक पहुंची थी. कई घंटे तक समुद्र में ठहरने के बाद जब वे तट की ओर बढ़ रहे थे, तभी उन्हें एक नाव दिखाई दी.
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रिपोर्ट के मुताबिक, नाव देखकर अमेरिकी कमांडो को शक हुआ कि शायद यह उत्तर कोरिया की नौसेना का गश्ती दल है. जब नाव से एक शख्स समुद्र में कूदा तो कमांडो ने गोलीबारी शुरू कर दी. बाद में पता चला कि वह शख्स कोई सैनिक नहीं बल्कि आम नागरिक था. गोलीबारी के बाद जब कमांडो पास पहुंचे तो नाव में कई लाशें पड़ी थीं. चौंकाने वाली बात यह थी कि न तो नाव में हथियार थे और न ही किसी पर वर्दी थी. इससे साफ हो गया कि ये लोग आम मछुआरे थे, जो दुर्भाग्य से अमेरिकी टीम की गोलीबारी का शिकार बन गए.
इसके बाद अमेरिकी सैनिकों ने सबूत मिटाने के लिए नाव को चाकू से पंक्चर कर दिया ताकि वह डूब जाए और शव समुद्र में समा जाएं. इस तरह इस घटना को छिपाने की कोशिश की गई. अमेरिकी सेना ने बाद में इस ऑपरेशन की समीक्षा जरूर की, लेकिन मौतों को सही ठहराते हुए आगे की जांच नहीं बढ़ाई.
सबसे अहम बात यह है कि इस मिशन के लिए राष्ट्रपति से आधिकारिक अनुमति नहीं ली गई थी, जबकि इतना बड़ा और जोखिमभरा अभियान बिना आदेश के चलाना नियमों के खिलाफ माना जाता है. अब जब यह मामला सामने आया तो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हैरानी जताई और कहा कि उन्होंने इस तरह के मिशन के बारे में पहले कभी नहीं सुना था. यह खुलासा अमेरिकी खुफिया अभियानों की कार्यप्रणाली और उनकी गोपनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करता है.
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