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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में गांजा पिया तब तालिबान… मलाला युसुफजई का हैरतअंगेज खुलासा

Malala Yusufzai: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित 28 वर्षीय मलाला यूसुफजई को 2012 में एक तालिबानी बंदूकधारी ने सिर में गोली मार दी थी. अपने संस्मरण ‘फाइंडिंग माई वे’ के विमोचन से पहले इस हफ्ते के अंत में ‘द गार्जियन’ समाचारपत्र के साथ एक इंटरव्यू में मलाला ने कहा कि जब उन्होंने बोंग या पानी के पाइप से गांजे का सेवन किया तो गोलीबारी की उस घटना की स्मृति ताजा हो गई.

Malala Yusufzai: नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त मलाला यूसुफजई ने हाल में एक खुलासा किया है. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में दोस्तों के साथ गांजे के सेवन (बॉन्ग) के बाद उन्हें 13 साल पहले तालिबान द्वारा उन पर किए गए हमले की यादें ताजा हो गई थीं. 28 वर्षीय मलाला को 2012 में एक तालिबानी बंदूकधारी ने सिर में गोली मार दी थी. अपने संस्मरण ‘फाइंडिंग माई वे’ के विमोचन से पहले इस हफ्ते के अंत में ‘द गार्जियन’ समाचारपत्र के साथ एक इंटरव्यू में मलाला ने कहा कि जब उन्होंने बोंग या पानी के पाइप से गांजे का सेवन किया तो गोलीबारी की उस घटना की स्मृति ताजा हो गई.

दुनिया भर में लड़कियों की शिक्षा के अधिकार के लिए आवाज उठाने वाली मलाला को स्वात घाटी में स्कूल बस से घर लौटते समय एक नकाबपोश तालिबान बंदूकधारी ने गोली मार दी थी. उस हमले में उनके चेहरे की नस कट गई थी, कान का पर्दा फट गया था और जबड़ा टूट गया था. उन्हें कई महीनों तक गंभीर हालत में रखा गया, जिसके बाद उन्हें विशेष इलाज के लिए ब्रिटेन भेजा गया. उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के लेडी मार्गरेट हॉल कॉलेज में गांजा सेवन की घटना का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘उस (रात) के बाद, सबकुछ हमेशा के लिए बदल गया.’’ उन्होंने ‘द गार्जियन’ से कहा, ‘‘मैंने पहले कभी उस हमले को इतने करीब से महसूस नहीं किया था. उस पल ऐसा लगा जैसे मैं फिर से उसी स्थिति में हूं, जैसे मैं मर चुकी हूं और परलोक में पहुंच गई हूं.” उन्होंने याद किया कि बॉन्ग पीने के बाद जब वह अपने कमरे की ओर लौट रही थीं, तभी अचानक बेहोश होकर गिर पड़ीं, और उनके दोस्त उन्हें उठाकर ले गए जबकि उनके दिमाग में गोलियों की आवाजें, खून और एंबुलेंस की दौड़भाग दोबारा चलने लगीं.

मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा बुरा असर

मलाला ने बताया कि इस अनुभव ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला और उन्हें बेचैनी व पैनिक अटैक (घबराहट के दौरे) होने लगे. इस घटना के कारण उन्हें चिंता और घबराहट के दौरे पड़ने लगे, जिसका उनकी विश्वविद्यालय की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ा और उन्हें बाद में उसे उपचार कराना पड़ा. उन्होंने कहा, “मैं वही लड़की हूं जिसे गोली मारी गई थी…मैं एक हमले से बच गई और मुझे कुछ नहीं हुआ और मैंने इसे हंसी में उड़ा दिया. सब कहते थे मैं बहादुर हूं. मुझे लगा कि मुझे कुछ भी भयभीत नहीं कर सकता, कुछ भी नहीं. और फिर मैं छोटी-छोटी बातों से डरने लगी और इसने मुझे अंदर से पूरी तरह तोड़ दिया. लेकिन एक वक्त आया जब मैं अब और बहाना नहीं कर सकती थी. मैं कांपने लगती, पसीना आने लगता और अपनी धड़कनें सुन सकती थी. फिर मुझे पैनिक अटैक आने लगे.”

सच्ची बहादुरी क्या होती है? बाद में समझ आया

मलाला ने बताया कि एक थेरेपिस्ट की मदद से उन्होंने धीरे-धीरे उन डरावनी यादों और भावनाओं को समझना और नियंत्रित करना सीखा. उन्होंने कहा, “मैंने सोचा था कि मैं गोली के हमले से बच गई, कुछ नहीं हुआ, तो अब मुझे कुछ डरा नहीं सकता. मेरा दिल बहुत मजबूत था. लेकिन जब छोटी-छोटी बातों से डर लगने लगा, तो मैं टूट गई. फिर मैंने समझा कि सच्ची बहादुरी क्या होती है, सिर्फ बाहरी खतरों से नहीं, बल्कि अपने भीतर के डर से लड़ पाना ही असली हिम्मत है.”

इस खुलासे के बाद आलोचना हुई तो…

मलाला ने कहा, ‘‘लेकिन, आपको पता है, इस सफर में मुझे एहसास हुआ कि वास्तव में बहादुर होने का क्या मतलब है. आप न केवल बाहर के वास्तविक खतरों से लड़ सकते हैं, बल्कि अपने भीतर से भी लड़ सकते हैं.’’ उन्होंने यह भी कहा कि वह अच्छी तरह से समझती हैं कि गांजे के सेवन की उनकी नवीनतम स्वीकारोक्ति से उन्हें कुछ आलोचना का भी सामना करना पड़ सकता है.

मलाला ने कहा, ‘‘मैं इसके लिए पूरी तरह तैयार हूं. मुझे नहीं लगता कि मैं इस बारे में कोई रक्षात्मक रुख अपनाऊंगी. मैं कोई बयान जारी नहीं करूंगी. अगर किसी को कोई भ्रम है, तो वह मेरी किताब पढ़कर खुद फैसला कर सकता है.’’ अपने जन्मस्थान पाकिस्तान में हो रही आलोचना के बारे में पूछे जाने पर मलाला ने स्वीकार किया कि उन्हें ‘‘दुख’’ हो रहा है.

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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