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अमेरिका ने लगाया टैरिफ, भारत ने अलास्का भेजे 450 मद्रास रेजीमेंट के जवान, अमेरिकी सैनिकों से करेंगे ‘दो-दो हाथ’

Joint Military Exercise Madras Regiment: भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी का नया अध्याय अलास्का में ‘युद्धाभ्यास 2025’ के साथ शुरू. मद्रास रेजीमेंट की वीरता, आधुनिक युद्धकला, संयुक्त प्रशिक्षण और रणनीतिक सहयोग से वैश्विक सुरक्षा मजबूत. हेलिबोर्न ऑपरेशन, ड्रोन, पर्वतीय युद्ध और बहु-क्षेत्रीय तत्परता पर ध्यान.

Joint Military Exercise Madras Regiment: भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग ने एक नया मुकाम हासिल किया है. अलास्का के फोर्ट वैनवर्थ में 1 सितंबर से शुरू हुए 21वें संयुक्त युद्धाभ्यास ‘युद्धाभ्यास 2025’ में भारतीय सेना की टुकड़ी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. यह अभ्यास 14 सितंबर तक चलेगा और दोनों देशों की सेनाओं के बीच रणनीतिक, तकनीकी और संयुक्त प्रशिक्षण को बढ़ावा देगा. व्यापारिक और राजनीतिक तनाव के बावजूद यह अभ्यास दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा साझेदारी का प्रतीक है.

व्यापारिक तनाव के बावजूद सैन्य सहयोग कायम

हाल ही में अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल आयात को लेकर 25 प्रतिशत टैरिफ और जुर्माना लगाया था, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध तनावपूर्ण हुए. इसके बावजूद अलास्का में अब तक के सबसे बड़े युद्धाभ्यास की शुरुआत हुई. रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले दो दशकों में निर्मित भारत-यूएस रणनीतिक साझेदारी, विशेषकर रक्षा सहयोग के क्षेत्र में, अब भी मजबूती से कायम है. अमेरिकी अधिकारियों ने भी माना कि भरोसा कमजोर हुआ है, लेकिन इतने बड़े हित दांव पर होने के कारण यह साझेदारी आसानी से नहीं टूट सकती.

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Joint Military Exercise Madras Regiment: भारतीय और अमेरिकी सैनिकों की भागीदारी

विदेश मंत्रालय ने ट्वीट के माध्यम से पुष्टि की है कि भारतीय सेना की ओर से मद्रास रेजिमेंट की टुकड़ी शामिल है, जबकि अमेरिकी पक्ष में 11वीं एयरबोर्न डिवीजन के 1st Battalion, 5th Infantry Regiment ‘Bobcats’ हैं. अभ्यास में हेलिबोर्न ऑपरेशन, पर्वतीय युद्धकला, घायलों की निकासी, युद्ध चिकित्सा, आर्टिलरी, विमानन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और ड्रोन/UAS संचालन शामिल हैं. दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त प्रशिक्षण के दौरान UAS/काउंटर-UAS, सूचना युद्ध, संचार और रसद प्रबंधन पर भी सत्र आयोजित करेंगी.

भारत-अमेरिका हथियार सौदे और रणनीतिक सहयोग

भारत और अमेरिका के बीच पिछले दो दशकों में 25 अरब डॉलर से अधिक के रक्षा सौदे हुए हैं. हाल ही में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी से 99 GE-F404 टर्बोफैन इंजन की पहली खेप मिली, जो तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान में लगाए जाएंगे. इसके अलावा भारत और अमेरिका के बीच 113 और इंजन खरीदने की तैयारी है, जिसकी कीमत लगभग 1 अरब डॉलर है. समुद्री सहयोग के तहत भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया नवंबर में गुआम तट पर होने वाले मालाबार नौसैनिक अभ्यास की तैयारी कर रहे हैं. इसके अलावा, भारत ने अमेरिका से 31 MQ-9B ‘प्रिडेटर’ ड्रोन भी 3.8 अरब डॉलर में ऑर्डर किए हैं, जो 2029-30 के बीच मिलेंगे.

Madras Regiment Joint Military Exercise: मद्रास रेजीमेंट 

भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजीमेंट, मद्रास रेजीमेंट, इस वर्ष 275 साल की गौरवमयी यात्रा पूरी कर रही है. इसकी स्थापना 1660 के दशक में हुई थी और 1750 में इसे आधिकारिक रूप से मद्रास रेजीमेंट के रूप में स्थापित किया गया. रेजीमेंट ने कर्नाटिक युद्ध, 1857 का स्वतंत्रता संग्राम, अफगान और बर्मा युद्ध, बॉक्सर्स विद्रोह जैसे अभियानों में हिस्सा लिया. स्वतंत्रता के बाद यह जम्मू-कश्मीर युद्ध, 1962 का भारत-चीन युद्ध, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों, ऑपरेशन पवन और सियाचिन ग्लेशियर जैसी चुनौतीपूर्ण जगहों पर सक्रिय रही.

इस रेजीमेंट को अब तक 45 युद्ध सम्मान, 14 थिएटर सम्मान, 11 COAS यूनिट सिटेशन, 52 GOC-in-C प्रशंसा और अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र व सौर्य चक्र जैसे वीरता पुरस्कार मिल चुके हैं. यह रेजीमेंट धर्मनिरपेक्षता और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक भी है. हाल ही में इसके कर्नल ने वेलिंगटन स्थित मुरुगन मंदिर में पारंपरिक दक्षिण भारतीय वेशभूषा ‘वेस्टी’ पहनकर पूजा की, जो सेना में समावेशिता और एकता को दर्शाता है. वर्तमान में यह रेजीमेंट 29 बटालियन में सक्रिय है और युद्ध अभियानों, खेल, साहसिक गतिविधियों और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में योगदान दे रही है.

संयुक्त युद्धाभ्यास का महत्व

‘युद्धाभ्यास 2025’ में भारत की ओर से 450 सैनिक शामिल हैं, जो अब तक के सभी युद्धाभ्यास में सबसे बड़ी संख्या है. यह अभ्यास साल 2004 से हर साल आयोजित होता है, जिसमें एक साल भारत और अगले साल अमेरिका में अभ्यास होता है. अमेरिका में अधिकांश अभ्यास अलास्का में होते हैं, जबकि भारत में रानीखेत, ओली हाई एल्टिट्यूड और पहले राजस्थान के महाजन में आयोजित हुए हैं.

अभ्यास का समापन संयुक्त युद्ध manoeuvres और लाइव-फायर ड्रिल के साथ होगा. इसमें उच्च ऊंचाई वाले युद्ध परिदृश्य तैयार किए जाएंगे. अभ्यास का मुख्य उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच सहयोग, अंतर-संचालन क्षमता और बहु-क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने की तैयारी को और अधिक प्रभावी बनाना है. भारत के बहुपक्षीय अभ्यास अनुभव में मिस्र में आयोजित ‘ब्राइट स्टार 2025’ भी शामिल है, जिसमें भारत की सेना अन्य देशों के साथ पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र के सबसे बड़े त्रि-सेवा बहुपक्षीय अभ्यास में हिस्सा ले रही है.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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