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धरती के इस आइलैंड पर नहीं चलती घड़ी! रात के 2 बजे लोग खेलते हैं फुटबॉल, जानें यूरोप के इस देश की वायरल कहानी का सच

Island Without Clocks: नॉर्वे के सोमारॉय द्वीप की वायरल कहानी, जहां घड़ियां नहीं चलने का दावा किया गया. जानिए कैसे सूरज, मिडनाइट सन और पोलर नाइट ने इस जगह को चर्चा में ला दिया, और फिर कैसे यह कहानी एक प्रचार अभियान निकली.

Island Without Clocks: सोचिए, एक ऐसी जगह जहां सुबह कितने बजे उठना है, रात को कब सोना है, यह घड़ी नहीं बल्कि आपका मन तय करता हो. जहां सूरज कई-कई दिन तक डूबे ही नहीं और रात भी दिन जैसी लगे. सोशल मीडिया पर ऐसी ही एक कहानी खूब चली. कहा गया कि नॉर्वे का एक छोटा सा द्वीप ऐसा है, जहां घड़ियां नहीं चलतीं. नाम बताया गया सोमारॉय . लेकिन जब कहानी की परतें खुलीं, तो सच्चाई कुछ और ही निकली. नॉर्वे उत्तरी यूरोप का एक विकसित देश है. यहां की आबादी करीब 56 लाख है और यह दुनिया के सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में शामिल है. देश की अर्थव्यवस्था का आधार तेल, गैस, मछली और हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर है. इसके साथ ही नॉर्वे तेजी से ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ बढ़ रहा है. सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले समय में जीरो-एमिशन वाहनों को बढ़ावा दिया जाए और पर्यावरण से जुड़े लक्ष्यों को पूरा किया जाए. (Viral Story European Country Norway Sommaroy Island in Hindi)

हाल ही में नॉर्वे ने रूस के साथ 2026 के लिए मछली पकड़ने का समझौता किया है. इसके तहत कॉड मछली का कोटा 1991 के बाद सबसे कम रखा गया है, ताकि समुद्री जीवन सुरक्षित रह सके. इसके अलावा देश की बिजली व्यवस्था और जरूरी ढांचे की सुरक्षा के लिए नए नियमों पर काम हो रहा है. जलवायु परिवर्तन की मार नॉर्वे पर भी साफ दिख रही है; आर्कटिक की बर्फ पिघल रही है और ग्लेशियर छोटे होते जा रहे हैं.

सोमारॉय: जहां सूरज नहीं मानता घड़ी

अब बात उस द्वीप की, जिसने दुनिया का ध्यान खींचा. सोमारॉय, नॉर्वे के उत्तर में बसा एक छोटा सा द्वीप है, जहां करीब 304 लोग रहते हैं. इस जगह की सबसे खास बात इसका सूरज है. गर्मियों में यहां लगातार 69 दिन तक सूरज नहीं डूबता, जबकि सर्दियों में करीब 70 दिन तक अंधेरा छाया रहता है. ऐसे हालात में सुबह-शाम और दिन-रात की पहचान ही बदल जाती है.

Island Without Clocks in Hindi: बिना समय के जीने की वायरल कहानी

एक वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया कि सोमारॉय में लोग घड़ियां नहीं पहनते. कहा गया कि लोगों ने अपनी घड़ियां उतारकर उस पुल पर टांग दी हैं, जो द्वीप को बाकी इलाकों से जोड़ता है. वीडियो के मुताबिक, यहां दुकानें और स्कूल तय समय पर नहीं चलते. लोग जब मन करे तब काम करते हैं, खाते हैं और सोते हैं. बताया गया कि रात के 2 या 3 बजे लोग फुटबॉल खेलते, घास काटते या समुद्र में तैरते नजर आ जाते हैं.

वीडियो में यह भी कहा गया कि नवंबर से फरवरी के बीच यहां नॉर्दर्न लाइट्स इतनी खूबसूरत दिखती हैं कि यह द्वीप दुनिया का सबसे सुंदर ऑरोरा द्वीप माना जाता है. दावा किया गया कि यहां कोई किसी को समय का दबाव नहीं देता. न सुबह की जल्दी, न रात की बंदिश. खाना और नींद सिर्फ मन और शरीर के हिसाब से तय होती है. साल 2019 में सोमारॉय के एक निवासी क्जेल ओवे ह्वेडिंग ने इस सोच को आगे बढ़ाया. उन्होंने नॉर्वे सरकार से मांग की कि इस द्वीप को “टाइम-फ्री जोन” घोषित किया जाए. उनका तर्क था कि जब सूरज ही नियम नहीं मानता, तो इंसानों पर समय की पाबंदी क्यों हो. (Island Without Clocks Viral Story European Country Norway Sommaroy Island)

सच आया सामने

बाद में यह साफ हो गया कि बिना समय वाला द्वीप वाली कहानी पूरी तरह सच नहीं थी. यह एक प्रचार अभियान का हिस्सा थी, जिसे जरूरत से ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया. इस पर नॉर्वे की पर्यटन एजेंसी Innovation Norway के निदेशक हाकोन हाउगली ने स्थानीय अखबार Aftenposten से सार्वजनिक माफी मांगी. उन्होंने माना कि यह एक गलती थी और इससे संस्था की साख को नुकसान पहुंचा. रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रचार अभियान पर करीब 50,000 यूरो खर्च हुए. यह रकम नॉर्वे की मुद्रा में लगभग 4.83 लाख क्रोनर बैठती है. बताया गया कि यह पैसा ओस्लो और लंदन की पीआर एजेंसियों को दिया गया. इतनी रकम नॉर्वे में एक सरकारी कर्मचारी की करीब एक साल की सैलरी के बराबर मानी जाती है.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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