Saudi Arabia Alcohol Ban Relaxed: सऊदी अरब को अब तक एक सख्त इस्लामिक देश के रूप में जाना जाता रहा है, जहां शराब पूरी तरह से बैन थी. लेकिन अब वहां की हवा धीरे-धीरे बदल रही है. हाल के दिनों में खबर आई है कि सऊदी अरब ने शराब से जुड़े अपने नियमों में चुपचाप बड़ा बदलाव किया है. यह बदलाव सीधे आम जनता के लिए नहीं है, बल्कि खास तरह के विदेशी लोगों के लिए है. यह दिखाता है कि सऊदी अरब अब खुद को धार्मिक देश से एक टूरिज्म और बिजनेस हब के रूप में तैयार कर रहा है.
Saudi Arabia Alcohol Ban Relaxed: अब कौन ले सकता है शराब और कहां से?
सेमाफोर की रिपोर्ट के मुताबिक अब सऊदी अरब में गैर-मुस्लिम विदेशी नागरिक, जिनके पास प्रीमियम रेजीडेंसी है, वे रियाद की एक खास शराब दुकान से शराब खरीद सकते हैं. यह दुकान पहले सिर्फ विदेशी राजनयिकों (डिप्लोमैट्स) के लिए ही थी. यह दुकान रियाद के डिप्लोमैट्स क्वार्टर इलाके में स्थित है. पिछले कुछ दिनों में कई प्रीमियम रेजिडेंसी धारकों ने बताया कि वे वहां से शराब खरीद पा रहे हैं. सेमाफोर के अनुसार, अभी सऊदी सरकार ने इस बदलाव पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है. यह जानकारी लोगों को आपस में बातचीत के जरिए मिली है. इस पर सऊदी मीडिया मंत्रालय और सऊदी प्रीमियम रेजीडेंसी प्रोग्राम की ओर से भी अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
Saudi Arabia Alcohol Ban Relaxed: सरकार ने चुप्पी क्यों साध रखी है?
सरकार की चुप्पी खुद में बहुत कुछ कहती है. रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब यह बदलाव धीरे-धीरे और बिना शोर किए लागू कर रहा है, ताकि समाज में कोई बड़ा विवाद न खड़ा हो. अभी तक यह सुविधा सिर्फ एक सीमित वर्ग को दी जा रही है और पूरे देश में नहीं, सिर्फ रियाद की एक दुकान तक सीमित है. सेमाफोर की रिपोर्ट कहती है कि सऊदी अरब का लक्ष्य है कि वह 2030 तक हर साल 150 मिलियन टूरिस्ट देश में लाए. इसके लिए वह बड़े स्तर पर होटल, मनोरंजन केंद्र और टूरिज्म ढांचे पर पैसा लगा रहा है. लेकिन सऊदी अरब अब भी एक तरह से “सूखा देश” माना जाता है, जिसकी वजह से कई विदेशी पर्यटक उसे दुबई, कतर और बहरीन जैसे देशों के मुकाबले कम पसंद करते हैं. ऐसे में शराब नियमों में यह ढील विदेशी पर्यटकों और निवेशकों को आकर्षित करने की एक रणनीति मानी जा रही है.
रियाद की शराब दुकान की कहानी
रिपोर्ट के मुताबिक रियाद की यह शराब दुकान पिछले साल खोली गई थी और तब यह सिर्फ विदेशी राजनयिकों के लिए ही थी. इसका मकसद था कि जो शराब पहले अलग-अलग तरीकों से मंगाई जाती थी, उसे अब एक ही जगह से, सरकारी निगरानी में व्यवस्थित किया जाए. पहले शराब ज्यादातर डिप्लोमैट्स के जरिए ही देश में आती थी, अब सरकार उसे खुद कंट्रोल में लेकर धीरे-धीरे खोल रही है.
प्रीमियम रेजीडेंसी क्या है?
सऊदी अरब ने 2019 में प्रीमियम रेजीडेंसी प्रोग्राम शुरू किया था ताकि ज्यादा कमाने वाले प्रोफेशनल लोग और विदेशी निवेशक देश की तरफ आकर्षित हों. अब यह रेजिडेंसी उन लोगों को दी जाती है जो महीने में 80,000 सऊदी रियाल (लगभग 21,000 डॉलर) से ज्यादा कमाते हैं
या जो कुछ खास प्रोफेशन में काम करते हैं. इन्हीं लोगों को अब शराब खरीदने की यह सीमित सुविधा दी गई है, वो भी सिर्फ अगर वे गैर-मुस्लिम हों. सेमाफोर की रिपोर्ट बताती है कि सऊदी सरकार बहुत संतुलन बनाकर चल रही है. एक तरफ वह खुद को आधुनिक और खुला देश दिखाना चाहती है ताकि टूरिज्म और विदेशी निवेश बढ़े, वहीं दूसरी तरफ वह इस्लामिक नियमों और अपनी धार्मिक पहचान से भी दूर नहीं जाना चाहती, क्योंकि सऊदी अरब इस्लाम के दो सबसे पवित्र शहरों का रक्षक देश है. इसी वजह से शराब पर पूरी छूट नहीं दी गई, बल्कि बहुत सीमित और नियंत्रित ढंग से यह कदम उठाया गया है.
पहले क्या होता था?
रिपोर्ट के अनुसार पिछले कई दशकों से सऊदी अरब में रहने वाले विदेशी लोग चोरी-छिपे शराब के लिए अलग रास्ते अपनाते थे. कई लोग घर पर ही बीयर और वाइन बनाते थे, जबकि कुछ राजनयिकों से उनके निजी शराब भंडार से शराब लेते थे. दी न्यूयौर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जब तक यह सब पर्दे के पीछे और सीमित दायरे में रहता था, सरकार ज्यादा सख्ती नहीं करती थी. लेकिन जैसे ही यह सार्वजनिक होता, तब कार्रवाई होती थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि सऊदी अरब के कई बड़े होटल और रेस्तरां में पहले से बार जैसी जगहें तैयार हैं. फिलहाल वहां केवल मॉकटेल और जीरो अल्कोहल बीयर परोसी जा रही है. लेकिन जैसे ही सरकार पूरी इजाज़त देगी, वहां शराब परोसना शुरू किया जा सकता है. होटल इंडस्ट्री पहले से इसके लिए तैयार बैठी है.
ये भी पढ़ें:
पाकिस्तान की खौफनाक साजिश! बलूचिस्तान में अपने ही लोगों पर केमिकल हमला? मीर यार बलूच का बड़ा दावा

