Balochistan Chemical Attack Allegation: दुनिया के नक्शे पर एक बार फिर बलूचिस्तान चर्चा में है. फर्क बस इतना है कि इस बार मामला और भी ज्यादा गंभीर है. बलूच एक्टिविस्ट्स का आरोप है कि पाकिस्तान ने अपने ही बलूच लोगों पर केमिकल हथियारों जैसे खतरनाक साधनों का इस्तेमाल किया है. ये आरोप सोशल मीडिया से निकलकर अब अंतरराष्ट्रीय बहस का हिस्सा बन चुका है. सवाल बड़ा है, आरोप भारी है और जवाब फिलहाल अधूरे हैं. बलूच राष्ट्रवादी कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर दावा किया कि पाकिस्तान एयरफोर्स ने बलूचिस्तान के कई इलाकों में ड्रोन हमले किए.
इनमें कलात, खुजदार, बोलन, कोहलू, कहन, चागई, पंजगुर और नोशकी जैसे क्षेत्र शामिल हैं. उनका कहना है कि इन ड्रोन स्ट्राइक के बाद जो मलबा मिला, उसमें कुछ “केमिकल पार्टिक्लस” यानी रासायनिक कण पाए गए. मीर यार बलूच ने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान “बलूच लोगों के खिलाफ केमिकल हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है”. अगर यह बात सच साबित होती है, तो यह केमिकल वेपंस कन्वेंशन (CWC) का उल्लंघन होगा, जिस पर पाकिस्तान 1997 से हस्ताक्षर कर चुका है.
Balochistan Chemical Attack Allegation: अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग क्यों उठी है?
इन दावों के सामने आने के बाद बलूच एक्टिविस्ट्स ने मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच OPCW (Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons) को करनी चाहिए. यह वही अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो दुनिया भर में रासायनिक हथियारों पर नजर रखती है. एक्टिविस्ट्स का कहना है कि 21 नवंबर को ये ड्रोन हमले हुए थे और इसके बाद से हालात और चिंताजनक हो गए हैं. उन्होंने विदेशी विशेषज्ञों से अपील की है कि वे बलूचिस्तान जाकर हालात की जांच करें. लेकिन अभी तक न तो किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था ने इन आरोपों की पुष्टि की है और न ही किसी मेडिकल टीम या खोजी पत्रकारों की तरफ से कोई पुख्ता रिपोर्ट सामने आई है.
बलूचिस्तान में बढ़ती निगरानी का आरोप
बलूच एक्टिविस्ट्स ने एक और बड़ी बात सामने रखी है. उनका कहना है कि बलूचिस्तान के करीब 50 इलाकों में सरकार ने हवाई और जमीनी निगरानी बढ़ा दी है. इसमें ड्रोन, निगरानी सिस्टम और जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हो रहा है. इन दावों को कुछ हद तक एमनेस्टी इंटरनेशनल की सितंबर 2025 की रिपोर्ट से भी ताकत मिलती है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान दुनिया के बड़े निगरानी नेटवर्क में से एक चला रहा है और बलूचिस्तान इस नेटवर्क का अहम हिस्सा है. रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार एक्टिविस्ट्स और असंतुष्ट लोगों पर नजर रखने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर रही है.
अलगाववाद और टकराव की जड़
बलूचिस्तान में हालात पहले से ही तनावपूर्ण हैं. यहां के अलगाववादी संगठन जैसे बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और यूनाइटेड बलूच आर्मी (UBA) लंबे समय से पाकिस्तान से अलग होने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि वे सरकार के दमन के खिलाफ लड़ रहे हैं. वहीं पाकिस्तान सरकार इन संगठनों को आतंकवादी मानती है और कई बार यह आरोप भी लगाती रही है कि इन्हें भारत और अफगानिस्तान का समर्थन मिल रहा है. इस तरह एक तरफ सरकार का नैरेटिव है और दूसरी तरफ बलूच संगठनों का. सच्चाई के बीच का रास्ता अभी पूरी तरह साफ नहीं है.
इतने गंभीर आरोपों के बावजूद अब तक OPCW या किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था ने इन आरोपों पर कोई आधिकारिक बयान या जांच की घोषणा नहीं की है. किसी मेडिकल रिपोर्ट, वैज्ञानिक जांच या अंतरराष्ट्रीय टीम की ओर से भी अब तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है. फिलहाल यह मामला दावों और आरोपों के स्तर पर ही है. लेकिन ये आरोप ऐसे हैं, जिन्हें सिर्फ नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता.
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