Iran offers mediation in Afghanistan-Pakistan conflict: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर चल रहा तनाव इतना बढ़ा कि अन्य देशों को बीच-बचाव और बातचीत करवानी पड़ी. तुर्की और कतर ने इन दोनों पड़ोसी देशों को बातचीत की टेबल पर बैठाया, लेकिन तीन राउंड की बात के बाद भी मामले का हल नहीं निकल सका. अब इन दोनों के लिए ईरान ने अपनी सहानुभूति का जाल फेंकते हुए मीडिएशन की सलाह करवाने की बात कही है. अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान के बढ़ते तनाव के बीच, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास आराघची ने इस्लामाबाद और काबुल के बीच जारी तनाव को सुलझाने में मदद करने की तेहरान की तत्परता व्यक्त की है. इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज एजेंसी (IRNA) के अनुसार, आराघची ने यह प्रस्ताव शनिवार रात पाकिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार के साथ फोन वार्ता के दौरान दिया.
ईरान ने क्या कहा
चर्चा के दौरान आराघची ने ईरान और पाकिस्तान के बीच गहरी जड़ें जमाई दोस्ती और ऐतिहासिक संबंधों पर जोर देते हुए दोनों देशों को “साझा मूल्यों और क्षेत्रीय हितों से बंधे दो पड़ोसी मुस्लिम राष्ट्र” बताया. उन्होंने राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने की ईरान की प्रतिबद्धता को दोहराया. ईरानी विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद और काबुल के बीच बढ़ते तनाव पर चिंता भी जताई और क्षेत्रीय शक्तियों के बीच संवाद और सहयोग जारी रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि दोनों देश बात करेंगे तो मतभेदों को कम किया जा सकेगा और स्थिरता बहाल हो सकती है. आराघची ने इस बात पर जोर दिया कि शांति और पारस्परिक समझ न केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए आवश्यक है.
पाकिस्तान ने ईरान को बातचीत की कोशिशों से अवगत कराया
पाकिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने आराघची को अफगानिस्तान के साथ जारी नवीनतम कूटनीतिक प्रयासों के बारे में जानकारी दी, जिनमें सीमा पर तनाव कम करने के लिए की गई हालिया वार्ताएं भी शामिल हैं. डार ने दोहराया कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखना पाकिस्तान की शीर्ष प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, बार-बार की उकसावे की घटनाओं के बावजूद, काबुल के साथ संरचनात्मक संवाद जारी रखना चाहता है. दोनों मंत्रियों ने सहमति जताई कि नियमित परामर्श और संवाद दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और स्थिति के और बिगड़ने से रोकने में मदद करेंगे.
ईरान के विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से भी बात की और बातचीत की टेबल पर बैठने की अपील की. इस पर अफगान विदेश मंत्री ने उनका आभार जताया.
पाकिस्तान-अफगानिस्तान संघर्ष
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध अक्टूबर 2025 से तनावपूर्ण बने हुए हैं, जब पाकिस्तान ने काबुल में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के नेताओं को निशाना बनाते हुए हवाई हमले किए थे. इस हमले के बाद तनाव तेजी से बढ़ा और सीमा पार झड़पों में दोनों ओर सैन्य और नागरिक हताहत हुए. पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हमले उस समय किए थे, जब उनके विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्तकी भारत दौरे पर थे. इसके बाद से दोनों देशों के बीच बॉर्डर पर विवाद बढ़ गया.
दोनों देशों के बीच लंबे समय से चला आ रहा डूरंड लाइन विवाद, ब्रिटिश औपनिवेशिक युग की सीमा रेखा है. लेकिन अफगानिस्तान के लिए यह आज भी अविश्वास और कूटनीतिक रुकावटों का कारण बना हुआ है. कतर और तुर्की की मध्यस्थता से इस साल की शुरुआत में एक कमजोर संघर्षविराम हुआ था, लेकिन हाल ही में 6 नवंबर को इस्तांबुल में हुई बातचीत आरोप-प्रत्यारोप के बीच टूट गई. पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार उसके खिलाफ हमले करने वाले TTP आतंकियों को पनाह दे रही है, जबकि काबुल इन आरोपों को सख्ती से नकारता है.
ये भी पढ़ें:-
रूस से आजाद हुआ खेरसन अब अलग मुसीबत में, कभी 2,80,000 लोगों का घर रहा, अब सड़कों पर पसरा है सन्नाटा

