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738 दिन बाद टूट गई मां की आस, हमास की कैद से जिंदा नहीं लौटे नेपाल के बिपिन जोशी, इजरायल लौटा शव

Hamas returns Bipin Joshi's dead body: सोमवार को इजरायल में जश्न का माहौल था, लेकिन उस युद्ध भूमि से हजारों किलोमीटर दूर एक परिवार पूरी तरह दुख में डूबा रहा. 738 दिन यानी दो साल से भी ज्यादा का वक्त लगा नेपाल के बिपिन जोशी के परिवार को यह जानने में कि उनके बेटे का क्या हुआ. 7 अक्टूबर 2023 को हमास आतंकियों ने उन्हें इजरायल से अगवा कर लिया था. अब सोमवार को बिपिन का शव उन चार बंधकों में शामिल था, जिन्हें हमास ने इजरायल को लौटाया.

Hamas returns Bipin Joshi’s dead body: इजरायल और हमास के बीच दो साल से जारी युद्ध आखिरकार रुकता नजर आ रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गाजा शांति योजना पर दोनों पक्षों ने सहमति जताते हुए सीजफायर करने का ऐलान किया और सोमवार, 13 अक्टूबर को दोनों ने एक दूसरे देश के कैदियों को रिहा कर दिया. इजरायल की ओर से 1700 लोगों को रिहा किया जा रहा है, तो वहीं हमास ने 20 इजरायली बंधकों को आजाद किया. इजरायल में जश्न का माहौल था, लेकिन उस युद्ध भूमि से हजारों किलोमीटर दूर एक परिवार पूरी तरह दुख में डूबा रहा. 738 दिन यानी दो साल से भी ज्यादा का वक्त लगा नेपाल के बिपिन जोशी के परिवार को यह जानने में कि उनके बेटे का क्या हुआ. 7 अक्टूबर 2023 को हमास आतंकियों ने उन्हें इजरायल से अगवा कर लिया था. अब सोमवार को बिपिन का शव उन चार बंधकों में शामिल था, जिन्हें हमास ने इजरायल को लौटाया. बाकी तीन मृतकों की पहचान गाय इलूज, योसी शराबी और डैनियल पेरेज के रूप में हुई.

बिपिन जोशी कौन थे?

नेपाल के बिपिन जोशी सितंबर 2023 में “लर्न एंड अर्न” कार्यक्रम के तहत कृषि अध्ययन के लिए इजरायल पहुंचे थे. 23 वर्षीय बिपिन पहली बार अपने देश से बाहर निकले थे और दक्षिण इजरायल के किब्बुट्ज अलूमीम (Kibbutz Alumim) के सिट्रस फार्म में काम कर रहे थे. 7 अक्टूबर 2023 की सुबह, जब बिपिन खेत में काम कर रहे थे, हमास के आतंकियों ने दक्षिण इजरायल पर हमला किया. इस हमले में 10 नेपाली छात्र मारे गए, 5 घायल हुए और एक किसी तरह बच निकला. बिपिन और एक थाई नागरिक को हमास ने बंधक बना लिया. गवाहों के अनुसार, बिपिन ने दूसरों की रक्षा करने की कोशिश की थी, उन्होंने एक ग्रेनेड हमलावरों की ओर फेंककर साथियों की जान बचाने का प्रयास किया. उनके साहस ने उनके दोस्तों की जान बचाई, लेकिन कुछ देर बाद ही वे हमास के कब्जे में आ गए.    

कुछ दिनों बाद सामने आया वीडियो

बिपिन के परिवार को उनकी कोई खबर नहीं मिली. उनकी 17 वर्षीय बहन पुष्पा जोशी अक्सर अपने गांव से 8 घंटे बस से सफर कर काठमांडू जाती थीं ताकि सरकारी अधिकारियों से भाई की रिहाई की अपील कर सकें. नेपाल सरकार ने भी इजरायल से संपर्क किया, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला. नवंबर 2023 में एक उम्मीद की किरण जगी जब गाजा के एक अस्पताल में बिपिन से मिलते-जुलते व्यक्ति का वीडियो सामने आया. 33 सेकंड के उस वीडियो में बिपिन खुद को नेपाल का छात्र बताते हैं, “मेरा नाम बिपिन जोशी है, मैं नेपाल से हूं, मेरी उम्र 23 वर्ष है, मैं ‘लर्न एंड अर्न’ कार्यक्रम के तहत आया हूं.” लेकिन वह वीडियो उनकी जीवित स्थिति का सबूत साबित नहीं हुआ.

परिवार की अपील और अंतरराष्ट्रीय प्रयास

बिपिन का परिवार अगस्त 2025 में इजरायल गया, जहां उन्होंने राष्ट्रपति इसाक हर्जोग से मुलाकात की. बिपिन की मां ने भावुक होकर कहा, “हमारा दिल टूट चुका है. मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करती हूं, कृपया जो भी हो सके कीजिए.” सितंबर में परिवार न्यूयॉर्क गया ताकि संयुक्त राष्ट्र महासभा में बिपिन के मामले को उठाया जा सके. उस समय तक कुछ सामने नहीं आया था. लेकिन 13 अक्टूबर 2025 को जब हमास और इजरायल के बीच डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना के पहले चरण के तहत 20 बंधकों को रिहा करने पर सहमति बनी, परिवार को उम्मीद थी कि बिपिन उनमें होंगे. लेकिन उनका नाम सूची में नहीं था.

आखिरकार बिपिन का शव ही लौटा

बिपिन को जब हमास ने बंधक बनाया था, उसके कुछ दिन बाद, बिपिन को शिफा हॉस्पिटल में देखा गया था, जहां हमास के लड़ाके उन्हें घसीटते हुए ले जा रहे थे, यहीं उन्हें आखिरी बार जिंदा देखा गया था. उनके जिंदा होने की उम्मीद थी, लेकिन सोमवार शाम को हमास ने 20 जीवित बंधकों के साथ चार शव भी लौटाए जिनमें बिपिन जोशी भी शामिल थे. इजरायली सेना ने औपचारिक रूप से नेपाली दूतावास को सूचना दी कि बिपिन अब जीवित नहीं हैं. 26 अक्टूबर को जन्मे बिपिन इस साल 25 वर्ष के हो जाते, लेकिन एक युवा छात्र जो अपने सपनों को पूरा करने नेपाल से इजरायल गया, वहीं अपनी जान गंवा बैठा. 

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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