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चीन की पोल खोलने वाला अमेरिका की जेल में, अब मंडरा रहा निर्वासन का खतरा, पीड़ितों ने उठाई आवाज

Chinese whistleblower Guan Heng deportation from the US: पूर्वी तुर्किस्तान में नजरबंदी शिविरों से जुड़ी सच्चाई सामने लाने में भूमिका निभाने वाले गुआन हेंग के संभावित निर्वासन ने मानवाधिकार संगठनों, पत्रकारों और विशेषज्ञों को सतर्क कर दिया है. इसी संदर्भ में विश्व उइघुर कांग्रेस ने अमेरिका से हस्तक्षेप की अपील की है.

Chinese whistleblower Guan Heng deportation from the US: चीन में उइघुर मुसलमानों और अन्य तुर्क समुदायों के खिलाफ कथित मानवाधिकार उल्लंघनों को उजागर करने वाले एक अहम गवाह के भविष्य को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता गहराती जा रही है. पूर्वी तुर्किस्तान में नजरबंदी शिविरों से जुड़ी सच्चाई सामने लाने में भूमिका निभाने वाले गुआन हेंग के संभावित निर्वासन ने मानवाधिकार संगठनों, पत्रकारों और विशेषज्ञों को सतर्क कर दिया है. इसी संदर्भ में विश्व उइघुर कांग्रेस ने अमेरिका से हस्तक्षेप की अपील की है.

विश्व उइघुर कांग्रेस (WUC) ने चीनी नागरिक गुआन हेंग के संभावित देशनिकाले को लेकर गंभीर चिंता जताई है. संगठन का कहना है कि गुआन हेंग वही व्यक्ति हैं, जिनकी गुप्त रूप से बनाई गई रिकॉर्डिंग्स ने पूर्वी तुर्किस्तान में चल रहे नजरबंदी शिविरों की भयावह सच्चाई को दुनिया के सामने लाने में अहम भूमिका निभाई थी. इन रिकॉर्डिंग्स के जरिए उइघुरों और अन्य तुर्क जातीय समूहों के खिलाफ हो रहे बड़े पैमाने के दमन और दुर्व्यवहारों के ठोस प्रमाण सामने आए थे.

अपनी प्रेस विज्ञप्ति में डब्ल्यूयूसी ने बताया कि वर्ष 2020 में गुआन हेंग ने अत्यंत जोखिम उठाते हुए पूर्वी तुर्किस्तान में स्थापित सामूहिक नजरबंदी शिविरों को गुप्त रूप से कैमरे में कैद किया. ये वीडियो साक्ष्य बेहद दुर्लभ थे. उन्होंने न केवल पीड़ितों की गवाही की पुष्टि की, बल्कि चीनी सरकार द्वारा चलाए जा रहे व्यापक दमन अभियान पर की जा रही खोजी पत्रकारिता को भी मजबूती दी. बाद में गुआन द्वारा जुटाए गए फुटेज को पत्रकारों और शोधकर्ताओं के साथ साझा किया गया, जिससे सामूहिक नजरबंदी से जुड़े सार्वजनिक रिकॉर्ड और भी मजबूत हुए. इनमें बजफीड न्यूज की उस खोजी रिपोर्टिंग का योगदान भी शामिल है, जिसे पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

डब्ल्यूयूसी के अनुसार, चीन से निकलने के बाद गुआन हेंग ने सुरक्षा की तलाश में कई देशों से होते हुए एक खतरनाक और अनिश्चित यात्रा की. अंततः वह 2021 में संयुक्त राज्य अमेरिका पहुंचे. तब से वह खुले तौर पर रह रहे हैं, उनके पास वैध अमेरिकी वर्क परमिट है और उन्होंने अमेरिकी आव्रजन प्रणाली के तहत शरण के लिए आवेदन भी कर रखा है.

15 दिसंबर को न्यूयॉर्क में होगी सुनवाई

संगठन ने यह भी बताया कि इन तमाम परिस्थितियों के बावजूद गुआन हेंग फिलहाल न्यूयॉर्क के ब्रूम काउंटी जेल में बंद हैं और उन्हें निर्वासन का सामना करना पड़ रहा है. यह खतरा केवल इसलिए नहीं है कि उनकी शरण याचिका खारिज कर दी गई, बल्कि इसलिए भी है कि अमेरिकी अधिकारियों ने उनके देश में प्रवेश के तरीके पर सवाल उठाए हैं. ह्यूमन राइट्स इन चाइना की रिपोर्ट के मुताबिक, गुआन 15 दिसंबर को न्यूयॉर्क में होने वाली अदालती सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं.

अगर चीन निर्वासन हुआ, तो होगा बड़ा खतरा

विश्व उइघुर कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि गुआन हेंग को चीन वापस भेजा गया तो उन्हें जेल, यातना या जबरन गायब किए जाने का गंभीर जोखिम झेलना पड़ सकता है. राज्य प्रायोजित अत्याचारों का दस्तावेजीकरण करने और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ सहयोग करने के चलते वे चीन के कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों के तहत प्रतिशोध का शिकार बन सकते हैं. डब्ल्यूयूसी के अनुसार, चीनी सुरक्षा एजेंसियां पहले ही उनके परिवार के सदस्यों से पूछताछ कर चुकी हैं और उन्हें डराने-धमकाने की घटनाएं सामने आई हैं.

प्रेस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि यह मामला पत्रकारों, मानवाधिकार संगठनों और चीन मामलों के जानकारों के बीच गहरी चिंता का कारण बन गया है. उनका मानना है कि गुआन का निर्वासन दुनिया भर में बड़े पैमाने पर अत्याचारों को उजागर करने वाले मुखबिरों और प्रत्यक्षदर्शियों के लिए एक खतरनाक और डर पैदा करने वाला संदेश होगा.

विश्व उइघुर कांग्रेस ने की अपील

विश्व उइघुर कांग्रेस ने अमेरिकी प्रशासन से अपील की है कि गुआन हेंग के खिलाफ चल रही सभी निर्वासन प्रक्रियाओं को तुरंत रोका जाए. संगठन ने यह भी मांग की कि उनके शरण आवेदन की समीक्षा अमेरिकी शरणार्थी कानूनों और अंतरराष्ट्रीय ‘नॉन-रिफाउलमेंट’ (जबर्दस्ती वापस न भेजने) दायित्वों के अनुरूप निष्पक्ष और पूरी तरह से की जाए.

बयान के अंत में डब्ल्यूयूसी ने जोर देकर कहा कि गुआन हेंग ने चीनी सरकार द्वारा छिपाए जा रहे गंभीर अपराधों को उजागर करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली. ऐसे में, जब अमेरिका पहले ही उइघुरों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को नरसंहार के रूप में मान्यता दे चुका है, तो गुआन को उसी उत्पीड़न के माहौल में वापस भेजना नैतिक और कानूनी दोनों ही दृष्टि से गलत होगा, जिसे उजागर करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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