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बिल से निकला पन्नू, कनाडा में फिर दोहराई अपनी बेशर्म करतूत, इस साजिश के पीछे कहीं ये रणनीति तो नहीं…

Canada Khalistan Referendum: कनाडा के ओटावा में सिख फॉर जस्टिस नामक संगठन के तहत खालिस्तानी गतिविधि एकबार फिर से देखी गई. कनाडा के मैकनेब कम्युनिटी सेंटर में एक कथित रेफरेंडम किया गया, जिसमें खालिस्तान बनाने के लिए जनमत संग्रह हुआ. इस दौरान भारतीय तिरंगे का अपमान किय गया और बेहद भड़काऊ नारे लगाए गए.

Canada Khalistan Referendum: कनाडा में एक बार फिर से भारत विरोध की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. सोमवार को सिख फॉर जस्टिस से जुड़े खालिस्तानी तत्वों ने एक अलग देश के लिए मतदान में भाग लिया. इसके लिए अनौपचारिक ढंग से एक जनमत संग्रह का आयोजन किया गया. इस दौरान भारतीय तिरंगे का अपमान किया. उन्होंने भड़काऊ नारे भी लगाए, जिससे कार्यक्रम का माहौल बहुत तनावपूर्ण हो गया. पीले खालिस्तान झंडे लिए समर्थक मैकनैब कम्युनिटी सेंटर के बाहर लंबी कतारों में खड़े दिखाई दिए, जहाँ सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक मतदान चला. यह सब ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत और कनाडा के संबंध सुधरते नजर आ रहे हैं.

सिख फॉर जस्टिस का दावा है कि ओंटारियो, अल्बर्टा, ब्रिटिश कोलंबिया और क्यूबेक से 53,000 से अधिक सिख इसमें शामिल हुए. इस कथित रेफरेंडम के लिए दो किलोमीटर तक लंबी कतारें लगी रहीं. संगठन का कहना है कि नवजात बच्चों से लेकर वॉकर पर चलने वाले बुजुर्गों तक, परिवारों ने पूरे दिन लाइन में खड़े रहकर मतदान किया और निर्धारित समय के बाद भी वोटिंग जारी रखी गई, ताकि कतार में खड़े सभी लोग वोट डाल सकें. यह मतदान ओटावा के मैकनेब कम्युनिटी सेंटर में हुआ, जहां सुबह 10 बजे से 3 बजे तक वोटिंग हुई. 

तिरंगे का अपमान और लगे विवादित नारे

इस दौरान भारतीय तिरंगे का अपमान किया गया, बेहद भद्दे और ‘उन्हें मार डालो’ भड़काऊ नारे लगाए गए, जिनका निशाना भारतीय नेता रहे. खालिस्तानी पीले झंडे के साथ चरमपंथी और हिंसक कार्रवाई की बातें कह रहे थे. यह सब कुछ पुलिस की मौजूदगी में होता रहा. अल्बर्टा-आधारित डिजिटल आउटलेट मीडिया बिजिर्गन की फुटेज में सेंटर के बाहर विशाल भीड़ दिखाई दी. इस दौरान पुलिस मौजूद थी लेकिन आक्रामक नारेबाजी के बावजूद हस्तक्षेप नहीं कर रही थी. भारत द्वारा आतंकवादी घोषित SFJ के जनरल काउंसल गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को सैटेलाइट संदेश के जरिए संबोधित किया.

क्या है सिख्स फॉर जस्टिस?

यह कार्यक्रम सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) नामक संगठन ने आयोजित किया था, जिसे भारत ने देश-विरोधी गतिविधियों के चलते UAPA के तहत प्रतिबंधित कर रखा है. SFJ लंबे समय से पंजाब को अलग राष्ट्र ‘खालिस्तान’ बनाने की मांग करता रहा है. यह जनमत संग्रह कानूनी रूप से मान्य नहीं है. इसका मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू माना जाता है. भारत सरकार ने इसे भी आतंकी की श्रेणी में डाल रखा है. 

फिर कैसे जिंदा हो गया SFJ का रेफरेंडम

SFJ का रेफरेंडम का ड्रामा काफी दिनों से शांत था. लेकिन यह अचानक उठ खड़ा हुआ है. बीते कुछ समय में भारत और कनाडा अपने संबंध सुधारने की राह पर आगे बढ़ रहे हैं. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के पीएम मार्क कार्नी दक्षिण अफ्रीका में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की. सिख फॉर जस्टिस ने इस मुलाकात पर सवाल उठाए थे. संगठन ने इस मुलाकात के समय को संदिग्ध बताया, उसने कहा कि कार्नी मोदी से उस समय क्यों मिल रहे थे, जब यह जनमत संग्रह चल रहा था. नई दिल्ली और ओटावा हाल ही में द्विपक्षीय तनाव कम करने और सहयोग बहाल करने के लिए कदम उठा रहे हैं, जिसमें सुरक्षा और काउंटर-टेरर इंटेलिजेंस पर समन्वय भी शामिल है. कनाडा के पीएम अगले साल भारत आने वाले हैं, ऐसे में यह विवाद का नया मुद्दा बन सकता है. 

भारत और कनाडा के बीच सहयोग के कई बिंदु हैं, लेकिन सुधरते रिश्ते बिगड़ने का खतरा केवल खालिस्तान से ही पैदा होता है. ऐसे में कनाडा को इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. वहीं कनाडा इस समय भारत के साथ ट्रेड को लेकर भी बातचीत की टेबल पर है. कुछ दिनों पहले कनाडा की मंत्री अनीता आनंद भारत दौरे पर थीं. इस दौरान ट्रेड एग्रीमेंट को आगे बढ़ाने पर बात हुई थी.

निज्जर की मौत के बाद बढ़ा था विवाद

भारत और कनाडा के बीच विवाद 2023 में और बढ़ गया था, जब कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर उनके देश में हत्या करवाने का आरोप लगाया था. हरदीप सिंह निज्जर नाम के व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. निज्जर की मौत के बाद पन्नू की हत्या की भी अफवाह उड़ी थी, जिसके बाद से वह ‘अंडरग्राउंड’ ही चल रहा है. इस मामले में अमेरिका की भी एंट्री हो गई थी, जिसने एक भारतीय को गिरफ्तार करने का दावा किया था, जो पन्नू की हत्या करवाने की कोशिश में लगा था. वह मामला धीरे-धीरे शांत हुआ, लेकिन कनाडा के साथ यह विवाद इतना बढ़ा कि दोनों देशों की ओर से राजदूतों की संख्या कम करने की नौबत आ गई. हालांकि ट्रूडो के सत्ता से हटने के बाद खालिस्तानी मामला थोड़ा शांत हुआ था, लेकिन अब यह एकबार फिर से सिर उठा रहा है. 

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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