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शेख हसीना की पार्टी अब भी लड़ सकती है चुनाव, बांग्लादेश के पत्रकार ने दिया जमात-ए-इस्लामी वाला आइडिया

Bangladesh Election Awami League: पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग पर चुनाव से पहले प्रतिबंध लगाया गया है. हालांकि बांग्लादेशी पत्रकार मुक्तादिर राशिद ने एक उपाय सुझाया है, जिसके जरिए पार्टी के नेता चुनाव लड़ सकते हैं. उन्होंने अवामी लीग पर लगाए गए प्रतिबंध को जमात-ए-इस्लामी की ओर से की गई ‘बदले की कार्रवाई’ बताया. उन्होंने जमात का ही आइडिया लीग के लिए सुझाया है.

Bangladesh Election Awami League: बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद जहां राजनीतिक दलों पर लगे प्रतिबंध, पुरानी दुश्मनियां और नई सियासी ताकतें चर्चा में हैं, वहीं 2026 में प्रस्तावित आम चुनावों को लेकर अनिश्चितता और बहस तेज होती जा रही है. इसी पृष्ठभूमि में बांग्लादेशी पत्रकार मुक्तादिर राशिद ने अवामी लीग, जमात-ए-इस्लामी और आगामी चुनावों को लेकर अहम टिप्पणी की है. मुक्तादिर राशिद का कहना है कि भले ही पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग पर चुनाव से पहले प्रतिबंध लगाया गया हो, लेकिन पार्टी के नेता स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. 

बुधवार को ANI को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने अवामी लीग पर लगाए गए प्रतिबंध को जमात-ए-इस्लामी की ओर से की गई ‘बदले की कार्रवाई’ बताया. राशिद के अनुसार, यह कदम 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद की घटनाओं से जुड़ी पुरानी रंजिशों का नतीजा है. उन्होंने कहा कि आज जो स्थिति अवामी लीग के साथ है, वैसी ही स्थिति लंबे समय तक जमात-ए-इस्लामी की भी रही थी. मुक्तादिर राशिद का कहना है कि भले ही पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग पर चुनाव से पहले प्रतिबंध लगाया गया हो, लेकिन पार्टी पूरी तरह राजनीतिक दौड़ से बाहर नहीं हुई है.

राशिद के मुताबिक 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद जो घटनाक्रम हुआ, उसी का प्रतिफल आज की राजनीति में दिखाई दे रहा है. राशिद के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी लंबे समय तक स्वयं प्रतिबंध का शिकार रही थी और करीब 15 वर्षों तक उसे राजनीतिक गतिविधियों से दूर रखा गया था. ऐसे में मौजूदा हालात को वह पुराने सियासी हिसाब-किताब का नतीजा मानते हैं.

बदलाव का रास्ता केवल लोकतंत्र से

राशिद ने जोर देकर कहा कि बांग्लादेश में वास्तविक बदलाव का रास्ता केवल लोकतांत्रिक चुनावों से होकर गुजरता है. उनके मुताबिक अवामी लीग को आत्ममंथन करने की जरूरत है और उसे अपने शासनकाल की गलतियों को स्वीकार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस तरह कभी जमात-ए-इस्लामी ने प्रतिबंध के बावजूद स्वतंत्र उम्मीदवारों के जरिए राजनीति में अपनी मौजूदगी बनाए रखी थी, उसी तरह अवामी लीग के पास भी ऐसे नेता हैं जो निर्दलीय उम्मीदवार बनकर चुनाव लड़ सकते हैं.

जमात के लोगों को दी गई थी फांसी

गौरतलब है कि शेख हसीना के शासनकाल (2009–2024) में जमात-ए-इस्लामी के कई शीर्ष नेताओं पर 1971 के युद्ध अपराधों के मामले चले, जिनमें कुछ को फांसी की सजा दी गई. इसी दौरान हाईकोर्ट ने जमात का पंजीकरण रद्द कर दिया था और हसीना सरकार के अंतिम दिनों में पार्टी पर औपचारिक प्रतिबंध भी लगा दिया गया था. हालांकि, 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद यह प्रतिबंध हटा लिया गया, जिससे जमात-ए-इस्लामी को दोबारा राजनीति में सक्रिय होने का मौका मिला. इसके बाद से पार्टी छात्र संघ चुनावों में भागीदारी और अन्य इस्लामी दलों के साथ गठबंधन के जरिए अपनी सियासी पकड़ मजबूत करने में जुटी है.

कौन-कौन होगा बांग्लादेश की चुनाव में?

2026 में होने वाले आम चुनावों को बांग्लादेश की राजनीति के लिए बेहद अहम माना जा रहा है. इन चुनावों को मुख्य रूप से पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी के बीच मुकाबले के रूप में देखा जा रहा है. इसके साथ ही शेख हसीना विरोधी आंदोलन से उभरी नवगठित नेशनल सिटिजन्स पार्टी (एनसीपी) भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है.

हादी की मौत बनेगी टर्निंग पॉइंट

मुक्तादिर राशिद ने भरोसा जताया कि तमाम राजनीतिक तनाव और हालिया अशांति के बावजूद फरवरी 2026 में चुनाव होंगे. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक हत्याएं कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या ने पूरे देश को गहरे झटके में डाल दिया. राशिद के अनुसार, उस्मान हादी एक उभरते और राष्ट्रवादी सोच वाले नेता थे, जो हिंसा के बजाय शांति और नए राजनीतिक विमर्श की बात करते थे. यही वजह है कि उनकी हत्या को बांग्लादेश की राजनीति में एक ‘टर्निंग पॉइंट’ माना जा रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि हादी की हत्या ऐसे समय हुई, जब कुछ पश्चिमी समूह देश में राजनीतिक तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि आम लोग इस बात को लेकर भ्रमित हों कि क्या चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हो पाएंगे. हालांकि, राशिद का मानना है कि कानून-व्यवस्था एजेंसियां फिलहाल अधिक सतर्क हैं और संवेदनशील नेताओं की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं.

बांग्लादेश की अस्थिरता पूरे क्षेत्र को करेगी प्रभावित

राशिद ने साफ शब्दों में कहा कि बांग्लादेश के लिए लोकतंत्र के अलावा कोई विकल्प नहीं है. उनके अनुसार यदि लोकतांत्रिक प्रक्रिया पटरी से उतरती है, तो इसका असर सिर्फ बांग्लादेश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भारत, म्यांमार समेत पूरे क्षेत्र की सुरक्षा पर पड़ेगा. उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि बीएनपी नेता तारिक रहमान की लंबे निर्वासन के बाद देश वापसी बांग्लादेश की राजनीति में नई ऊर्जा और दिशा ला सकती है.

चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध यूनुस सरकार

इस बीच, अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने भी 12 फरवरी 2026 को आम चुनाव कराने की प्रतिबद्धता दोहराई है. उन्होंने कहा कि देश की जनता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रही है. हालांकि, अमेरिका के कुछ सांसदों ने राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध और अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण को फिर से सक्रिय करने को लेकर चिंता जताई है और समावेशी तथा विश्वसनीय लोकतांत्रिक संक्रमण की अपील की है.

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट. करियर की शुरुआत प्रभात खबर के लिए खेल पत्रकारिता से की और एक साल तक कवर किया. इतिहास, राजनीति और विज्ञान में गहरी रुचि ने इंटरनेशनल घटनाक्रम में दिलचस्पी जगाई. अब हर पल बदलते ग्लोबल जियोपोलिटिक्स की खबरों के लिए प्रभात खबर के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

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