Bangladesh Attack on James Concert: अगर आप अपने घर के पिछवाड़े में सांप पालेंगे, तो वह सिर्फ आपके पड़ोसी को ही नहीं काटेगा. पाकिस्तान के लिए कही गई, हिलेरी क्लिंटन की यह लाइन आज बांग्लादेश की जमीनी हकीकत पर सटीक बैठती नजर आ रही है. शेख हसीना सरकार गिरने के बाद, कट्टरपंथ को नजरअंदाज करने और उसे सामाजिक-राजनीतिक स्पेस देने का नतीजा अब खुलकर सामने आने लगा है. ढाका से करीब 120 किलोमीटर दूर फरीदपुर में जेम्स का कॉन्सर्ट एक ऐतिहासिक स्कूल की 185वीं वर्षगांठ के समापन का प्रतीक होना था. हजारों छात्र और पूर्व छात्र इस मौके का हिस्सा बनने पहुंचे थे. लेकिन जश्न शुरू होने से पहले ही हालात बेकाबू हो गए और जेम्स का कॉन्सर्ट रद्द कर दिया गया.
मशहूर गायक जेम्स को नगर बाउल के नाम से भी जाना जाता है. फरीदपुर में उनके कॉन्सर्ट पर हुआ हमला केवल एक कार्यक्रम को रद्द कराने की घटना नहीं है, बल्कि यह उस गहराते संकट का संकेत है, जिसमें बांग्लादेश की सांस्कृतिक आत्मा घिरी हुई है. हमलावरों के एक समूह ने जबरन कार्यक्रम स्थल में घुसने की कोशिश की, मंच पर कब्जा करने का प्रयास किया और दर्शकों पर ईंट-पत्थर बरसाने लगे.
देखते ही देखते अफरा-तफरी मच गई और कम से कम 20 लोग घायल हो गए, जिनमें ज्यादातर छात्र थे. यह कॉन्सर्ट फरीदपुर जिला स्कूल की 185वीं वर्षगांठ पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन समारोह था. यह स्कूल क्षेत्र के सबसे पुराने सरकारी शिक्षण संस्थानों में से एक है, जिसकी स्थापना 1840 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी.
यह हिंसा अचानक नहीं थी. स्थानीय लोगों और आयोजकों के मुताबिक, हमलावर संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के खिलाफ थे और ऐसे आयोजनों को पूरी तरह बंद कराने की मांग कर रहे थे. स्थिति बिगड़ने पर जिला प्रशासन ने हस्तक्षेप किया. रात करीब 10 बजे आयोजन समिति के संयोजक डॉ. मोस्तफिजुर रहमान शमीम ने मंच से घोषणा की कि कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए फरीदपुर जिला प्रशासन के निर्देश पर कॉन्सर्ट रद्द किया जा रहा है.
जेम्स किसी तरह सुरक्षा घेरे में वहां से निकल पाए, लेकिन एक बड़े सांस्कृतिक आयोजन को हिंसा के आगे झुकना पड़ा. हालांकि प्रशासन ने हमलावरों की पहचान या उनके किसी संगठन से जुड़े होने की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन इस घटना ने देश के कुछ हिस्सों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रति बढ़ती असहिष्णुता को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है.
कौन हैं जेम्स?
1964 में जन्मे, फारूक महफूज अनम जेम्स बांग्लादेशी गायक-गीतकार, गिटारवादक और संगीतकार हैं. वे एक प्लेबैक सिंगर के तौर पर भी जाने जाते हैं और रॉक बैंड ‘नगर बाउल’ के लीड सिंगर, गीतकार और गिटारिस्ट हैं. उन्होंने बॉलीवुड में भी कई हिट गाने गाए हैं, जिनमें फिल्म गैंगस्टर का ‘भीगी भीगी’ और लाइफ इन ए मेट्रो का ‘अलविदा’ शामिल है. बांग्लादेश में उनकी जबरदस्त लोकप्रियता है, लेकिन उनके कॉन्सर्ट पर हमला इस बात का संकेत है कि देश में कट्टरपंथी तत्व कितने बेखौफ हो चुके हैं.
हमले से पहले देशभक्ति भरा था माहौल
इस घटना से पहले, समारोह की शुरुआत गुरुवार को राष्ट्रीय और स्मृति ध्वज फहराने, राष्ट्रगान, शपथ ग्रहण समारोह और शहर में रंगारंग जुलूस के साथ हुई थी. शुक्रवार रात के कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, लकी ड्रा और जेम्स की बहुप्रतीक्षित प्रस्तुति शामिल थी, लेकिन हिंसा के कारण यह जश्न अधूरा रह गया. कॉन्सर्ट रद्द होने के बाद इलाके में पुलिस की भारी तैनाती की गई और देर रात हालात पर काबू पा लिया गया. फिलहाल किसी गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं हुई है.
क्या चुनाव टालने को लेकर बनाया जा रहा माहौल
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे गंभीर सवाल राज्य की भूमिका को लेकर उठता है. आलोचकों का आरोप है कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार कट्टर भीड़ों पर लगाम लगाने में नाकाम रही है. कई लोगों का मानना है कि कानून-व्यवस्था को कमजोर दिखाकर फरवरी में प्रस्तावित चुनावों को टालने का माहौल बनाया जा रहा है. इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाएं सामने आईं. पत्रकार दीप हालदर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “बांग्लादेश के सबसे बड़े रॉकस्टार जेम्स के फरीदपुर कॉन्सर्ट पर इस्लामवादी भीड़ ने हमला किया. जेम्स ने बॉलीवुड के लिए भी गाने गाए हैं. यह भीड़ बांग्लादेश में संगीत या सांस्कृतिक उत्सव नहीं चाहती. जेम्स किसी तरह वहां से निकलने में सफल रहे.”
यह घटना अकेली नहीं है. जेम्स के कॉन्सर्ट पर हमला उस सिलसिले की एक और कड़ी है, जिसमें हाल के महीनों में बांग्लादेश की सांस्कृतिक संस्थाएं लगातार निशाने पर रही हैं. छायानट जैसे प्रतिष्ठित सांस्कृतिक केंद्र और उदिची जैसे संगठन, जो दशकों से संगीत, नृत्य, रंगमंच और लोक संस्कृति के जरिए धर्मनिरपेक्ष चेतना को मजबूत करते रहे हैं, हमलों और आगजनी का सामना कर चुके हैं. कलाकार, पत्रकार और मीडिया संस्थान भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
तसलीमा नसरीन ने बताया खतरनाक पैटर्न
लेखिका तसलीमा नसरीन ने इस पूरे परिदृश्य को एक खतरनाक पैटर्न बताया है. उनके अनुसार, यह सिर्फ कुछ घटनाओं का संयोग नहीं, बल्कि सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को डर के साए में धकेलने की एक सुनियोजित प्रक्रिया है. यही वजह है कि भारत और दुनिया के कई प्रतिष्ठित कलाकार अब बांग्लादेश आने से हिचक रहे हैं. मइहर घराने के कलाकार सिराज अली खान बिना प्रस्तुति दिए लौट गए, वहीं उस्ताद राशिद खान के बेटे अरमान खान ने भी ढाका का निमंत्रण ठुकरा दिया. संदेश साफ है, जहां संगीत और कलाकार सुरक्षित नहीं, वहां संस्कृति भी जीवित नहीं रह सकती.
पिछवाड़े में पाले गए सांप पूरे घर को खतरे में डालते हैं
चाहे यह आरोप सही हों या नहीं, लेकिन इतना स्पष्ट है कि कट्टरपंथी तत्व पहले से ज्यादा बेखौफ नजर आ रहे हैं. फरीदपुर में जेम्स के कॉन्सर्ट पर हमला दरअसल एक चेतावनी है. यह बताता है कि अगर समाज और राज्य समय रहते कट्टरपंथ के खिलाफ स्पष्ट और सख्त रुख नहीं अपनाते, तो उसका जहर केवल एक मंच या एक कलाकार तक सीमित नहीं रहेगा. वह शिक्षा, संस्कृति और अंततः पूरे सामाजिक ताने-बाने को डस लेगा. हिलेरी क्लिंटन की कही बात यहां सच साबित होती दिख रही है कि पिछवाड़े में पाले गए सांप अंततः पूरे घर को ही खतरे में डाल देते हैं.
ये भी पढ़ें:-
₹62500000000+ का घोटालेबाज पीएम दोषी करार, सजा और जुर्माने की रकम सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे

