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ऑस्ट्रेलिया हिंद-प्रशांत में मचाएगा तूफान! 8 बिलियन डॉलर में बनेगा न्यूक्लियर सबमरीन का किला, AUKUS का पावर पैक तैयार

Australia Nuclear Submarine: ऑस्ट्रेलिया ने 12 बिलियन डॉलर से हेंडरसन शिपयार्ड को न्यूक्लियर सबमरीन और मोगामी फ्रिगेट्स के लिए अपग्रेड किया, AUKUS पावर और पैसिफिक सुरक्षा को मजबूत बनाने की बड़ी योजना.

Australia Nuclear Submarine: दुनिया की राजनीति में अब ऑस्ट्रेलिया भी अपनी ताकत दिखाने लगा है. सरकार ने घोषणा की है कि अगले 10 सालों में 12 बिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर (लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर) खर्च करके पर्थ के हेंडरसन डिफेंस प्रिसिंक्ट को न्यूक्लियर पावर सबमरीन के लिए अपग्रेड किया जाएगा. यह सिर्फ एक निवेश नहीं, बल्कि ऑस्ट्रेलिया की डिफेंस रणनीति का नया अध्याय है. चीन की बढ़ती मिलिट्री ताकत और पैसिफिक क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए ऑस्ट्रेलिया ने यह बड़ा कदम उठाया है.

Australia Nuclear Submarine: AUKUS प्रोजेक्ट का हिस्सा

डिफेंस मिनिस्टर रिचर्ड मार्लेस के मुताबिक, हेंडरसन डिफेंस प्रिसिंक्ट पूरी तरह से AUKUS प्रोजेक्ट का हिस्सा है. यही वह जगह होगी जहां ऑस्ट्रेलिया अपनी भविष्य की न्यूक्लियर सबमरीन का मेंटेनेंस और सर्विस करेगा. अमेरिका और ब्रिटेन भी इस फैसले का स्वागत करेंगे. हेंडरसन में हाई-सिक्योरिटी ड्राई डॉक, लैंडिंग क्राफ्ट और जापान के मोगामी-क्लास फ्रिगेट्स बनाने की सुविधाएँ भी होंगी.

Henderson AUKUS Defense Upgrade: न्यूक्लियर सबमरीन का सपना

ऑस्ट्रेलिया फिलहाल न्यूक्लियर सबमरीन सर्विस करने की इंफ्रास्ट्रक्चर से खाली है. लेकिन सरकार का लक्ष्य है कि अगले 15 साल में कम से कम तीन अमेरिकी वर्जीनिया-क्लास सबमरीन खरीदी जाएँ और भविष्य में खुद की सबमरीन निर्माण की क्षमता विकसित की जाए. यह कदम ऑस्ट्रेलिया की नौसेना को लॉन्ग रेंज स्ट्राइक क्षमता देगा और देश की समुद्री सुरक्षा को नए स्तर पर ले जाएगा.

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बड़े डिफेंस अपग्रेड का हिस्सा

ये सिर्फ सबमरीन नहीं, ऑस्ट्रेलिया की सैन्य मजबूती का पूरा पैकेज है. अगस्त में ऑस्ट्रेलिया ने घोषणा की थी कि वह 11 मोगामी-क्लास फ्रिगेट्स जापान से खरीदेगा, जिसमें खर्च होगा लगभग 10 बिलियन डॉलर. पहले तीन फ्रिगेट्स विदेश में बनेगी, बाकि पर्थ में. इसके अलावा, 1.7 बिलियन डॉलर के ‘घोस्ट शार्क’ अंडरवाटर ड्रोन भी खरीदे जाएंगे, जो जनवरी से सर्विस में आएंगे.

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सवाल और आश्वासन

AUKUS प्रोजेक्ट पर सवाल भी उठ रहे हैं. अनुमान है कि अगले 30 साल में इसका खर्च 235 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है. आलोचना है कि अमेरिका के पास अपनी नौसेना और ऑस्ट्रेलिया के लिए पर्याप्त न्यूक्लियर सबमरीन होंगे या नहीं. फिर भी, मार्लेस और ऑस्ट्रेलियाई सरकार पूरी तरह आश्वस्त हैं. अमेरिकी सीनेट के मार्को रुबियो ने भी भरोसा दिलाया कि AUKUS यथावत जारी रहेगा.

भविष्य की तैयारी

ऑस्ट्रेलिया ने मई 2022 के बाद से कुल 70 बिलियन डॉलर के अतिरिक्त डिफेंस निवेश की घोषणा की है. इसका मकसद सिर्फ सबमरीन बनाना नहीं, बल्कि पैसिफिक में अपनी मिलिट्री ताकत और रणनीतिक स्थिति को मजबूत करना है. हेंडरसन डिफेंस प्रिसिंक्ट अब ऑस्ट्रेलिया का सैन्य किला बनने जा रहा है, और देश की नौसेना को न्यूक्लियर शक्ति का नया चेहरा मिलेगा.

Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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