Afghanistan-Pakistan Border Tension: अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर एक बार फिर हालात बिगड़ गए हैं. शुक्रवार देर रात दोनों देशों की सीमा पर भारी गोलीबारी हुई है. इस सप्ताह की शुरुआत में हुई शांति वार्ता के विफल होने के बाद दोनों देशों के बीच फिर से तनाव बढ़ गया है. दोनों देशों के अधिकारियों की ओर से इसकी पुष्टि की जा रही है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों ने ही एक दूसरे पर आरोप लगाए हैं. गोलीबारी की तीव्रता इतनी अधिक है कि डूरंड लाइन के दोनों ओर रहने वाले लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित ठिकानों की तरफ जा रहे हैं. हालांकि राहत की बात है कि अब तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है.
अफगान तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि पाकिस्तानी बलों ने कंधार प्रांत के स्पिन बोल्डक जिले में हमले किए. वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के एक प्रवक्ता ने अफगान बलों पर चमन सीमा के पास बिना उकसावे की फायरिंग करने का आरोप लगाया. स्पिन बोल्डक क्षेत्र में दोनों देशों की सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष इतना बढ़ गया कि हल्के हथियारों से लेकर भारी फायरपावर का इस्तेमाल तक शुरू हो गया. अफगान बॉर्डर पुलिस के प्रवक्ता अबेदुल्लाह फारूकी ने दावा किया कि यह झड़प पाकिस्तान की ओर से शुरू हुई, जिसके जवाब में अफगान सैन्य बलों की बड़े स्तर पर कार्रवाई की गई.
पाकिस्तानी पोस्ट खाली होने की रिपोर्ट
पाक प्रवक्ता मोशर्रफ जैदी ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान पूरी तरह चौकन्ना है और अपनी क्षेत्रीय अखंडता तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. वहीं अफगान मीडिया ‘खुरासान’ ने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना 20 से अधिक चौकियां छोड़कर पीछे हट गई है. दोनों देशों के बीच माहौल लगातार तनावपूर्ण बना हुआ है.
झड़प कैसे भड़की?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना ने सबसे पहले नागरिक इलाकों पर रॉकेट दागे, जिससे स्पिन बोल्डक में लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. पाकिस्तानी सैनिकों ने अचानक ग्रेनेड दागा जबकि अफगान फोर्सेज संघर्षविराम का पालन कर रही थीं. अफगान प्रवक्ता फारूकी के अनुसार, सीजफायर टूटने पर अफगान बलों ने जवाबी कार्रवाई की गई. इसमें पाकिस्तान को काफी नुकसान हुआ बताया जा रहा है.
इसके बाद दोनों तरफ से गोलियों की बौछार और रॉकेट जैसे भारी हथियारों का इस्तेमाल शुरू हो गया. स्थानीय निवासियों ने बताया कि पाकिस्तान की ओर से दागे गए कई मोर्टार सीधे रिहायशी इलाकों में गिरे, जिससे कई घर क्षतिग्रस्त हो गए. लोग लगातार गोलियों और धमाकों की आवाजों से दहशत में हैं और आशंका है कि स्थिति और बिगड़ सकती है. कई परिवार रातों-रात अपना सामान लेकर गांव छोड़ चुके हैं. सोशल मीडिया पर इस संघर्ष के कई वीडियो सामने आए हैं. इनमें तालिबान के संघर्ष के इलाके में रवानगी की सूचना दी जा रही है. देखें-
शांति वार्ता फिर विफल
यह झड़प दोनों देशों के बीच शांति वार्ता के नए दौर के दो दिन बाद हुई है. पिछले वीकेंड सऊदी अरब में हुई बातचीत किसी ठोस नतीजे के बिना समाप्त हो गई, हालांकि दोनों पक्ष नाज़ुक युद्धविराम को जारी रखने पर सहमत हुए थे. यह वार्ता कतर, तुर्की और सऊदी अरब द्वारा हाल के महीनों में आयोजित कई बैठकों की नवीनतम कड़ी थी, जिनका उद्देश्य अक्टूबर में हुई घातक सीमा झड़पों के बाद तनाव कम करना था.
विवाद का ताजा मामला क्या है?
इस समय पाकिस्तान, विशेष रूप से खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में, चरमपंथी घटनाओं से बुरी तरह प्रभावित है. पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान की जमीन से सक्रिय आतंकी समूह उसकी सीमा के भीतर हमलों को अंजाम दे रहे हैं, जिसमें अफगान नागरिकों से जुड़े कथित फिदायीन हमले भी शामिल हैं. काबुल में तालिबान प्रशासन इन आरोपों को खारिज करता है और कहता है कि पाकिस्तान की सुरक्षा समस्याएं उसकी घरेलू चुनौतियों से जुड़ी हैं, इसके लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. अक्टूबर में दोनों देशों के बीच काफी हिंसक झड़प हुई थी. इसमें दर्जनों लोग मारे गए थे. यह 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से सीमा पर हुई सबसे भीषण हिंसा थी. इसके बाद दोनों देशों के बीच तुर्की में शांति वार्ता हुई थी, लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकल पाया था.
सीमा विवाद दोनों देशों के बीच विवाद की असल वजह
स्पिन बोल्डक पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा क्षेत्र पर पड़ता है. यहां पहले भी कई बार तनाव भड़क चुका है. यह व्यापार और आवागमन के लिए एक महत्वपूर्ण क्रॉसिंग पॉइंट है, लेकिन हर कुछ महीनों में यहां गोलीबारी की घटनाएं सामने आती रहती हैं. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच डूरंड लाइन है. यही दोनों देशों के बीच विवाद की असली वजह है. अफगानिस्तान इसे सीमा नहीं मानता. उसका कहना है कि पश्तून दोनों इलाकों में रहते हैं, ऐसे में इसका कोई हल निकाला जाना चाहिए. खैबर पख्नूख्वा का पाकिस्तानी क्षेत्र का इलाका इसी विवाद की भेंट चढ़ा रहता है. तालिबान सरकार की ओर से अभी कोई विस्तृत बयान नहीं आया है, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है.
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