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Afghanistan: अफगानिस्तान में एक साल बाद खुलेंगे सिनेमाघर, 37 फिल्मों में सिर्फ एक महिला एक्टर

Afghanistan: अमेरिकी सैनिकों की वापसी और अमेरिका के समर्थन वाली सरकार के पतन के बाद तालिबान के नेतृत्व में एक अंतरिम अफगान सरकार सत्ता में आई थी. उसके बाद से अफगानिस्तान में विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के बुनियादी अधिकारों को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करने वाली नीतियां लागू की गईं.

Afghanistan: अमेरिकी सैनिकों की वापसी और अमेरिका के समर्थन वाली सरकार के पतन के बाद तालिबान के नेतृत्व में एक अंतरिम अफगान सरकार सत्ता में आई थी. अगस्त 2021 में तालिबान ने जब अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो उसके बाद विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के बुनियादी अधिकारों को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करने वाली नीतियां लागू कीं. इन सबके बीच, तालिबान की ओर से अफगानिस्तान पर कब्जा जमाए जाने के करीब एक साल बाद देश के सिनेमाघरों में फिल्मों का शो शरू होने जा रहा है. हालांकि, सिनेमाघरों में शो को अनुमति तो दे दी गई है, लेकिन महिला कलाकारों की भूमिकाएं बहुत सीमित हैं.

एकमात्र महिला अभिनेत्री ने फिल्मों में निभाई भूमिका

बता दें कि तालिबान ने अफगानिस्तान में कई तरह के प्रतिबंध भी लगा रखे हैं. खासकर महिलाओं को लेकर तालिबान का रवैया पुराने जैसा ही है. रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में 37 फिल्में और डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शित होने के लिए लाइन में हैं, लेकिन यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि आतिफा मोहम्मदी एकमात्र महिला अभिनेत्री हैं, जिन्होंने हाल ही में बनी इन फिल्मों में से एक में भूमिका निभाई है.

अभिनेता खुश, लेकिन फंड को लेकर जाहिर की चिंता

फिल्मों के अभिनेता सिनेमाघरों के फिर से खुलने से खुश हैं और उन्होंने कहा कि उन्हें फिल्मों के निर्माण के लिए धन उपलब्ध कराना होगा. एक कलाकार अब्दुल साबोर खिनजी ने कहा कि एक साल बाद सिनेमा के दरवाजे फिर से खुल गए हैं. हम खुश हैं. उन्होंने कहा कि हमने अपनी पॉकेट मनी से फिल्मों पर खर्च किया है. मीडिया पोर्टल के अनुसार, एक अन्य कलाकार फैयाज इफ्तिखार ने कहा, हम अपना काम करके खुश थे. वहीं, काबुल निवासी जहरा मुर्तजावी ने एक अहम संदेश देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में महिलाओं को प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह महिलाओं का अधिकार है. उन्होंने कहा कि महिलाओं की उपस्थिति के बिना कोई फिल्म अच्छी लगती है.

महिला को दी गई सख्त सलाह

उल्लेखनीय है कि तालिबान ने पिछले महीने घोषणा की कि महिलाओं और लड़कियों को तब तक अपने घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए जब तक जरूरी न हो. अगर वे बाहर निकल भी रहीं हैं तो पूरे शरीर को ढक कर ही निकलना चाहिए. तालिबानी शासन के इस फरमान से वो लोग हैरा रहे जो 1996 से 2001 तक तालिबान शासन के अंतिम दौर से नहीं गुजरे थे. बताते चलें कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक समावेशी समाज बनाने और महिलाओं को समानता देने का वादा किया था. जबकि, उसके कारनामे एक अलग ही तस्वीर पेश करते हैं.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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