बैंकाक : संकट में घिरे थाईलैंड की प्रधानमंत्री यिंगलक शिनवात्रा को विवादास्पद चावल फार्म सब्सिडी योजना में कर्तव्य में कथित लापरवाही को लेकर आरोपों और महाभियोग का सामना करना पड़ेगा. राष्ट्रीय भ्रष्टाचार रोधी आयोग के प्रवक्ता विचा महाखुन ने बताया कि आयोग के पास इस चावल योजना में यिंगलक शिनवात्रा के खिलाफ कर्तव्य में कथित लापरवाही को लेकर आरोप लगाने और उन पर महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने के लिए आधार है.
इस योजना के कारण देश को कथित रूप से भारी कीमत चुकानी पड़ी. इस एजेंसी ने उन्हें इन आरोपों के सिलसिले में 27 फरवरी को पेशी के लिए बुलाया है. अखबार नेशन ने खबर दी है कि एजेंसी को गवाहों और दस्तावेजों के रूप में इस बापत के पर्याप्त सबूत मिले कि उन्हें कई संगठनों ने इस योजना में संभावित भारी नुकसान और भ्रष्टाचार के बारे में चेतावनी दी थी.
संघर्षों में पुलिस अधिकारी की मौत,58 घायल
प्रधानमंत्री यिंगलक शिनवात्र को सत्ता से हटाने के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों द्वारा कब्जा किए गए इलाकों को वापस लेने के लिए पुलिस ने आज एक विरोध रैली स्थल पर छापेमारी की जिस दौरान हुए संघर्ष में एक पुलिसकर्मी मारा गया और 58 लोग घायल हो गए. हिंसा तब भड़की जब पुलिस ने जनवरी में घोषित किए गए आपातकाल का उल्लंघन करने के लिए सरकारी तेल एवं गैस कंपनी पीटीटी पब्लिक लिमिटेड के कार्यालय के सामने 100 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने के घंटों बाद फान फाह पुल पर स्थित विरोध प्रदर्शन स्थल को वापस अपने कब्जे में लेने की कोशिश की.
‘पीस फार बैंकाक मिशन’ नाम के अभियान में कई पुलिस अधिकारी शामिल थे. सेंटर फार मेन्टेनिंग पीस एंड ऑर्डर :सीपीएमओ: ने कहा कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिफॉर्म कमिटी :पीडीआरसी: द्वारा कब्जे में लिए गए पांच इलाकों को वापस अपने नियंत्रण में लेने के उनके अभियान के पहले लक्ष्य के तहत गर्वनमेंट हाउस, प्रधानमंत्री कार्यालय को वापस अपने कब्जे में लेने की योजना है. शहर के ऐरावन आपात चिकित्सा केंद्र ने कहा, ‘‘एक पुलिसकर्मी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी और 58 घायल हो गए.’’ घायलों में छह पुलिसकर्मी और एक विदेशी पत्रकार शामिल हैं.
मुख्य विपक्षी दल डेमोक्रेट पार्टी समर्थित प्रदर्शनकारी यिंगलक को हटाने के लिए पिछले साल नवंबर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ये लोग यिंगलक को उनके बड़े भाई और देश के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्र के मुखौटे के रुप में देखते हैं. थाकसिन 2006 में सैन्य तख्तापलट का शिकार हुए थे. विरोध प्रदर्शनकारी सरकार से मांग कर रहे हैं कि सत्ता एक अनिर्वाचित परिषद को सौंप दी जाए ताकि परिषद देश में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए जरुरी सुधार लागू कर सके.