न्यूयार्क : अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने यहां अदालत में पेश किए गए दस्तावेजों में कहा है कि वीजा जालसाजी और झूठे बयान देने के मामले में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को आपराधिक मुकदमे से छूट नहीं है.
29 जनवरी की तारीख वाली यह घोषणा अदालत में कल मैनहट्टन के संघीय अभियोजक भारतीय मूल के प्रीत भराड़ा ने सौंपी। इस घोषणा पर विदेश मंत्रालय के कानूनी सलाहकार के कार्यालय के अटार्नी सलाहकार स्टीफन केर के हस्ताक्षर हैं.
भराड़ा ने यह घोषणा अपने उस मेमोरंडम के समर्थन में सौंपी जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ अभियोग खारिज किए जाने के खोबरागड़े के ‘मोशन’ का विरोध किया है.
विदेश मंत्रालय की घोषणा में कहा गया है कि खोबरागड़े को जब मामले में गिरफ्तार किया गया था तब उन्हें गिरफ्तारी या हिरासत में रखे जाने से छूट नहीं थी और वर्तमान में अभियोग पत्र में उन पर लगाए गए आरोपों के लिए मुकदमे से भी उन्हें छूट नहीं है.
यह घोषणा उन 8 दस्तावेजों का हिस्सा है जिन्हें भराड़ा ने खोबरागड़े को मुकदमे से छूट न होने के सबूत के तौर पर पेश की है. साथ ही यह दस्तावेज भराड़ा के इस तर्क के पक्ष में भी हैं कि देवयानी खोबरागड़े के खिलाफ अभियोग खारिज नहीं किए जाने चाहिए.
भराड़ा का प्रस्ताव खोबरागड़े के वकील डेनियल अश्रेक द्वारा 14 जनवरी को अदालत से किए गए इस आग्रह के जवाब में है कि खोबरागड़े के खिलाफ अभियोग खारिज कर दिया जाना चाहिए और उनकी गिरफ्तारी के लिए ‘‘खुला’’ वारंट रद्द कर दिया जाना चाहिए.
अश्रेक का तर्क था कि खोबरागड़े को राजनयिक छूट है और अमेरिका में उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.
भराड़ा ने कहा कि विदेश मंत्रालय के विचारों को पर्याप्त महत्व दिया जाना चाहिए और विदेश मंत्रालय मानता है कि खोबरागड़े ने उप वाणिज्य महादूत की हैसियात से अपनी घरेलू नौकरानी संगीता रिचर्ड को नौकरी पर नहीं रखा था इसलिए उन्हें उस अपराध के लिए मुकदमे से छूट नहीं है जिसके लिए उन्हें दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था.
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि उन्हें जो छूट मिली वह 8 से 9 जनवरी तक भारतीय मिशन में अपने संक्षिप्त कार्यकाल के लिए थी जिसके बाद उन्हें अमेरिका से जाने के लिए कह दिया गया और यह छूट मुकदमे के लिए रोक नहीं है.
वर्ष 1999 के बैच की आईएफएस अधिकारी खोबरागड़े को वीजा जालसाजी के आरोप में दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद उनकी कथित तौर पर कपड़े उतार कर तलाशी ली गई और अपराधियों के साथ रखा गया. इस घटना के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए जरुरी कदम उठाए और देश में भारतीय राजनयिकों की कुछ श्रेणी के विशेषाधिकार वापस ले लिए. इससे दोनों देशों के बीच तनाव उत्पन्न हो गया.
अमेरिकी ग्रैंड ज्यूरी ने खोबरागड़े पर वीजा जालसाजी और झूठे बयान देने के अभियोग लगाए. विदेश मंत्रालय ने खोबरागड़े को अमेरिका से जाने के लिए कहा जिसके बाद वह भारत लौट गईं.
घोषणा का हवाला देते हुए भराड़ा ने कहा ‘‘9 जनवरी को उनके अमेरिका से जाने के बाद से अब तक खोबरागड़े को सिर्फ 8 से 9 जनवरी के बीच मिशन की सदस्य के तौर पर किए गए कामकाज में ही राजनयिक छूट थी.’’ उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में अपने कार्यकाल से पहले उन्होंने जो कुछ किया, उसमें उन्हें राजनयिक छूट नहीं थी. उन पर अभियोग इसलिए लगाए गए हैं क्योंकि रिचर्ड को काम पर रखना आधिकारिक कार्य नहीं था.
भराड़ा के अनुसार, प्रतिवादी के पास अब राजनयिक दर्जा नहीं है और उनकी गिरफ्तारी के समय प्रतिवादी को वाणिज्य दूतावास की एक अधिकारी की हैसियत की वजह से केवल आधिकारिक कार्यों के लिए ही मुकदमे से छूट थी.
भराड़ा का आरोप है कि खोबरागड़े के निजी काम को लेकर उन पर अभियोग लगाए गए हैं न कि आधिकारिक कार्य को लेकर. उन्होंने कहा ‘‘उनकी घरेलू नौकारानी भारत के वाणिज्य दूतावास की कर्मचारी नहीं थी और न ही वह दूतावास से जुड़े काम करती थी.’’
उन्होंने कहा कि खोबरागड़े का मोशन संयुक्त राष्ट्र के उस प्रमाणन का उपयोग कर ‘‘छूट की कहानी गढ़ने का प्रयास था’’ जो उन्हें पिछले साल विश्व संस्था के सालाना सत्र के लिए भारतीय प्रधानमंत्री की यात्र के दौरान बहुत कम समय के लिए मिला था.