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जीका से हो सकती है तंत्रिका संबंधी गंभीर विसंगति : अध्ययन

पेरिस : वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि लातिन अमेरिका में फैले जिस जीका विषाणु से कई जन्मजात विकार हो जाते हैं, उसी विषाणु के कारण तंत्रिका संबंधी गंभीर विसंगति भी हो सकती है. पत्रिका ‘द लांसेट’ में छपे अध्ययन के अनुसार, एक दल ने वर्ष 2013-14 में फ्रेंच पोलीनेसिया में फैले […]

पेरिस : वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि लातिन अमेरिका में फैले जिस जीका विषाणु से कई जन्मजात विकार हो जाते हैं, उसी विषाणु के कारण तंत्रिका संबंधी गंभीर विसंगति भी हो सकती है. पत्रिका ‘द लांसेट’ में छपे अध्ययन के अनुसार, एक दल ने वर्ष 2013-14 में फ्रेंच पोलीनेसिया में फैले गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) में जीका की संदिग्ध भूमिका की पडताल की. जीबीएस दरअसल एक ऐसी दुर्लभ स्थिति है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका तंत्र के उस हिस्से पर हमला करती है, जो मांसपेशियों की ताकत को नियंत्रित करता है.

उन्होंने कहा कि जीबीएस से बीमार पडे मरीजों पर किये गये अनुसंधान में उनके रक्त की जांच की गयी. इसमें पाया गया कि इसके पीछे मच्छर जनित विषाणु की भूमिका थी. अध्ययन में कहा गया, ‘यह पहला साक्ष्य है, जो दिखाता है कि जीका विषाणु से गिलियन-बैरे सिंड्रोम पैदा हो रहा है.’ यह सिंड्रोम जीवाणु के संक्रमण, डेंगू और चिकनगुनिया के विषाणु के कारण भी हो सकता है. इस सिंड्रोम के कारण हाथ-पैरों की मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है. अमीर देशों में, जीबीसी के लगभग पांच प्रतिशत मामले घातक हो जाते हैं. अन्य पांच प्रतिशत में लंबे समय तक के लिए विसंगतियां पैदा हो जाती हैं.

25 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों को गहन चिकित्सा की जरुरत होती है. ब्राजील में जीका संक्रमण के 15 लाख मामले पहले ही दर्ज किये जा चुके हैं. पडोसी देशों में इसके कई हजार मामले पाये गये हैं. शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि ‘गिलियन बैरे’ के प्रकोप के कारण स्वास्थ्य केंद्रों पर (विशेष तौर पर बडे शहरों के बाहर स्थित केंद्रों पर) भारी असर पड सकता है. पेरिस स्थित इंस्टिट्यूट पाश्चर की इमर्जिंग डिसीसेज एपिडेमियोलॉजी यूनिट में प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक अरनॉड फोंटेनेट ने कहा, ‘जिन क्षेत्रों में जीका महामारी फैलेगी, वहां हमें गहन चिकित्सा की क्षमता मजबूत करने पर विचार करना होगा.’

अपने आप में जीका बिगडी हुई सर्दी या हल्के फ्लू से ज्यादा खतरनाक नहीं है. कई बार तो इसके लक्षण भी नहीं दिखते. लेकिन ‘नियोनेटल माइक्रोसिफेली’ के मामलों में इजाफे के पीछे तेजी से फैल रहे इस विषाणु को एक वजह के तौर पर देखा जा रहा है. नियोनेटल माइक्रोसिफेली के कारण नवजात शिशुओं के मस्तिष्क और खोपडी में भारी विसंगति आ जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इस समय यह विषाणु लगभग चार दर्जन देशों में मौजूद है. ब्राजील में अक्तूबर 2015 के बाद जन्मजात विकारों के साथ जन्मे बच्चों के 583 मामले पिछले सप्ताह सामने आये थे. यह संख्या पिछले वार्षिक औसत का चार गुना है. इंसानों में जीका एडीज एजिप्टी मच्छर के कारण फैलता है और यह 130 देशों में पाया जाता है. लेकिन हालिया साक्ष्यों में पाया गया है कि यह संक्रमण के शिकार पुरुषों से यौन संपर्क से भी हो सकता है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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