न्यूयॉर्क : अमेरिकी अधिकारियों ने भारतीय दंपत्ती के दो महीने के बच्चे को शिशु देखभाल केंद्र भेज दिया है. बच्चे को सिर में चोटों के चलते न्यूजर्सी में एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था. परिवार के मुताबकि टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज के कर्मी एवं न्यूजर्सी सिटी के निवासी आशीष पारीक का पुत्र संभवत: अपनी मां के हाथों से फिसलकर नीचे गिर पडा था और उसका सिर एक टीवी स्टैंड से टकरा गया था. बच्चे को तुरंत स्थानीय अस्पताल ले जाया गया था जहां पता चला कि उसके सिर में गंभीर अंदरुनी चोट लगी है.
प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल ने बच्चे को एक अन्य अस्पताल आशविद भेज दिया जहां डॉक्टरों ने मामले की रिपोर्ट बाल कल्याण देखरेख विभाग को दी. स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि बच्चे को ‘शेकन बेबी सिंड्रोम’ की वजह से चोट लगी. वे माता पिता के इस तर्क से सहमत नहीं हुए कि बच्चे को तब चोट लगी जब वह पलंग से गिर पड़ा. न्यूजर्सी के बाल कल्याण विभाग ने कहा कि माता पिता ने बच्चे की उचित देखभाल नहीं की.
बच्चे का न्यूजर्सी में बच्चों के अस्पताल में इलाज कराया गया, लेकिन माता पिता को अस्पताल में बच्चे को देखने की अनुमति नहीं दी गयी. बच्चे के ठीक होने के बाद बाल कल्याण अधिकारियों ने पिछले हफ्ते उसे शिशु देखरेख केंद्र के सुपुर्द कर दिया. पारीक के परिवार के अनुसार माता पिता ने कहा कि यह एक दुर्घटना थी और अमेरिकी अधिकारियों के इन दावों को खारिज किया कि उन्होंने बच्चे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी.
पारीक की पत्नी विदिशा ने अक्तूबर में बच्चे को जन्म दिया था. वे अगस्त से अमेरिका में रह रहे हैं. यहां स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास अधिकारी बच्चे के माता पिता के संपर्क में है, लेकिन उन्होंने कहा कि मामले में कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होगा क्योंकि यह मामला अदालत में जा चुका है. मामले में टिप्पणी मांगे जाने पर वाणिज्य दूतावास की प्रेस इकाई ने कहा, ‘न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास इस (मामले में) माता पिता और स्थानीय अधिकारियों सहित सभी संबंधित पक्षों के संपर्क में है. क्योंकि मामला अदालत में चलेगा, इसलिए प्रक्रिया का पालन करना होगा जो ज्यादा लंबा नहीं चलना चाहिए.’
इसने उम्मीद जताई कि कुछ दिन में मामले का समाधान निकाल लिया जाएगा और कहा कि वाणिज्य दूतावास सभी जरुरी सहायता उपलब्ध करा रहा है. वर्ष 2012 में न्यूजर्सी में एक और भारतीय दंपति को उस समय उनके एक साल के पुत्र का संरक्षण देने से इनकार कर दिया गया था जब घर में बच्चे के सिर में गंभीर चोट लगी थी और उसका ऑपरेशन करना पड़ा था.

