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1971 के युद्ध अपराधों में बांग्लादेश को सुप्रीमकोर्ट के फैसले का इंतजार

ढाका: बांग्लादेश की राजधानी में आज कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है क्योंकि जमात ए इस्लामी के एक शीर्ष नेता पर सुप्रीम कोर्ट एक अहम फैसला सुनाने वाला है. जमात ए इस्लामी के एक शीर्ष नेता अब्दुल कादर मुल्ला को युद्ध अपराधों पर एक न्यायाधिकरण ने इस साल फरवरी में उम्र कैद की सजा सुनाई […]

ढाका: बांग्लादेश की राजधानी में आज कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है क्योंकि जमात ए इस्लामी के एक शीर्ष नेता पर सुप्रीम कोर्ट एक अहम फैसला सुनाने वाला है. जमात ए इस्लामी के एक शीर्ष नेता अब्दुल कादर मुल्ला को युद्ध अपराधों पर एक न्यायाधिकरण ने इस साल फरवरी में उम्र कैद की सजा सुनाई थी.

न्यायाधिकरण के फैसले को अब्दुल कादर मुल्ला की ओर से चुनौती दी गई जिस पर प्रधान न्यायमूर्ति एम मुजम्मल हुसैन की अगुवाई वाली, सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ अपना फैसला सुनाएगी. बांग्लादेश में दो अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण वर्ष 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए युद्ध अपराधों के रसूखदार आरोपियों के खिलाफ सुनवाई कर रहे हैं और अब्दुल कादर मु्ल्ला का मामला समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट आने वाला पहला ऐसा मामला है.

पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता का विरोध करने वाली कट्टरपंथी पार्टी जमात ए इस्लामी के सहायक महासचिव 65 वर्षीय मुल्ला के बारे में दिए गए न्यायाधिकरण के फैसले से खासा विवाद उठ गया. 1971 के दौर के बुजुर्गों और युवा पीढ़ी ने फैसले का विरोध किया क्योंकि उन्हें लगता है कि मुल्ला ने जो अपराध किए हैं उनकी तुलना में सजा कठोर नहीं है.

व्यापक विरोध प्रदर्शनों के चलते सरकार को युद्ध अपराध मामलों की सुनवाई संबंधी कानून में संशोधन करना पड़ा और फैसले को चुनौती देने के लिए बचाव पक्ष को मंजूरी भी दे दी गई. मुल्ला के वकीलों ने इस संशोधन को भी चुनौती दी. उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल के मामले में यह लागू नहीं होता क्योंकि यह संशोधन, न्यायाधिकरण द्वारा फैसला दिए जाने के बाद हुआ था.

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