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मोदी ने दिया योग, रोग और भोग पर भाषण, चीनी पीएम और बच्चों संग खूब निकाली सेल्फी
बीजिंग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिन भर की तमाम व्यस्तताओं के बाद अपने चीनी समकक्ष ली केक्वियांग के साथ घूमने में भी बिताया. मोदी चीनी प्रधानमंत्री ली के साथ टेम्पल ऑफ हेवन घूमने गए. यहां पर सैकड़ों चीनी बच्चों को उन्होंने योग करते हुए देखा. इन बच्चों के अलावा यहां कुछ भारतीय बच्चे […]
बीजिंग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिन भर की तमाम व्यस्तताओं के बाद अपने चीनी समकक्ष ली केक्वियांग के साथ घूमने में भी बिताया. मोदी चीनी प्रधानमंत्री ली के साथ टेम्पल ऑफ हेवन घूमने गए. यहां पर सैकड़ों चीनी बच्चों को उन्होंने योग करते हुए देखा. इन बच्चों के अलावा यहां कुछ भारतीय बच्चे भी थे, जो ताइची कर रहे थे. इस मौके पर मोदी और ली ने अपनी सेल्फी भी निकली. बच्चों से मिलने के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी को बच्चों के साथ खुद की सेल्फी निकालते देखा गया.
इस मौके पर योग को लेकर नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में ये कहा. –
मैं चीन के प्रधानमंत्री जी को उनके इस कार्यक्रम की कल्पना के लिए बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं और इस जगह पसंद करने के लिए मैं बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, क्योंकि ये टेम्पल ऑफ हेवन है और स्वर्ग प्राप्त करना है तो मन, बुद्धि, शरीर तीनों को संतुलन चाहिए और साथ-साथ चाहे भूमि भारत की हो या भूमि चीन की हो हमारी सांस्कृतिक एकता के जो बिंदु हैं, उसको खोज-खोज करके हमारे बीच भी एकता का सूत्र जितना मजबूत होगा, उतनी ये जो हेवन की कल्पना है मानवजात के लिए साकार होगी.
योग, तन, मन और बुद्धि तीनों को संतुलित रखने की कला है और आज जब विश्व मानिसक तनाव से गुजर रहा है, फ्रस्ट्रेशन, ये हर पीढ़ी का जैसे शब्द बन गया है. दुनिया के हर भू-भाग की चिंता का विषय बना है तो उस समस्या से मुक्ति का मार्ग है योग. पिछले सितंबर में संयुक्त राष्ट्र में जब मैंने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के संबंध में प्रस्ताव रखा दुनिया के 177 देश सह-प्रायोजक बने. चीन भी भारत के साथ को-स्पोंसर बना. ऐसा पहली बार हुआ कि इस प्रकार के किसी रेगुलेशन को अब तक यूएन के इतिहास में सर्वाधिक देशों को समर्थन मिला हो और कम से कम दिवस में पारित हुआ हो. ये है अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, 21 जून को जिसे पूरा विश्व बनाने वाला है.
ये कैसा अद्भुत संयोग है कि टेम्पल ऑफ हेवन के चौक में, चीनी मूल के बालक योग कर रहे हैं और भारतीय मूल के बालक ताइची कर रहे हैं. ये अपने आप में सांस्कृतिक विरासत को जोड़ने का अद्भुत माध्यम हमें मिला है. इसे हमें आगे बढ़ाना है. योग से रोग मुक्ति भी होती है, योग से भोग मुक्ति भी होती है. इसलिए संकट की घड़ी से गुजर रहा मानव मन विश्व के किसी भी कोने में क्यों न हो उसको एक नया जीवन देने का सहारा है चाहे वो ताइची हो, या योग हो.
21 जून को पूरा विश्व योग को सही अर्थ में समझेगा और होलिस्टिक केयर की जो आज दुनिया में आवश्यकता है ये सहज अवस्था प्राप्त करके किया जा सकता है. मैं फिर एक बार प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं इस कार्यक्रम की रचना के लिए.
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