इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहाकार सरताज अजीज जल्दी ही सीनेट में विदेश नीति के बारे में जानकारी देंगे. यह जानकारी मुख्यत: तालिबान के साथ बातचीत और नियंत्रण रेखा पर हुई हालिया झड़पों के बारे में होगी. जानकारी देने का फैसला पीपीपी के संसदीय नेता राजा रब्बानी द्वारा दिए गए प्रस्ताव के बाद किया गया.
सदन के नेता राजा जफरुल हक ने तत्काल ही इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. उन्होंने कहा कि वे इस वक्तव्य का आयोजन इसी सप्ताह करने की कोशिश करेंगे और इसकी तिथि के बारे में सदन को सूचित कर देंगे.
रब्बानी ने अफसोस जताया कि नई सरकार ने विदेश नीति के मसले पर अभी तक संसद को विश्वास में नहीं लिया है. उन्होंने कहा कि सलाहाकार को अफगान स्थिति और नियंत्रण रेखा पर हाल ही में हुई झड़पों के बारे में सूचित करना चाहिए.
एक अखबार की खबर के अनुसार, रब्बानी ने यह भी कहा कि सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पुर्नगठन की अपनी योजना के संदर्भ में संसद को विश्वास में लेना चाहिए क्योंकि ऐसा लगता है कि यह लोकतंत्र के उस घोषणापत्र का उल्लंघन है जिसपर मई 2006 में पीपीपी और पीएमएल-एन ने हस्ताक्षर किए थे.
रब्बानी ने कहा कि ये महत्वपूर्ण मुद्दे हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार को इस सप्ताह के भीतर इन मुद्दों की जानकारी सीनेट को देने के लिए कहा जाना चाहिए. सरकार और विपक्ष दोनों ही पीपीपी सीनेटर फरहतुल्लाह बाबर द्वारा उच्चतम अदालतों में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर लाए गए प्रस्ताव पर बहस के लिये राजी हो गए.
सीनेटरों ने छह निजी सदस्यों के विधेयक पेश किए. इनमें से तीन संविधान संशोधन के बारे में थे. ये बिल संबंधित स्थायी समितियों को भेज दिए गए. संविधान संशोधन से जुड़े दो बिल निर्दलीय सीनेटर मोहसिन लेघारी ने पेश किए. इसमें संसद को ‘नए प्रांत बनाने’ की शक्ति देने की मांग की गई थी. साथ ही इसमें स्थानीय सरकार के चुनाव कार्यकाल खत्म होने के 45 दिन के भीतर कराने की मांग की गई है.