जकार्ता:विवाह के पहले लड़कियों का कौमार्य भंग न हो, इसके लिए इंडोनेशिया के एक जिले में शिक्षा अधिकारियों ने अब छात्राओं के कौमार्य परीक्षण करने की योजना बनायी है.
दुनिया में एक तरफ निजता के अधिकार और महिला सशक्तीकरण को लेकर बड़ी–बड़ी बातें की जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ इंडोनेशिया के प्रभुमुली जिले में 15-16 साल की लड़कियों को अपनी शुद्धता का प्रमाण देने के लिए अग्नि परीक्षा से गुजरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. जिले के शिक्षा अधिकारी एचएम रशीद का कहना है कि उन्होंने यह निर्णय लड़कियों के हित में ही लिया है. यहां के एक इसलामी संगठन जस्टिस पार्टी का कहना है कि विवाह के पहले लड़कियों का कौमार्य भंग होना बेहद शर्मनाक है. इंडोनेशिया में मुसलिम बहुतायत में हैं. यहां अक्सर ऐसी मांग उठती रही है कि लड़कियों को अपना कौमार्य विवाह के पहले तक बचा कर रखना चाहिये.
यहां इसी सोच के तहत मिनी स्कर्ट पहनने और शराब के सेवन पर पूर्ण पाबंदी लगाने का प्रस्ताव भी रखा गया है, लेकिन ये दोनों प्रस्ताव पारित नहीं हो पाये. प्रभुमुलि के शिक्षा अधिकारी के इस कदम का देश के शिक्षा मंत्री, स्कूलों और नारीवादी कार्यकर्ताओं ने विरोध किया है. महिला संगठनों का कहना है कि किसी महिला के लिए उसका कौमार्य बेहद निजी विषय है और उसे सार्वजनिकरूप प्रमाण देने की जरूरत नहीं है.