ईरान के नए राष्ट्रपति हसन रूहानी अपनी विदेश नीति के तहत नारेबाजी से दूर रहेंगे.
उन्होंने ईरान के नए विदेश मंत्री जावेद ज़ारिफ़ की नियुक्ति के अवसर पर कहा है कि उनकी जीत का कारण ये है कि लोग भी चाहते हैं कि ईरान की विदेश नीति में बदलाव आए.
लेकिन उन्होंने साफ किया कि इसका यह मतलब नहीं है कि ईरान अपने सिद्धान्तों को छोड़ रहा है.
इस मौके पर ईरान की परमाणु एजेंसी एईओआई के पूर्व प्रमुख फरदून अब्बासी दवानी ने कहा कि ईरान के पास यूरेनियम संवर्धन के लिए 18,000 सेंट्रीफ्यूज हैं, जिनमें से 1,000 चालू हालत में हैं.
पूर्व विदेश मंत्री अली अकबर सालेही को एईओआई का नया प्रमुख बनाया गया है.
चालू हालत में मौजूद सेंट्रीफ्यूज पुराने आईआर-1 किस्म के हैं. इसके अतिरिक्त करीब 7,000 ऐसे ही सेंट्रीफ्यूज और 1,000 आधुनिक आईआर2-एक किस्म के सेंट्रीफ्यूज इस्तेमाल के लिए तैयार हैं.
पश्चिम के साथ टकराव
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर पश्चिमी शक्तियों के साथ उसकी टकराहट होती रही है. पश्चिमी देशों को शक़ है कि इस कार्यक्रम का लक्ष्य परमाणु हथियारों का विकास करना है.
ईरान इस आरोप को नकारता रहा है. उसका कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से नागरिक उद्देश्यों के लिए है.
आश्चर्यजनक रूप से जीत दर्ज करके आए करेंईरान के नए राष्ट्रपति ने कहा है कि वह तनाव कम करने के लिए पश्चिमी देशों के साथ “गंभीर” वार्ता शुरू करना चाहते हैं और उनकी कोशिश है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते मुश्किल स्थिति में पहुंच चुकी ईरान की अर्थव्यवस्था को किसी तरह पटरी पर लाया जाए.
रूहानी ने कहा कि वह खुद को पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद अहमदीनेजाद की जोरदार शब्दों के ज़रिए ललकारने की शैली से अलग रखेंगे.
उन्होंने कहा, “विदेश नीति को नारों को दोहराकर नहीं चलाया जाएगा.”
विदेश नीति का महत्व
"हम अपने राष्ट्रीय हितों का मजबूती के साथ बचाव करेंगे, लेकिन यह समुचित, सही और तार्किक ढंग से होगा."
हसन रूहानी, राष्ट्रपति, ईरान
समाचार एजेंसी आईएसएनए के मुताबिक करेंरूहानी ने कहा है कि, “राष्ट्रपति चुनावों में मतदाताओं के संदेशों में एक यह है कि वो विदेश नीति में बदलाव चाहते हैं.”
उन्होंने कहा, “इसका यह मतलब नहीं है कि हम अपने सिद्धान्तों को छोड़ रहे हैं, लेकिन इसका अर्थ तौर-तरीकों में बदलाव से हैं.”
राष्ट्रपति ने कहा कि “हम अपने राष्ट्रीय हितों का मजबूती के साथ बचाव करेंगे, लेकिन यह समुचित, सही और तार्किक ढंग से होगा.”
उन्होंने कहा, “विदेश नीति में किसी भी चूक की जनता को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.”
रूहानी ने कहा कि “हमारी मौजूदा समस्याओं को सुलझाने में विदेश नीति की महत्वपूर्ण भूमिका है.”
रूहानी ने अपना पद चार अगस्त को संभाला था और गुरुवार को उनकी पसंद के 18 कैबिनेट सदस्यों में से 15 को संसद ने अपनी मंजूरी दे दी थी. राष्ट्रपति के साथ ही उनके मंत्रिमंडल के ज्यादातर सदस्यों ने पश्चिम में पढ़ाई की है और वह काफी समय पश्चिमी देशों में बिता चुके हैं.