वाशिंगटन : राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि अमेरिका और उसके सहयोगियों की लड़ाई इस्लाम के खिलाफ नहीं बल्कि उन लोगों के खिलाफ है जिन्होंने धर्म की गलत व्याख्या की है.ओबामा ने कहा कि आईएसआईएल और अल कायदा जैसे समूह स्वयं को धर्म की रक्षा करने वाले पवित्र योद्धा बताते हैं क्योंकि वे खुद को सही साबित करने के लिए बेचैन हैं.
वे स्वयं को धार्मिक नेताओं और इस्लाम की रक्षा करने वाले पवित्र योद्धाओं के रूप में दिखाने की कोशिश करते हैं. ओबामा ने कहा, इसीलिए आईएसआईएल स्वयं को इस्लामिक स्टेट कहता है और दुष्प्रचार करता है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों की लड़ाई इस्लाम से है. इसी तरह वे लोगों को अपने संगठन में शामिल करते हैं. इसी तरह वे युवाओं को कट्टर बनाने की कोशिश करते हैं.
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदायों के बाहर के लोगों को आतंकवादियों की इस बात को खारिज करने की आवश्यकता है कि पश्चिम एवं इस्लाम या आधुनिक जीवन एवं इस्लाम परस्पर विरोधी हैं. ओबामा ने तीन दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन कहा, हमें उनकी इन बातों को कतई स्वीकार नहीं करना चाहिए क्योंकि यह झूठ हैं और न ही हमें इन आतंकवादियों को धार्मिक तौर पर सही कहना चाहिए जैसा कि वे चाहते हैं.
वे धार्मिक नेता नहीं है, वे आतंकवादी हैं. इस सम्मेलन में भारत समेत विश्व के 60 से अधिक देश भाग ले रहे हैं. ओबामा ने कहा, वे दुनियाभर में फैली इन कुछ गलत धारणाओं पर निर्भर करते है कि वे मुस्लिम आस्था के लोगों के हित में बोलते हैं, इस्लाम में हिंसा निहित है और सभ्यताओं के बीच एक प्रकार का टकराव है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी उन मुस्लिमों के बारे में बात नहीं करते जो उनकी विचारधारा को नकारते हैं. ओबामा ने कहा कि हिंसक चरमपंथ के खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, वे इस्लाम का प्रतिनिधित्व नहीं करते. वे ऐसे पागल व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं जो ईश्वर के नाम पर लोगों की हत्या करता है. आतंकवाद के लिए कोई धर्म जिम्मेदार नहीं है. लोग हिंसा और आतंकवाद के लिए जिम्मेदार हैं. ओबामा ने कहा, जैसे कि मेरे जैसे नेता इस धारणा को नकारते हैं कि आईएसआईएल जैसे आतंकवादी संगठन इस्लाम का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसी तरह मुस्लिम नेताओं को भी इस धारणा को अमान्य साबित करना चाहिए कि हमारे देश इस्लाम के दमन के लिए प्रतिबद्ध हैं और सभ्यताओं में स्वाभाविक टकराव है.